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1000 करोड़ के घोटाले की मास्टर माइंड थी ये महिला, सत्ता से लेकर सीने जगत तक के दिग्गज मिलने को थे बेताब

1000 करोड़ के घोटाले की मास्टर माइंड थी ये महिला, सत्ता से लेकर सीने जगत तक के दिग्गज मिलने को थे बेताब
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पटना। भागलपुर में सरकारी खाते से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी के मामले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। अब तक की जांच में जो बात सामने आई है वह यह है कि 'सृजन' एक गैर सरकारी संस्था है, जो जिले में महिलाओं के विकास के लिए कार्य करती थी। असल में इस संस्था का मुख्य धंधा करोड़ों का गोरखधंधा था। इस गैर सरकारी संस्था की मालकिन थी मनोरमा देवी, जिसका निधन इसी साल फरवरी में हो गया। इस पूरे मामले की मास्टर माइंड रही मनोरमा देवी के फर्श से अर्श तक पहुंचने कहानी बड़ी रोचक है। झोपड़ी से महल तक पहुंचने की जब जांच शुरू हुई तो कई नामचीन लोग भी इसकी गिरफ्त में आने लगे। मनोरमा देवी पर सरकारी खजाने के 800 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है।


पापड़ और मसाले बनाने की आड़ में होता था करोड़ों रुपये का 'गोरखधंधा'

मनोरमा देवी की संस्था पापड़ और मसाले बनाने का काम करती थी। महिलाओं को सशक्त और रोजगार प्रदान करने के लिए संस्था ये सब काम किया करती थी। बिहार में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के तहत जीविका का गठन हुआ, तब सृजन को बड़ी जिम्मेवारी मिली। संस्था को माइक्रो फाइनेंस से लेकर कई तरह के दायित्व मिले। सरकारी राशि उपभोक्ता तक भेजने के लिए सरकारी बैंकों में धड़ाधड़ खाते खुलने लगे। संस्था इस राशि को येन केन प्रकारेण अपने नाम करवाने में जुट गयी और वो इसमें सफल भी हो गयी। सरकारी अधिकारी, बैंक और राजनेताओं के मिली भगत से उसने 2003 से लेकर अब तक 800 करोड़ का घोटाला कर दिया।


ऐसे होता था घोटाला

भागलपुर के एसएसपी मनोज कुमार का कहना है कि यह संस्था दो तरीकों से इस पूरे सरकारी खजाने से अवैध निकासी का काम करती थी। स्वाइप मोड और चेक मोड। स्वाइप मोड के जरिए भारी रकम राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा भागलपुर जिले के सरकारी खातों में जमा किया जाता था। स्वाइप मोड में राज्य सरकार या केंद्र सरकार एक पत्र के माध्यम से बैंक को सूचित करती थी कि कितनी राशि बैंक में जमा करा दी गई है। गोरखधंधे में शामिल बैंक अधिकारी सरकारी खाते में पैसा जमा करने के बदले 'सृजन' के खाते में इस पूरे पैसे को जमा कर दिया करते थे। चेक मोड से सरकारी खाते में जमा पैसा को डीएम ऑफिस में काबिज पदाधिकारी डीएम के फर्जी हस्ताक्षर से अगले दिन वही राशि 'सृजन' के अकाउंट में जमा करा दिया करते थे।


मनोरमा की मौत के बाद खुल गए राज

यह सब अभी कुछ दिन और चलता। लेकिन, इसी साल 14 फरवरी को मनोरमा देवी का निधन हो गया। फिर ताश के पत्ते की तरह संस्था धाराशायी होते गए। अंदर की बातें बाहर आने लगी। सरकार की इसपर नजर पड़ी और इसकी जांच के आदेश दे दिए गए। महज सात दिन की जांच में सृजन महाघोटाला 1000 करोड़ के पार हो गया है। इसकी लपेट में बड़े-बड़े अधिकारी, बैंक के अधिकारी और नेता भी आ गए हैं। पुलिस मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार व बहू प्रिया कुमार को खोज रही है। बताते चलें कि प्रिया के पिता बड़े नेता हैं।

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