Janskati Samachar
उत्तर प्रदेश

आक्रामक सांप्रदायिकता के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, वामपंथी प्रगतिशील शक्ति, समूह एकजुट हों: अतुल कुमार अंजान

आक्रामक सांप्रदायिकता के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, वामपंथी प्रगतिशील शक्ति, समूह एकजुट हों: अतुल कुमार अंजान
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हाल ही में संपन्न पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला। पंजाब में दस वर्षो से चल रही अकाली-भाजपा की सरकार बुरी तरह परास्त हुई। और मणिपुर व गोवा में संवैधानिक पद का दुरुपयोग कराकर भाजपा ने तोड़-फोड़ और खरीद-फरोख्त से सरकार बना ली।

उसके बाद से भाजपा-आरएसएस और नरेन्द्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने आपा खो दिया।लव जेहाद, घर वापसी, बीफ प्रकरण और असहिष्णुता का अभियान चलाने के बाद उत्तर प्रदेश में रोमियो स्क्वॉयड और गोहत्या के नाम पर सारे बूचड़खाने बंद कराने का जो अभियान उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से शुरू हुआ वह मध्य प्रदेश, राजस्थान से होता हुआ भाजपा की राज्य सरकारों का प्रमुख ''तांत्रिक गीत' हो गया है।

केंद्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती ने अलवर में जयपुर से अपनी मां के लिएदवाई ले जा रहे वाहन में बैठे पहलू खां को पशु तस्करी के नाम पर घेरकर मार डालने वाले लोगों को स्वतंत्रता सेनानी घोषित कर दिया। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या के विवादित ढांचे को गिराए जाने के संबंध में आडवाणी, जोशी और उमा भारती समेत डेढ़ दर्जन लोगों पर साजिश करने के संबंध में रायबरेली कोर्ट में चल रहे मुकदमों के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने साफकहा है कि इन अभियुक्तों को छोड़ा नहीं जा सकता और इन पर साजिशकर्ता के रूप में लखनऊ में अन्य अपराध में शामिल लोगों के साथ लखनऊ सेशन जज के यहां मुकदमा चलाया जाए, जो दैनिक आधार पर सुनवाई कर दो साल के अंदर केस का निपटारा हो।


और इस दौरान जिला जज का तबादला भी न हो। सर्वोच्च न्यायलय के इस निर्णय पर उमा भारती ने विभिन्न टीवी चैनलों पर फैसले का मजाक उड़ाते हुए कहा, मैं साजिश में कहां थी? मैं तो खुल्लम-खुल्ला विवादित ढांचे को गिराए जाने के पक्ष में थी। फिर भी वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में बरकरार हैं, और दिन-रात नैतिकता का भाषण देने वाले नरेन्द्र मोदी जी इस प्रश्न पर ''उदासीन अखाड़े' के नेतृत्वकारी महामंडलेश्वर बन गए। पूरा देश में एक प्रकार का अघोषित आपातकाल लगा है। दुनिया के किसी देश में टेलीविजन अपने राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का इतना गुणगान करते हों और उनके दैनिक जीवन को सीरियल कहानी की तरह प्रतिदिन शायद ही दिखाते हों?

टेलीविजन पर प्रधानमंत्री की दिनर्चया और उनकी तस्वीर के साथ लाला रामदेव ''पेट सफा तो हर रोग दफा' के साथ राजू श्रीवास्तव दिन में सौ बार दिखाई देते हैं। विपक्षियों पर भौंडे प्रकार का कैरिकेचर, एनिमेशन के माध्यम से उनकी चरित्र हत्या का प्रायोजित कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा द्वारा रोज ये सारे समाचार चैनलों के माध्यम से बड़ी बेशर्मी से परोसा जा रहा है। यह आधा दर्जन चैनलों को छोड़कर बाकी सब अघोषित आपातकाल के दबाव में करते हैं।जम्मू-कश्मीर की पीडीपी-भाजपा की सरकार ने घाटी सहित हमारी सीमाओं को अत्यंत ही नाजुक बना दिया है।

पीडीपी-भाजपा की राज्य सरकार पिछले दो वर्षो से कानून-व्यवस्था को संभालने में बुरी तरह नाकाम हुई। कहां तो प्रधानमंत्री मोदी ऐलान करते नहीं थकते थे, एक सैनिक के बदले 50 सैनिक का मुंड लाएंगे। 2016 में तीन लेफ्टिनेंट कर्नल सहित हमारे 86 सेना के जवान शहीद हो गए। मोदी द्वारा यह आरोप लगता था कि उनके पहले की सरकार पड़ोसी देश के नेताओं को भारत आने पर बिरयानी खिलाती थी, जी-हजूरी करती थी। और प्रधानमंत्री अब बिना बुलाएही शाल-दुशाला की भेंट लेकर नवाज शरीफ की जन्मदिन पार्टी में चले जाते हैं।

देश की अर्थव्यवस्था तबाही के रास्ते पर है। छोटे-मझोले सीमांत उद्योग बंदी के दौर से गुजर रहे हैं। पूरे देश में कापरेरेट लूट जारी है। ग्रामीण जीवन में किसान-मजदूर त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। इस वर्ष मार्च तक 44 किसान सरकार की नीतियों के चलते खुदकुशी करने को विवश हो गए और मोदी 44 देशों की यात्रा कर चुके हैं। और अगले सप्ताह सात देशों की यात्रा पर निकलने वाले हैं। दुनिया को मेकअप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया का फामरूला समझा रहे हैं,

जबकि भारत में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। क्या यह बात दुनिया के देश भी जानते हैं? सब जानते हैं। विदेशी कंपनियां भारतीय कापरेरेट जगत के साथ सांठगांठ कर अधिक मुनाफा कमाने के लिएभारत में पैर पसारते जा रहे हैं।इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए वामपंथी दल, मध्यममार्गी राष्ट्रीय दल एवं क्षेत्रीय दल भाजपा-संघ की सांप्रदायिक टोली के खतरों को भांप रही है और 2014 के चुनाव में मात्र 31 फीसद वोट पाकर भाजपा की सरकार बनाने के बाद कापरेरेट घरानों को छूट और लूट की नीति पर चलते हुएदेश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कर हाल ही में संपन्न पांच राज्यों की चुनावी सफलता से गदगद होकर 2019 का भी चुनाव जीतने के लिएदेश में चुनावी अभियान सांप्रदायिक बुनियाद पर जारी कर चुकी है।

अभी चुनाव के लिएदो वर्ष बाकी है, लेकिन भाजपा पिछले एक साल से चुनावी अभियान में कूद चुकी है और भुवनेश्वर में हाल ही में संपन्न राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में घोषणा कर चुकी है कि उसका लक्ष्य 2019 है और कुछनहीं। अब देश की धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, वामपंथी प्रगतिशील शक्तियों, व्यक्तियों, समूहों की जिम्मेदारी बन पड़ी है कि संघ परिवार की आक्रामक सांप्रदायिक नीतियों के खिलाफ एक व्यापक प्लेटफार्म बनाकर आतंकित जनमन को विास दिलाएं कि संविधान श्रेष्ठ है और उसकी हिफाजत के लिए प्रगतिशील शक्तियां गतिशील हैं।

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