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जीवनी

हरकिशन सिंह सुरजीत जीवन परिचय | Harkishan Singh Surjeet Biography in Hindi

हरकिशन सिंह का जन्म 23 मार्च 1916 को पंजाब राजया के बुंडला मे हुआ था | उन्हेांने अपने शुरुआती किशोरा वस्था मे क्रांतिकारी सामाजवादी भगत सिंह के अनूयायी के रुप मे राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन मे अपना राजनितिक जीवन शुरु किया था

हरकिशन सिंह सुरजीत जीवन परिचय | Harkishan Singh Surjeet Biography in Hindi
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नाम : हरकिशन सिंह सुरजीत

जन्म तिथी: 23 मार्च 1916

स्थान : बुंडला, पंजाब

व्यावसाय : कम्यूनिस्टा राजनेता

पत्नी : प्रितम कौर

मृत्यू : 1 अगस्ता 2008

प्रारंभिक जीवनी :

हरकिशन सिंह का जन्म 23 मार्च 1916 को पंजाब राजया के बुंडला मे हुआ था | उन्हेांने अपने शुरुआती किशोरा वस्था मे क्रांतिकारी सामाजवादी भगत सिंह के अनूयायी के रुप मे राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन मे अपना राजनितिक जीवन शुरु किया था | 1930 मे उनके नौजवान भारत सभा मे शामिल हुए थे | 1936 मे सुरजीत भारतीय कम्यूनिस्टा पार्टि मे शामिल हुए थे | हाँलाकि उन्हेांने उपने पूरे जीवन मे ऐ सिख पगडी का खेल किया, लेकिन सुरजीत नास्तिक रहै |

कार्य :

हरकिशन सिंह सूरजीत पंजाब के एक भारतीय कमूनिस्टा राजनेता थे | जिनहेांने 1992: 2005 तक भारतीय कम्यूनिस्टा पार्टी मार्क्सवादी क महासचिव के रुप मे कार्य किया और 1964 से पाटी के राजनितिक ब्यूरो के सदस्या थे | वह पंजाब मे किसान सभा संघ के सह संस्थापक थै | युध्दा पूर्व वर्षो मे उनहेांने दुखी दुनिया और चिंगारी का प्रकाशन शुरु किया था |

जब भारत 1947 मे स्वतंत्र और विभाजित हुआ, तब सुरजीत पंजाब मे सीपीआई के सचिव थे | हरकिशन सिह के साठे सात दशक लंबे राजनितिक जीवन कि शुरुआत ब्रिटीश औपनिवेशक शासन के खिलाफ उनकी कट्रटर लढाई से हुई थी | इसका समापन चार दशकों के लिए माकपा मे उनकी प्रमूख भूमिका के साथ हुआ था | सुरजीत ने अपने क्रांतीकारी करियर कि शूरुआत भगत सिंह कि शहादत से प्रभावित होकर कि थी |

उनहोंने मार्च 1932 मे होशियार पूर कि जिला अदालत मे 16 साल कि उम्र मे तिरंगा फहराया था |उनहें गिरुफतार कर लिया गया था | और किशोर अपराधियों के लिए एक सुधारक स्कूल मे भेज दिया गया था | वह अपनी रिहाई के बाद पंजाब मे शूरुआती कम्यूनिस्टा अग्रदृतों के संपर्क मे आयाथा | वे 1934 मे कम्यूनिस्टा पार्टी मे शामिल हुए और 1935 मे कांग्रेस सोशलिस्टा पाटी के सदस्या बने थे | उन्हे 1938 मे पंजाब राजया किसान सभा के सचिव के रुप मे चुना गया था |

उसी वर्ष वह पंजाब से निर्वाचित हो गए और उत्तारप्रेदश के सहारनपूर चले गए थे | जहाँ उन्हेांने एक मासिक पत्र चिंगारी शुरु किया था | वह दुसरे विश्वायुध्दा के फैलने के बाद भूमिगत लाहौर लाल किले मे कैद कर लिया गया था | जहाँ उसे तीन महिने तक एकांतवास भयाननक परिस्थितीयों मे रखा गया था |

बाद मे उनहे देवली नजरबंदी शिबिर मे स्थानांतरित कर दिया गया था | जहां वे 1944 तक रहे थे | किसानों के साथ उनके काम मे महासचिव और अखिल भारतीय किसान सभा के अध्याक्ष के रुप मे उनके चुनाव का नेतूत्वा किया था | उनहेांने कृषि श्रमिक संघ मे भी काम किया था | सुरजीत ने तीन दशकों तक अंतर्राष्ट्रीय विभाग का नेतृत्वा किया था | उन्होंने दुनिया भर के सभी कम्यूनिस्टा और प्रगतिशिल दलों केसाथ संबंध विकसित किए थे |

उन्हेाने वर्तमान राजनितिक मुद्रदो पर असंख्या पर्चे लिखे | माकपा के महासिचव के रुप मे वह देश मे वाम और लोकतांत्रिक ताकतों के लिए सबसे अधिकारीक प्रवक्ता बन गए थे | उन्हेांने लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों कि रक्षा के लिए अथक प्रयास किया था | उनहेाने 1992 मे सीपीआई एम कि केंद्रीय समिती के महासचिव चून जाने तक पार्टी के भीतर वृध्दि जारी रखी थी | एक पद जो उनहेांने 2005 तक रखा था |

पूस्तके :

1) भारत मे भूमि सूधार|

2) पंजाब मे हैपनिंग्सा|

3) कम्यूनिस्टा पार्टी के आउटलाइन इतिहास कि पुसतके|

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