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जीवनी

सरला देवी चौधरानी जीवन परिचय | Sarala Devi Chaudharani Biography in Hindi

सरला देवी चौध्ंरानी भारत मे पहली महिला संगठन कि संस्थापक थी | 1910 मे स्थापित इलाहाबाद मे भारत स्त्री महामंडल इस संगठनव्दारे उन्होंने महिला शिक्षा को बढावा देने का कार्य विकसित किया था |

सरला देवी चौधरानी जीवन परिचय |  Sarala Devi Chaudharani Biography in Hindi
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नाम : सरला देवी चौधरानी

जन्म तिथी : 9 सितंबर 1872

स्थान : कोलकत्ता, बंगाल ब्रिटीश भारत

पति : रामभूज दत्ता चौधरी

व्यावसाय : शिक्षाविद, राजनितीक कार्यकर्ता

प्रारंभिक जीवनी :

सरला देवी चौध्ंरानी भारत मे पहली महिला संगठन कि संस्थापक थी | 1910 मे स्थापित इलाहाबाद मे भारत स्त्री महामंडल इस संगठनव्दारे उन्होंने महिला शिक्षा को बढावा देने का कार्य विकसित किया था | इस संगठन ने पूरे भारत मे महिलाओं कि स्थिती मे सुधार लाने के लिए लाहौर, इलाहाबाद, दिल्ली, कराची, अमूतसर हैदराबाद, कानपूर बांकूश, हजारीबाग, मिदनापूर ओर कोलकत्ता मे कई कार्यालय खोले थे |

सरला देवी चौधरानी का जन्म 9 सितंबर 1972 कोभारत मे कोलकत्ता शहर मे हुआ था |वह एक प्रसिध्दा बंगाली बौध्दिक परिवार मे थी | उनके पिता का नाम जनकीनाा धोषाल था | वह एक बंगाली कॉग्रेस के शूरुवाती सचिव थे | उनकी माता का नाम स्वर्णकुमारी देवी था | वह एक प्रसिध्दा लेखिका थी |

सरला ने सन 1886 मे उनहेांने अपनी विश्वाविघ्यालय प्रवेश परीक्षा पास कि थी | सन 1890 मे उन्हेांने बेश्यून कॉलेज से अंग्रेजी साहित्या मे बीए कि उपाधि प्रात्पा कि थी | वह उस समय कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलनन मे बंगला कि पहिली राजनितिक नेता थी | सन 1905 मे उन्हेांने आर्य समाज के अनूयायी रामभूज दत्ता चौधरी से विवाह किया था |

कार्य :

सरला ने शिक्षक के रुप मे मैसूर कि महारानी गर्ल्स स्कूल मे काम किया है | उसके बाद उन्होंने बंगाल पत्रिका भारती के लिए लीखना शूरु किया था | उसके बाद उन्होंने अपनी राजनितिक गितिविधियाँ शूरु कि थी | सन 1904 मे उन्हेांने महिलाओं व्दारा उत्पादित देशी हस्ताशिल्पा को लोकप्रिया बनाने के लिए कोलकत्ता लक्ष्मण भंउार शुरु किया था |

सन 1910 मे सरला ने भारत स्त्री महामंडल कि स्थापना कि थी | जिसे कई इतिहासकार महिलाओं के लिए पहला अखिल भारतीय संगठन मानते थे | देश मे कई शाखाओं के साा इसने वर्ग, जाती और धर्म पर विचार किए बिना महिलाओं के लिए शिक्षा और व्यावसायीक प्रशिक्षण को बढावा दिया है |

सन 1924 से 1926 तक उन्होंने भारती का संपादन किया था | सन 1930 मे कोलकत्ता मे उन्हेांने लडकियों के लिए स्कूल शिक्षा सदन कि स्थापना कि थी | सन 1935 मे सविजनकि जीवन से सेवानिवृत्ता हुई और वह धार्मिक, स्पीकार करने के लिए प्रेरित हुई थी |

पूरस्कर और सम्मान :

1) सन 2011 मे बनर्जी ने उनकी आत्मकथा को स्कैटरड लीत्सा ऑफ माई लाइफ केा अनूवाद किया गया है |

2) सरला को सर्वक्रहढ महिला छा9 के लिए पघावती स्वर्ण्ं पदक प्रातपा हुआ था |

पुस्तक/ग्रंथ :

1) 1942: 1943 मे प्रकाशित : जीवनेर झाारा पाट|

2) सरला देवी चौधूरानी का 18 अगस्ता 1945 मे कोलकत्ता मे निधन हुआ था |

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