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योगी राज: रिक्शा चालक ग़रीब परिवारों पर योगी सरकार ने लगा दिया रासुका, रिहाई मंच ने उठाये गंभीर सवाल

योगी राज: रिक्शा चालक ग़रीब परिवारों पर योगी सरकार ने लगा दिया रासुका, रिहाई मंच ने उठाये गंभीर सवाल
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रिक्शा खींचकर परिवार की गाड़ी चलाते रहे नूर हसन की पत्नी अकीला बानो अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ इंदिरा आवास योजना के तहत जिस मकान में रहती हैं उसमें दरवाजा तक नहीं लग सका है। इसी तरह असलम की पत्नी शन्नो हों या मकसूद की पत्नी सलीकुन निषां, उनकी आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय है कि अपने पति से जेल में मिलने के लिए जाने का किराया भी नहीं जुटा पातीं। ऐसे में वो कानूनी लड़ाई लड़ें कि अपने छोटे-छोटे बच्चों के पेट भरने की लड़ाई। इस पूरे क्षेत्र में लगभग सभी की यही हालत है, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान। सबके सब मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन चलाते रहे हैं।


ये लोग गुमटी, रिक्शा खींचकर, ईंट भट्टे पर मेहनत-मजदूरी कर किसी तरह अपने परिवार का जीवन यापन करते थे। इनकी रिहाई से समाज में भय या नफरत फैलने का कहीं से कोई खतरा नहीं है। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से न्यायहित में मांग की गई कि मुन्ना, नूर हसन, असलम, मकसूद रजा, मो0 अरषद पर लगा रासुका खारिज किए जाने की सिफारिष की जाए। प्रतिनिधिमंडल ने पिछले दिनों गुरघुट्टा के ईदगाह में सूअर बांधे जाने जैसी घटना को लेकर कहा कि इलाके में कुछ शरारती तत्व सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश में लगे हैं।


नूर हसन पुत्र बब्बन को 19 फरवरी 2018, असलम पुत्र मुनव्वर को 22 फरवरी 2018, मकूसद रजा पुत्र खलील बेग को 29 जनवरी 2018 समेत मुन्ना और मो0 अरषद को भी रासुका के तहत निरुद्ध किया गया। 29 जनवरी 2018 को रासुका के तहत निरुद्ध किए गए मकसूद रजा की निरुद्ध अवधि को 24 अपै्रल 2018 को अनन्तिम रुप से परिवर्तित करते हुए छह माह के लिए बढ़ा दिया गया। ठीक इसी तरह मुन्ना, नूर हसन, असलम और मो0 अरषद की भी रासुका अवधि को छह माह तक बढ़ा दिया गया। जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव से मुलाकात में कहा गया कि रासुका में निरुद्ध किए गए लोग आर्थिक रुप से बहुत कमजोर हैं, इनसे राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है।


जिलाधिकारी ने आष्वासन दिया कि मामला उनके सामने आने पर वे इसको संजीदगी से देखेंगी। वहीं पुलिस अधीक्षक बाराबंकी सभाराज से प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि मुन्ना, नूर हसन, असलम, मकसूद रजा, मो0 अरषद से समाज में भय या नफरत फैलने का कोई खतरा नहीं है बल्कि उनके जेल में रहने से उनके परिवार के जीवन पर जरुर खतरा है। इस दौरान रासुका में निरुद्ध लोगों के परिजन भी उपस्थित थे। पुलिस अधीक्षक ने मामले पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आष्वासन दिया।


(रिहाई मंच द्वारा जारी) 

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