बड़ी खबर: आखिर केजरीवाल-मोदी में हो गई डील? कहा, मोदी विरोधी किसी भी गठबंधन का नहीं होंगे हिस्सा
BY Jan Shakti Bureau11 Aug 2018 1:41 PM IST

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Jan Shakti Bureau11 Aug 2018 7:18 PM IST
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को राज्य सभा में डिप्टी चेयरमैन के चुनाव में हिस्सा ना लेने के बाद शाम को बाकायदा ऐलान कर दिया कि 2019 में होने वाले आम चुनावों में वह मोदी के खिलाफ बनने वाले विपक्ष के गठबंधन का हिस्सा नहीं होंगे। ये कोई ऐसी खबर नहीं है जिस पर हैरान होने की जरुरत हो, क्योंकि कांग्रेस आम आदमी पार्टी पर ये आरोप लगाती रही है कि वह बीजेपी की बी टीम है और दिल्ली में जो केजरीवाल सरकार और एलजी में झगड़ा रहता है, वह नूराकुश्ती के अलावा कुछ नहीं है। इसका मकसद सिर्फ और सिर्फ बीजेपी विरोधी वोटों को बिखेरना है।
गुरुवार को राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन के चुनाव में हिस्स न लेने की अपनी रणनीति का बचाव करते हुए जिस तरह आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष को निशाना बनाया, उससे स्पष्ट जाहिर हो गया ता कि आम आदमी पार्टी मोदी विरोधी गठबंधन का हिस्सा नहीं बन सकती।दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री हारुन युसूफ का कहना है कि "अगर आम आदमी पार्टी के इतिहास पर नजर डालेंगे तो आपको अंदाजा हो जाएगा कि वह किस के लिए काम करती है। इस पार्टी के रामलीला मैदान से लेकर अब तक के सफर को आप देखें तो आपको अंदाजा हो जाएगा कि इस पार्टी के जन्म से लेकर परवरिश तक का सारा काम आरएसएस ने किया है और संघ की इस परवरिश का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ ये है कि कांग्रेस के मोदी विरोधी वोटरों, खासकर मुसलमानों और दलितों को बांटकर रखा जाए, जिससे बीजेपी को सत्ता में लाने में मदद की जा सके।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में सत्ता संभालने के बाद इस पार्टी ने वैसे किसी भी राज्य में चुनाव नहीं लड़ा जहां कांग्रेस की सरकार थी, ताकि कांग्रेस विरोधी वोट ना बंटे और जहां बीजेपी सरकार में थी वहां इस पार्टी ने चुनाव लड़ा, जिससे बीजेपी विरोधी वोट बंट जाए और बीजेपी सत्ता में रहे। अब से लोगों को देखना है कि वह सीधे मोदी को हराना चाहते हैं या फिर आम आदमी पार्टी के पीछे खड़े हो कर मोदी को सत्ता में दोबारा लाना चाहते हैं।
संजय सिंह से लेकर आम आदमी पार्टी के कई नेताओं ने कल राहुल गांधी के खिलाफ ये कह कर बयान दिया कि जो नेता विपक्ष की पार्टियों से बात भी नहीं करता है, वह कैसे विपक्षी एकता कायम कर सकता है। वैसे तो ये बयान पूरी तरह बेबुनियाद है, लेकिन अगर आम आदमी पार्टी पीएम मोदी की इतनी बड़ी विरोधी है, जिनकी सरकार उनको दिल्ली में काम नहीं करने देती तो उसके खिलाफ वोट देने में क्या नुकसान था।
मोदी का विरोध सिर्फ इसलिए बंद कर दिया गया क्योंकि राहुल गांधी ने उनसे संपर्क ही नहीं किया।केजरावील आम लोगों की राजनीति करने के नाम पर मोदी विरोधी वोट बांटने की पूरी कोशिश करेंगे और शायद उनके इस रवैये की वजह से उनको राष्ट्रपति चुनाव में किसी ने नहीं पूछा था और अभी तक विपक्षी गठबंधन की एकता के लिए हुई बैठकों में उन्हें कोई नहीं बुलाता। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रोहतक में कल जो बयान दिया है कि वह साल 2019 के आम चुनावों में किसी भी गठबंधन का हिस्स नहीं होंगे, इससे ये बात जाहिर हो गई है कि बिल्ली थैले से बाहर आ गई है।
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