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अभी अभी: एससी-एसटी ऐक्ट के खिलाफ सवर्णों का आज भारत बंद, मध्य प्रदेश के अधिकतर जिलों में धारा 144 लागू, ग्वालियर में स्कूल-कॉलेज बंद

अभी अभी: एससी-एसटी ऐक्ट के खिलाफ सवर्णों का आज भारत बंद, मध्य प्रदेश के अधिकतर जिलों में धारा 144 लागू, ग्वालियर में स्कूल-कॉलेज बंद
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नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम (एससी/एसटी ऐक्ट) में संशोधन कर उसे मूल स्वरूप में बहाल करने के विरोध में सवर्ण समुदाय के संगठनों ने आज यानी 6 सितंबर को भारत बंद बुलाया है। देश के कई इलाकों से सवर्ण संगठनों के भारत बंद के मद्देनजर एहतियातन कदम उठाए गए हैं। एससी/एसटी ऐक्ट में संशोधन के विरोध में गुरुवार को प्रस्तावित भारत बंद को देखते हुए बिहार, मध्य प्रदेश समेत देशभर में पुलिस-प्रशासन अलर्ट पर है।



भारत बंद को देखते हुए मध्य प्रदेश के 10 जिलों में धारा 144 लागू है। गुरुवार 6 सितंबर को कथित तौर पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार अधिनियम को लेकर लाए गए अध्यादेश के खिलाफ सवर्ण समुदाय ने भारत बंद किया है। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर किसी संगठन द्वारा बंद का आह्वान नहीं किया गया है। बिहार, झारखंड, यूपी, मध्य प्रदेश, समेत कई राज्यों में सुरक्षा एजेंसियां बंद को लेकर पैनी नजर रखे हुए हैं। यह विरोध छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में ज्यादा प्रखर है जहां इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं।सबसे प्रखर विरोध मध्य प्रदेश में हो रहा है। यहां बंद को सामान्य, पिछड़ा, अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था समेत करीब 35 संगठनों ने समर्थन दिया है। अधिकतर जिलों में धारा 144 लगा दी गई है।


क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया था कि एससी, एसटी एक्ट से जुड़े मामले में किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा दर्ज होने से पहले उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच होनी चाहिए। एससी, एसटी संगठनों ने फैसले का विरोध करते हुए बीते दो अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था, जिसमें काफी हिंसा भी हुई। जिसके बाद विपक्ष और बीजेपी के सहयोगी पार्टियों ने इस पर सरकार से दखल देने की मांग की। दबाव बढ़ता देख केंद्र सरकार ने संसद को दोनों सदनों में कानून पास कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया। इस संशोधन के जरिए सुप्रीम कोर्ट का वह आदेश निष्प्रभावी हो गया, जिसके तहत एससी/एसटी अत्याचार निवारण के मामले में आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई थी। मतलब, बिना जांच के भी मुकदमा दायर करने और गिरफ्तारी का रास्ता साफ हो गया है।

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