स्तनपान कराती महिला की फोटो छापने के मामले में हाई कोर्ट ने कह दी बड़ी बात-कहा- 'अश्लीलता देखने वालों की आंखों में होती है'
BY Jan Shakti Bureau22 Jun 2018 1:03 PM GMT
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Jan Shakti Bureau22 Jun 2018 6:36 PM GMT
केरल हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि अश्लीलता देखने वालों की आंखों में होती है। किसी के लिए जो अश्लीलता है, दूसरे के लिए कलाकारी हो सकती है। अदालत ने यह टिप्पणी एक मलयालम पत्रिका 'गृहलक्ष्मी' के कवर की शिकायत वाली याचिका पर फैसला करते हुए कहा है। कोर्ट ने कहा कि एक व्यक्ति के लिए जो चीज अभद्रता है वही दूसरे के लिए काव्यात्मक है। दरअसल, मलयालम पत्रिका गृहलक्ष्मी के कवर पर मॉडल गिलु जोसेफ की तस्वीर छपी थी जिसमें वो एक बच्चे को स्तनपान कराती नजर आ रही थीं। तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा था- केरल की माएं कह रही हैं, कृपया घूरें नहीं। हमें स्तनपान की जरूरत है।
पत्रिका के इस कवर फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी, जिसे लेकर काफी विवाद हो गया था और केरल हाई कोर्ट में इसे कामुक और अश्लील बताते हुए याचिका दायर की गई थी। NDTV के मुताबिक, केरल हाईकोर्ट ने कवर पेज पर एक मॉडल के स्तनपान की तस्वीर छापने को लेकर मलयालम पत्रिका के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग वाली याचिका को निरस्त करते हुए कहा कि कुछ लोगों के लिए अश्लील चीजें दूसरों के लिए कलात्मक हो सकती हैं। न्यायमूर्ति एंटनी डोमिनिक और न्यायमूर्ति दामा शेषाद्रि नायडू की पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हमें तस्वीर में कुछ भी अश्लील नहीं लग रहा है, न ही इसके कैप्शन में कुछ आपत्तिजनक है।
हम तस्वीर को उन्हीं नजरों से देख रहे हैं जिन नजरों से हम राजा रवि वर्मा जैसे कलाकारों की पेंटिंग्स को देखते हैं।' पीठ ने कहा, 'चूंकि सौंदर्य देखने वाले की नजर में होता है उसी तरह अश्लीलता भी संभवत: नजर में होती है।' आदेश हालांकि मार्च में सुनाए गए थे लेकिन लोगों के सामने ये अब आए हैं। न्यायमूर्ति डोमोनिक अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। याचिका में फेलिक्स एम. ए. ने कहा था कि पत्रिका का कवर पेज यौन अपराध से बच्चों की सुरक्षा कानून की धाराएं 3 (सी) और 5 (जे), तीन का उल्लंघन करता है। साथ ही यह किशोर न्याय कानून की धाराओं का भी उल्लंघन करता है।
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