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EXCLUSIVE: राज्यसभा से इस्तीफे के बाद सपा-कांग्रेस के दम पर मायावती फूलपुर से लड़ेंगी उपचुनाव! जानें क्या है इस सीट की विशेषता

EXCLUSIVE: राज्यसभा से इस्तीफे के बाद सपा-कांग्रेस के दम पर मायावती फूलपुर से लड़ेंगी उपचुनाव! जानें क्या है इस सीट की विशेषता
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वाराणसी: बसपा सुप्रीमो मायावती ने अब आक्रामक रहने ने संकेत दे दिए हैं। इसकी नजारा उन्होंने मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सहारनपुर की घटना को लेकर न बोलने देने पर इस्तीफे की धमकी और शाम को इस्तीफा देकर दिखा दिया। अपनी दलित राजनीति को बचाने के लिये उन्हें शायद ऐसे आक्रामक रुख की जरूरत है, क्योंकि अब यूपी के दलित भीम सेना जैसे संगठन और उनके प्रमुख चंद्रशेखर में अपना नेता देखने लगे हैं। कहा जा रहा है कि मायावती एक बार फिर दलितों के बीच जाकर लगातार खोती जा रही राजनीतिक जमीन वापस पाने की कोशिश करेंगी।


अपने इस्तीफे के बाद वह संसद के दोनों में से किसी सदन की सदस्य नहीं रहेंगी ऐसा नहीं। सूत्रों की मानें तो उनकी योजना अब लोकसभा उपचुनाव में दम दिखाने की है और वह भी यूपी उपचुनाव में। राष्ट्रपति चुनाव के बाद यूपी की दो लोकसभा सीटें खाली भी होने वाली हैं। यूपी में खाली होने वाली सीटों में दोनों प्रमुख और वीआईपी है। पहली सीट है गोरखपुर की जहां से यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री लगातार सांसद चुनते चले आए हैं। इसके अलावा दूसरी सीट है इलाहाबाद की फूलपुर जहां से यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य फिलहाल सांसद हैं। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों को ही लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना है, पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव का इंतजार हो रहा था। मीडिया में आ रही संभावनाओं और सूत्रों से ये खबर है कि मायावती इन्हीं दोनों में से एक सीट से उपचुनाव में अपना दम दिखा सकती हैं।


फूलपुर सीट से लड़ सकती हैं मायावती

हालांकि अभी तक इस बारे में न तो बसपा की ओर से कोई बयान आया है और न ही खुद मायावती ने कुछ कहा। पर सूत्रों बताते हैं कि राजनैतिक गलियारों में जिस तरह से चर्चा है उससे यह तकरीबन सच माना जा रहा है। पर सवाल यह कि मायावती अगर उपचुनाव में पूर्वांचल की इन दोनों सीटों में से किसी पर उपचुनाव लड़ेंगी तो वह किस सीट को चुनेंगी। जहां इलाहाबाद की फूलपुर सीट ऐतिहासिक है वहीं गोरखपुर सीट भी कम नहीं यहां वर्तमान यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी हिन्दू युवा वाहिनी का सिक्का चलता है। यहां से लड़ना मायावती के लिये नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि यहां बीजेपी को छोड़ किसी की स्थिति बहुत बेहतर नहीं। ऐसे में मायावती के लिये फूलपुर सीट ही मुफीद होगी। इस इस सीट पर राजनैतिक समीकरण और आंकड़े ज्यादा खिलाफ नहीं।


सपा- कांग्रेस का समर्थन मिल सकता


अगर ऐसा हुआ और मायावती ने फूलपुर सीट से उपचुनाव में ताल ठोंकी तो उन्हें सपा और कांग्रेस का भी साथ मिल सकता है। सपा और कांग्रेस दोनों के लिये फिलहाल अपनी जीत से ज्यदा बीजेपी की हार जरूरी है। ऐसे में दोनों बहनजी के खिलाफ अपना प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला कर सकते हैं। यह वजह बसपा सुप्रीमो मायावती के लिये उपचुनाव में फायदेमंद साबित होने वाला है। दूसरी बात यह कि 2019 में महागठबंधन बनाने के लिये और वर्तमान केन्द्र सरकार के खिलाफ मजबूत विपक्ष के लिये भी मायावती को जिताने के लिये सपा और कांग्रेस समेत दूसरे दल हर हाल में मदद करेंगे। अब जबकि यह बात खुद गई है तो पटना में लालू यादव की 27 अगस्त को हो रही रैली में इस योजना पर सहमती बन जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी।


फूलपुर लोकसभा सीट ऐतिहासिक है

इलाहाबाद की फूलपुर सीट का राजनैतिक इतिहास काफी समृद्ध रहा है। इस सीट ने सियासत ने कई करवटें बदली हैं। राजनीति के तकरीबन सभी रंग इस सीट ने देखे हैं। 1952 से लेकर 1962 तक देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। समाजवादी विचारक डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने 1962 में जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ लोकसभा चुनाव मजबूती से लड़े और हार गए। इस सीट से विजय लक्ष्मी पंडित, जनेश्वर मिश्रा, पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह, कमला बहुगुणा, अतीक अहमद वगैरह चुनाव जीत चुके हैं। सबसे अधिक सात बार कांग्रेस, चार बार सपा, दो बार जनता दल, व एक-एक बार सम्युख सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय लोकदल, जनता पार्टी सेक्युलर, बसपा व बीजेपी ने जीत हासिल की है।

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