Rakesh Sharma Biography – जब अंतरिक्ष में गूंजा 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा', पढ़िए राकेश शर्मा की कहानी

Rakesh Sharma Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा के बारे में. भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए राकेश शर्मा विश्व के 138वें अंतरिक्ष यात्री है. राकेश शर्मा ने 8 दिन अंतरिक्ष में बिताए थे.

Update: 2021-07-21 06:31 GMT

Rakesh Sharma Biography – दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा के बारे में. भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए राकेश शर्मा विश्व के 138वें अंतरिक्ष यात्री है. राकेश शर्मा ने 8 दिन अंतरिक्ष में बिताए थे. इस मिशन के दौरान राकेश शर्मा ने भारत के कई हिस्सों की फोटोग्राफी भी की थी. इसके अलावा राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में योगाभ्यास भी किया. राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा प्रत्येक भारतीयों के लिए गर्व का विषय है.

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि राकेश शर्मा कौन थे?, राकेश शर्मा का जन्म कहाँ हुआ था?, राकेश शर्मा किस उम्र में अंतरिक्ष में गए थे. इसके अलावा भी बहुत चीजें जिनके बारे में हम इस आर्टिकल में बात करेंगे. तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं राकेश शर्मा का जीवन परिचय.

राकेश शर्मा जीवनी (Rakesh Sharma Biography)

अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटिआला शहर में एक गौड़ ब्राह्मण परिवार में हुआ था. राकेश शर्मा के पिता का नाम देवेन्‍द्र शर्मा था. राकेश शर्मा की माता का नाम तृप्‍ता शर्मा था. राकेश शर्मा के जन्म के बाद उनके माता-पिता हैदराबाद शहर में रहने के लिए चले गए थे.


राकेश शर्मा शिक्षा (Rakesh Sharma Education)

राकेश शर्मा ने अपनी स्कूली शिक्षा हैदराबाद के सेंट जॉर्ज ग्रामर स्कूल से पूरी की है. इसके बाद राकेश शर्मा ने हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया.

राकेश शर्मा करियर (Rakesh Sharma Career)

साल 1966 में राकेश शर्मा का चयन राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी (NDA) में हुआ. राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद साल 1970 में राकेश शर्मा को भारतीय वायुसेना में बतौर पायलट नियुक्त किया गया. इसके एक साल बाद ही साल 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध के दौरान राकेश शर्मा ने मिग विमान को सफलतापूर्वक उड़ाकर अपनी योग्यता साबित की. अपनी योग्यता की बदौलत ही साल 1984 में राकेश शर्मा भारतीय वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर के पद तक पहुंचे.

राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा (Rakesh Sharma space journey)

उस समय भारत के अंतरिक्ष विज्ञान संगठन 'इसरो' और सोवियत संघ के 'इन्टरकॉसमॉस' मिलकर एक संयुक्त अभियान पर काम कर रहे थे. इस अभियान के तहत तीन लोगों को अंतरिक्ष में भेजा जाना था. इन तीन लोगों में से 2 यात्री सोवियत संघ के होंगे जबकि एक भारत का. 20 सितम्बर 1982 को राकेश शर्मा और एक अन्य भारतीय रवीश मल्होत्रा का चयन इसके लिए किया गया. यानी राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा में से किसी एक को भारत की तरफ से अंतरिक्ष में जाना था. मिशन के तहत जरूरी प्रशिक्षण लेने के लिए राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा को सोवियत संघ के कज़ाकिस्तान स्थित अंतरिक्ष स्टेशन बैंकानूर भेजा गया. यहां प्रशिक्षण के दौरान राकेश शर्मा की काबिलियत को देखते हुए उन्हें अंतरिक्ष में जाने के लिए चुना गया.


8 दिन अंतरिक्ष में बिताए

2 अप्रैल 1984 को राकेश शर्मा ने दो सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों कमांडर वाई वी मलिशेव और फ्लाइट इंजीनियर जी एम स्त्रोक्लोफ़ के साथ अंतरिक्ष के उड़ान भरी. राकेश शर्मा ने जिस अंतरिक्ष यान के जरिए उड़ान भरी उसका नाम अंतरिक्षयान सोयुज टी-11 था. उड़ान भरने के बाद तीनों अंतरिक्ष यात्री सोवियत संघ द्वारा स्थापित ऑर्बिटल स्टेशन सोल्युज-7 में पहुंच गए. इस तरह भारत अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला 14 देश बना था. राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में 7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट बिताए. इस दौरान इन्होने कई रिसर्च भी की.

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा

राकेश शर्मा जब अंतरिक्ष में थे तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने सोवियत संघ के अधिकारीयों के साथ मिलकर अंतरिक्ष यात्रियों से बात की थी. इस बातचीत के दौरान इंदिरा गाँधी ने राकेश शर्मा से पूछा था कि, 'अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है?' इस पर राकेश शर्मा ने कहा था कि, 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा.' राकेश शर्मा की यह बात अगले दिन अख़बारों की सुर्खियां बन गई थी.

अशोक चक्र

अंतरिक्ष यात्रा से लौटने के बाद भारत में राकेश शर्मा का भारत में जोरदार स्वागत किया गया. भारत सरकार ने राकेश शर्मा की बहादुरी के लिए उन्हें 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया, वहीं सोवियत संघ ने भी राकेश शर्मा को 'हीरो ऑफ़ सोवियत यूनियन' के सम्मान से सम्मानित किया. सबसे अमीर देश होने के बाद भी भारत पहला राकेट साइकिल और पहली सेटेलाइट बैल गाड़ी पर लाया था

1987 में हुए रिटायर

राकेश शर्मा साल 1987 में भारतीय वायु सेना से विंग कमांडर के पद से रिटायर हुए. सेवानिवृत्त होने के बाद राकेश शर्मा ने कुछ समय के लिए 'हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड (HAL) में टेस्ट पायलट के तौर पर भी काम किया. इसके अलावा साल 2006 में राकेश शर्मा को ISRO के बोर्ड में नामित किया गया था.

राकेश शर्मा की पत्नी (Rakesh Sharma Wife)

राकेश शर्मा ने कर्नल पी एन शर्मा की बेटी मधु शर्मा से शादी की थी. दोनों ही पति-पत्नी को रुसी भाषा का ज्ञान था. राकेश शर्मा और मधु शर्मा के दो बच्चे भी हुए. राकेश शर्मा के बेटे का नाम कपिल है, वहीँ राकेश शर्मा की बेटी का नाम कृतिका है. कपिल फिल्म जगत में डायरेक्टर है जबकि बेटी मीडिया में आर्ट डिविजन में है.

राकेश शर्मा अब कहाँ हैं? (Where is Rakesh Sharma now)

news18 के अनुसार राकेश शर्मा इन दिनों तमिलनाडु के खूबसूरत हिल टाउन कुन्नूर में रहते हैं. वह बेंगलुरु की एक कंपनी कैडिला लैब्स में नान एग्जीक्यूटिव चेयरमैन भी हैं.

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