Baba Amte Biography in Hindi | बाबा आमटे का जीवन परिचय

Baba Amte Biography in Hindi | बाबा आमटे का पूरा नाम डॉ मुरलीधर देवीदास आमटे था। वे देश के प्रख्यात और सम्माननीय समाजिक कार्यकर्ता Social Worker थे। उन्होंने आनंदवन की स्थापना कर कुष्ट रोगियों को नये जीवन और नये संघर्ष के लिए रास्ता दिया।

Update: 2020-11-28 17:11 GMT

Baba Amte Biography in Hindi | बाबा आमटे का जीवन परिचय

  • नाम डॉ. मुरलीधर देवीदास आमटे
  • जन्म 26 दिसम्बर 1914
  • जन्मस्थान हिंगनघाट, वर्धा (महाराष्ट्र)
  • पिता देविदास आमटे
  • माता लक्ष्मीबाई आमटे
  • पत्नी साधना आमटे
  • पुत्र प्रकाश आमटे
  • शिक्षा बी.ए., एल.एल.बी.
  • पुरस्कार पद्म विभूषण, गांधी शांति पुरस्कार, टेम्पलटन पुरस्कार
  • नागरिकता भारतीय

भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता बाबा आमटे (Baba Amte Biography in Hindi)

Baba Amte Biography in Hindi | बाबा आमटे का पूरा नाम डॉ मुरलीधर देवीदास आमटे था। वे देश के प्रख्यात और सम्माननीय समाजिक कार्यकर्ता Social Worker थे। उन्होंने आनंदवन की स्थापना कर कुष्ट रोगियों को नये जीवन और नये संघर्ष के लिए रास्ता दिया। उन्होंने वन्य जीव संरक्षण के लिए भी लोगों को जागरूक बनाने के लिए नई तरह के क्रियाकलाप आरंभ किया। नर्मदा को भी प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए भी इन्होंने आंदोलन चलाया।

प्रारंभिक जीवन (Baba Amte Early Life)

समाजसेवी बाबा आमटे का जन्म 26 दिसंबर, 1914 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के हिंगनघाट में एक धनी परिवार में हुआ था। बाबा आमटे के पिता देवीदास ब्रिटिश भारत के प्रशासन में शक्तिशाली नौकरशाह थे। बाबा आमटे के पिता देवीदास वर्धा जिले के धनी जमींदार थे। बाबा आमटे की माता का नाम लक्ष्मीबाई आमटे था। उन्हें बाबा इसलिए नही कहा जाता था की उनके माता-पिता ही उन्हें इस नाम से पुकारते थे। उनकी चार बहनें और एक भाई था। अपनी युवावस्था में धनी जमींदार का यह बेटा तेज कार चलाने और हॉलीवुड की फिल्म देखने का शौकीन था। अंग्रेजी फिल्मों पर लिखी उनकी समीक्षाएँ इतनी दमदार हुआ करती थीं कि एक बार अमेरिकी अभिनेत्री नोर्मा शियर ने भी उन्हें पत्र लिखकर दाद दी।

शिक्षा (Baba Amte Education)

बाबा ने अपनी आरंभिक स्कूली शिक्षा नागपुर के मिशन स्कूल में पूरा की उसके बाद नागपुर विश्विद्यालय से कानून की पढ़ाई की। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने कई अन्य विषयों को भी पढ़ा और फिर स्थानीय तौर पर वकालत का कार्य प्रारंभ किया।

स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल (Baba Amte Involved in Freedom Movement)

कानून विषय पर उन्होंने खास अभ्यास कर रखा था, जल्द ही वे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल हो गए और भारत को ब्रिटिश राज से मुक्ति दिलाने में लग गए और भारतीय स्वतंत्रता नेताओ के लिए वे बचावपक्ष वकील का काम करते थे। 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में जिन भारतीय नेताओ को ब्रिटिश सरकार ने कारावास में डाला था उन सभी नेताओ का बचाव आमटे ने किया था। बाबा आमटे राष्ट्र पिता महात्मा गांधी और विनोबा भावे से प्रभावित थे। बाबा आमटे ने इनके साथ मिलकर पूरे भारत का दौरा किया और देश के गांवों मे अभावों में जीने वालें लोगों की असली समस्याओं को समझने की कोशिश की थी।

इसके बाद थोडा समय उन्होंने महात्मा गाँधी के सेवाग्राम आश्रम में बिताया और गांधीवाद के अनुयायी बने रहे। इसके बाद जीवन भर वे गांधी विचारो पर चलते रहे, जिसमे चरखे से उन की कटाई करना और खादी कपडे पहनना भी शामिल है। जब गांधीजी को पता चला की आमटे ने ब्रिटिश सैनिको से एक लड़की की जान बचायी है तो गांधीजी ने आमटे को "अभय साधक" का नाम दिया।

निजी जीवन (Baba Amte Personal Life)

बाबा आमटे ने साल 1946 में साधना गुलशास्त्री से शादी की थी, जो की एक सेवा-धर्मी युवती थी। बाबा आमटे की पत्नी उनके सामाजिक कार्यों में मदद करती थीं। साधना गुलशास्त्री ताई के नाम से लोकप्रिय थीं। इनके दो बच्चे हुए प्रकाश और विकास। अपने माता-पिता के भांति दोनों ही संतानें गरीबों की मदद करते हैं। उनका पहला बेटा दिगंत, डॉक्टर है और दूसरा बेटा अनिकेत एक इंजिनियर है। इन दोनों ने भी कई सामाजिक कार्य किये है। 2008 में प्रकाश और मंदानिकी के सामाजिक कार्यो को देखते हुए उन्हें मेगसेसे अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

आनन्दवन संस्था की स्थापना (Baba Amte Founded Anandvan Institution)

35 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी वकालत को छेड़कर समाजसेवा शुरू कर दी थी। बाबा आमटे का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए आनन्दवन संस्था की स्थापना का था। आज वह एक विशाल रूप धारण कर चुकी है। आनन्दवन के साथ ही उन्होंने एक अन्ध विद्यालय की स्थापना भी की। गरीब, बेसहारा बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु उन्होंने गोकुल नामक संस्थान का गठन व संचालन किया। उन दिनों, कुष्ठ रोग एक सामाजिक कलंक बना हुआ था। समाज में तेज़ी से फ़ैल रहा था तब उन्होंने हमेशा कुष्ट रोग से पीड़ित मरीजो की सेवा की और उन का इलाज भी करवाया।

आमटे ने गरीबो की सेवा और उनके सशक्तिकरण और उनके इलाज के लिए भारत के महाराष्ट्र में तीन आश्रम की स्थापना की। 15 अगस्त 1949 को उन्होंने आनंदवन में एक पेड़ के निचे अस्पताल की शुरुवात भी की। 1973 में आमटे ने गडचिरोली जिले के मदिया गोंड समुदाय के लोगो की सहायता के लिए लोक बिरादरी प्रकल्प की स्थापना भी की थी।

आमटे ने अपने जीवन को बहुत से सामाजिक कार्यो में न्योछावर किया, इनमे मुख्य रूप से लोगो में सामाजिक एकता की भावना को जागृत करना, जानवरों का शिकार करने से लोगो को रोकना और नर्मदा बचाओ आन्दोलन शामिल है। उनके कार्यो को देखते हुए 1971 में उन्हें पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित किया गया।

"भारत जोड़ो" आंदोलन (Baba Amte Join India Movement)

बाबा आम्‍टे ने राष्‍ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए 1985 में कश्मीर से कन्याकुमारी तक और 1988 में असम से गुजरात तक दो बार "भारत जोड़ो" आंदोलन चलाया। नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर बांध निर्माण और इसके फलस्‍वरूप हजारों आदिवासियों के विस्‍थापन का विरोध करने के लिए 1989 में बाबा आम्‍टे ने बांध बनने से डूब जाने वाले क्षेत्र में निजी बल नामक एक छोटा आश्रम बनाया।

नर्मदा बचाओ आन्दोलन (Baba Amte Save Narmada Campaign)

1990 में मेधा पाटकर के साथ मिलकर नर्मदा बचाओ आन्दोलन करने के लिए उन्होंने आनंदवन छोड़ दिया था। जिसमे नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध बनाने के लिए वे संघर्ष कर रहे थे और स्थानिक लोगो द्वारा नर्मदा नदी के तट पर की जा रही गन्दगी की रोकने की कोशिश भी कर रहे थे।

बाबा आमटे का काव्य संग्रह (Baba Amte Poetry Collection) 

  • ज्वाला आणि फुले
  • उज्ज्वल उद्यासाठी

बाबा आमटे के पुरस्कार (Baba Amte Awards) 

  • 1971 में पद्मश्री बिभूषण
  • 1978 में राष्ट्रिय भूषण
  • 1999 में गाँधी शांती पुरुष्कार
  • 1979 में जनमालाल बजाज पुरुष्कार
  • 1986 में राजा राम मोहन राय पुरुष्कार
  • 1991 में आदिवासी सेवक पुरुष्कार
  • 1985 में रमण मेगसेसे पुरुष्कार
  • 1980 में एन.डी. दीवान पुरुष्कार
  • 1987 में जी.डी. बिरला इंटरनेशनल पुरुष्कार
  • 1997 में महाराष्ट्र द्वारा महात्मा गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट पुरस्कार
  • 1998 में अपंगो के सहायता के लिये अपंग मित्र पुरस्कार

बाबा आमटे के कुछ सुविचार (Baba Amte Good Idea) 

  • (1) मैं एक महान नेता नहीं बल्कि एक आदमी बनना चाहता हूँ मैं ज़रूरतमंदों की सहायता करना चाहता हूँ।
  • (2) मैं अपने लिये नहीं बल्कि दूसरों के लिये जीना चाहता हूँ।
  • (3) मेरे जीवन में नर ही नारायण है।

मृत्यु (Baba Amte Death)

भारत के विख्यात समाजसेवक बाबा आम्टे का निधन 9 फरवरी, 2008 को 94 साल की आयु में चन्द्रपुर ज़िले के वड़ोरा स्थित अपने निवास में निधन हो गया। Baba Amte Biography in Hindi

Tags:    

Similar News