‎Chaudhary Charan Singh Biography in Hindi | चौधरी चरण सिंह की जीवनी

‎Chaudhary Charan Singh Biography in Hindi | चौधरी चरण सिंह स्वतंत्र भारत के 5वे प्रधानमंत्री थे। इस पद को इन्होने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक सम्भाला। चरण सिंह का कार्यकम महज 7 महीने का था, लेकिन इस दौरान उन्होंने देश के किसान भाइयों की स्थति सुधारने व उनके अधिकार के लिए अथक प्रयास किये।

Update: 2020-11-22 04:36 GMT

‎Chaudhary Charan Singh Biography in Hindi | चौधरी चरण सिंह की जीवनी

‎Chaudhary Charan Singh Biography in Hindi | चौधरी चरण सिंह की जीवनी

  • पूरा नाम चौधरी चरण सिंह
  • जन्म 23 दिसम्बर 1902
  • जन्मस्थान मेरठ, उत्तरप्रदेश
  • पिता चौधरी मीर सिंह
  • माता मीर सिंह
  • पत्नी गायत्री देवी
  • पुत्र अजीत सिंह, सत्यवती सोलंकी, ज्ञानवती सिंह
  • पुत्री वेदवती सिंह, शारदा सिंह
  • व्यवसाय राजनेता
  • राजनैतिक पार्टी जनता पार्टी
  • नागरिकता भारतीय

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह (Charan Singh Biography in Hindi)

चौधरी चरण सिंह (Former Prime Minister of India Charan Singh) स्वतंत्र भारत के 5वे प्रधानमंत्री थे। इस पद को इन्होने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक सम्भाला। चरण सिंह का कार्यकम महज 7 महीने का था, लेकिन इस दौरान उन्होंने देश के किसान भाइयों की स्थति सुधारने व उनके अधिकार के लिए अथक प्रयास किये। 

चरण सिंह का प्रारंभिक जीवन (Charan Singh Early Life)

चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के नूरपुर ग्राम में एक मध्यम वर्गीय कृषक परिवार में हुआ था। इनका परिवार जाट पृष्ठभूमि वाला था। पिता का नाम मीर सिंह और माता का नाम गायत्री देवी था। चरण सिंह के पिता चौधरी मीर सिंह चाहते थे कि उनका पुत्र शिक्षित होकर देश सेवा का कार्य करे।

शिक्षा (Education)

उनकी प्राथमिक शिक्षा नूरपुर में ही हुई और उसके बाद मैट्रिकुलेशन के लिए उनका दाखिला मेरठ के सरकारी हाई स्कूल में करा दिया गया। 1923 में उन्होंने विज्ञान में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया और 1925 में आगरा यूनिवर्सिटी से उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया। Charan Singh Biography in Hindi

इसके बाद उन्होंने L.L.B किया फिर विधि की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 1928 में गाज़ियाबाद में वक़ालत आरम्भ कर दिया। वकालत के दौरान वे अपनी ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाने जाते थे। चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकदमों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष उन्हें न्यायपूर्ण प्रतीत होता था।

चरण सिंह का निजी जीवन (Charan Singh Personal Life)

चौधरी चरण सिंह का विवाह 23 वर्ष की अवस्था में 1925 में गायत्री देवी के साथ हुआ। उनका दांपत्य जीवन बड़ा ही खुशहाल रहा। वास्तव में श्रीमती गायत्री देवी एक सुलझी हुई विचारवान और उच्च आदर्शों वाली महिला थी। उनके साथ चौधरी साहब का जीवन हर्ष और प्रसंता से अभिभूत हो उठा। उनको एक पुत्र और पांच पुत्रियों थे।

चरण सिंह का आजादी की लड़ाई में योगदान :

1929 में चरण सिंह ने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में प्रवेश किया। सर्वप्रथम इन्होने गाजियावाद में काँग्रेस का गठन किया। 1930 में गांधीजी द्वारा चलाये गये "सविनय अवज्ञा आन्दोलन" में नमक कानून तोड़ने का आव्हान किया। चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिंडन नदी पर नमक बनाया और "डांडी मार्च" में भी भाग लिया। इस दौरान इन्हें 6 माह के लिए जैल भी जाना पड़ा। इसके बाद इन्होने महात्मा गाँधी की छाया में खुद को स्वतन्त्रता की आँधी का हिस्सा बनाया।

फरवरी 1937 में इन्हें विधानसभा के लिए चुना गया। मार्च 1938 में इन्होने "कृषि उत्पाद बाजार विधेयक" पेश किया यह विधेयक किसानों के हित में था। यह विधेयक सर्वप्रथम 1940 में पंजाब द्वारा अपनाया गया। 1940 के सत्याग्रह आन्दोलन में भी यह जेल गए उसके बाद 1941 में बाहर आये।

चरण सिंह राजनीतिक करियर (Charan Sing Political Career)

आजादी के बाद 1951 में उनकी नियुक्ती राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में की गयी और उन्होंने न्याय और सुचना विभाग का चार्ज दिया गया। बाद में 1952 में डॉ. संपूर्णानंद के कैबिनेट में वे रेवेन्यु और एग्रीकल्चर मंत्री बने। इसके बाद अप्रैल 1959 में जब उन्होंने इस्तीफा दिया तब उन्हें रेवेन्यु और ट्रांसपोर्ट विभाग का चार्ज दिया गया।

चरण सिंह व जवाहरलाल नेहरु के विचारो एवम कार्यप्रणाली में काफी मतभेद था। जिसके चलते इन दोनों में कई बार टकराव हुए, चरण सिंह नेहरु की आर्थिक नीती के आलोचक थे। इस मतभेद के चलते 1967 में काँग्रेस पार्टी को छोड़ दिया और राज नारायण और राम मनोहर लोहिया के साथ नयी पार्टी का गठन किया।

1960 में सी.बी. गुप्ता की मिनिस्ट्री में वे होम एंड एग्रीकल्चर मिनिस्टर थे। 1962 से 63 तक चरण सिंह ने श्रीमती सुचेता कृपलानी की मिनिस्ट्री में एग्रीकल्चर एंड फारेस्ट मंत्री रहते हुए देश की सेवा की थी। इसके बाद में उन्होंने एग्रीकल्चर विभाग को 1965 में छोड़ दिया था और 1966 में उन्होंने स्थानिक सरकारी विभागों का चार्ज दिया गया था।

कांग्रेस में विभाजन होने के बाद, वे दूसरी बार फरवरी 1970 में कांग्रेस पार्टी की सहायता से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। जबकि 2 अक्टूबर 1970 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागु किया गया था। Charan Singh Biography in Hindi 

प्रधानमंत्री पद को संभाला (Charan Sing As a Prime Minister)

1977 में मोरारजी देसाई जी के कार्यकाल में चरण सिंह गृहमंत्री रहे। इसी शासन के दौरान चरण सिंह और मोरारजी देसाई के बीच मतभेद बढ़ गये थे। इसके बाद चरण सिंह ने बगावत कर दी व जनता दल पार्टी छोड़ दी, जिससे मोरारजी देसाई की सरकार गिर गई। कांग्रेस व दूसरी पार्टी के समर्थन से चरण सिंह ने 28 जुलाई 1979 को प्रधानमंत्री पद को संभाला।

इस समय इन्हें इंदिरा गांधी जैसे दिग्गज नेता बहुत समर्थन दिया। समाजवादी पार्टी और काँग्रेस ने एक साथ समझौता कर शासन किया, पर कुछ वक्त बाद 19 अगस्त 1979 में इन्दिरा ने समर्थन वापस ले लिया और समर्थन के लिए इंदिरा ने शर्त रखी की, "उनकी पार्टी व उनके खिलाफ़ किये गये मुक़दमें वापस लिए जाये", पर चरण सिंह के लिए इस शर्त को मानना उनके सिधान्तों के विरुध्द था। इसलिए उन्होंने इस शर्त को स्वीकार नहीं किया और सिधान्तों के विरुध्द न जाकर, समर्थन न मिलने से प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

राजनेता होने के साथ-साथ वे बहुत सी किताबो के लेखक भी है चरण सिंह

  1. जमीनदारी का समापन
  2. सहकारी खेती का एक्स-रे
  3. भारत की गरीबी और सुझाव
  4. असभ्य मलिकी
  5. कामगारों की जमीन

चरण सिंह मृत्यु (Charan Singh Death)

लंबी बीमारी के कारण 29 मई 1987 को उनका निधन हो गया। दिल्ली में यमुना नदी के निकट उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसी स्थान पर उनका समाधि स्थल बनाया गया। जिसका नामाकरण लोकप्रिय किसान के नेता के नाम पर 'किसान घाट' के रूप में किया गया।

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