मनमोहन सिंह की जीवनी | Manmohan Singh Biography in Hindi

Manmohan Singh Biography in Hindi | मनमोहन सिंह एक भारतीय राजनेता हैं जो भारत 14वे प्रधानमंत्री थे। वह एक महान विचारक, विद्वान और बुद्धिमान अर्थशास्त्री हैं। मनमोहन सिंह की अपने कुशल और ईमानदार छवि के कारण सभी राजनीतिक दलों में अच्छी साख है।

Update: 2020-11-22 06:18 GMT

Manmohan Singh Biography in Hindi

मनमोहन सिंह की जीवनी | Manmohan Singh Biography in Hindi

  • पूरा नाम मनमोहन सिंह
  • जन्म 26 सितम्बर, 1932
  • जन्मस्थान गाह, पाकिस्तान
  • पिता गुरुमुख सिंह
  • माता अमृत कौर
  • पत्नी गुरशरण कौर
  • पुत्र उपिंदर सिंह, दमन सिंह, अमृत सिंह
  • व्यवसाय राजनीतिक, अर्थशास्त्री
  • नागरिकता भारतीय

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh Biography in Hindi) :

Manmohan Singh Biography in Hindi | मनमोहन सिंह एक भारतीय राजनेता हैं जो भारत 14वे प्रधानमंत्री थे। वह एक महान विचारक, विद्वान और बुद्धिमान अर्थशास्त्री हैं। मनमोहन सिंह (Great Prime minister Manmohan Singh) की अपने कुशल और ईमानदार छवि के कारण सभी राजनीतिक दलों में अच्छी साख है। वे दो बार भारत के प्रधानमंत्री बने। उनका कार्यकाल 22 मई, 2004 से 26 मई, 2014 तक रहा। जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमन्त्री बन गये हैं, जिनको लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री चुने गए। 

प्रारंभिक जीवन (Manmohan Singh Early Life) :

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को पंजाब के गाह में, (वर्तमान में पाकिस्तान) हुआ था। उनके पिता का नाम गुरूमुख सिंह और माता का नाम अमृत कौर था। उनके पिता गुरुमुख सिंह सादगीपूर्ण जीवन व्यक्तित्व करते थे। गुरुमुख सिंह उस नन्हे बालक को प्यार से मोहन कहते थे। मनमोहन जी ने अपने पिता के सादीपूर्ण जीवन का अनुसरण किया और आज भी उसी पथ पर अग्रसर है।

शिक्षा (Education) :

मनमोहन सिंह ने 1954 में चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में M.A. की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की। 1955 में उन्हें कैंब्रिज विद्यालय के सेंट जॉन कॉलेज में 'राइट' और 1956 में 'एडम स्मिथ' पुरस्कार से सम्मानित किया। वह 1957 से 1965 तक चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहे।

मनमोहन सिंह का निजी जीवन (Manmohan Singh Married Life) :

1958 में उन्होंने गुरुशरण कौर से शादी की, जिससे उनको 3 बेटियां उपिन्दर, अमृत और दमन है। उनकी बेटी उपिन्दर दिल्ली युनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर है। दूसरी बेटी अमृत अमेरिकन सिविल लिबर्टी में काम करती है। तीसरी बेटी दमन एक हाउसवाइफ है, जिन्होंने आईपीएस ऑफिसर से शादी की है।

राजनीतिक करियर (Manmohan Singh Political Career) :

मनमोहन सिंह में चतुर एवं बुद्धिमानी के गुण हैं। 1969 में दिल्ली के 'स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स' में प्रधानाध्यापक पद पर रहे तो 1976 में वे दिल्ली विश्वविद्यालय में मानद प्रधान विभाग अध्यापक भी बने। 

1982 में मनमोहन सिंह को भारत सरकार ने "भारतीय रिजर्व बैंक" का गवर्नर बनाया। इस पद पर वह 14 जनवरी, 1985 तक रहे और वर्ष 1985 में ही उन्हें योजना आयोग का अध्यक्ष चुन लिया गया। जबकि 1990 में प्रधानमंत्री के यह आर्थिक सलाहकार बनाए गए।

1991 में मनमोहन सिंह जी ने सरकारी नौकरी छोड़ राजनीती में कदम रखा। इस समय पी वी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री चुने गए थे, उन्होंने अपने कैबिनेट मंत्रालय में मनमोहन सिंह जी को वित्त मंत्री बना दिया। इस समय भारत बहुत बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा था, सबसे पहले उन्होंने लाइसेंस राज को रद् कर दिया जिसके तहत उद्योगों को कोई भी बदलाव करने से पहले सरकार से स्वीकृति लेनी पड़ती थी।

1998 में मनमोहन सिंह जी राज्यसभा के सदस्य चुने गए, और 1998-2004 के दौरान जब भारत में अटल बिहारी वाजपेयी की बीजेपी की सरकार थी तब वे राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे। 

प्रधानमंत्री पद की शपत (Manmohan Singh As a Prime Minister of India) :

2004 में हुए आम चुनाव में UPA सरकार की जीत हुई, इस जीत के बाद कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने मनमोहन सिंह जी को भारत का अगला प्रधानमंत्री घोषित किया। उस समय मनमोहन सिंह जी लोकसभा के सदस्य भी नहीं थे, बहुत कम भारतवासी उन्हें जानते पहचानते थे।

22 मई 2004 को मनमोहन सिंह जी ने प्रधानमंत्री पद की शपत ली और उस पद को संभाला। 2007 में भारत का सकल घरेलू उत्पादन 9% रहा और भारत दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी विकासशील अर्थव्यवस्था बन गया।

2008 में मुंबई में हुए आतकंवादी हमले के बाद मनमोहन जी ने नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) का गठन किया, जो आंतकवाद पर कड़ी नजर रखती थी। 2009 में इ-गवर्नस की सुविधा दी गई, जिससे नेशनल सिक्यूरिटी बढ़ गई, मल्टीपरपस आइडेंटिटी कार्ड बनाये गए, जिससे देशवासियों को सुविधा होने लगी। मनमोहन सिंह जी ने अपने शासनकाल में पड़ोसी देशों व अन्य देशों से संबद्ध सुधारे जिससे देश को बहुत से फायदे हुए।

22 मई 2009 में 15वी लोक सभा के चुनाव के जित के बाद मनमोहन सिंह को एक बार फिर से भारत के प्रधानमंत्री के पद पर चुना गया। जवाहरलाल नेहरु के बाद मनमोहन सिंह एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्हें 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से प्रधानमंत्री चुना गया।

अवार्ड और उपलब्धियां (Manmohan Singh Awards) :

  1. 1982 में कैंब्रिज के जॉन कॉलेज ने मनमोहन सिंह जो को सम्मानित किया।
  2. 1987 में उन्हें "पद्म विभूषण" से भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया।
  3. 1994 में लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स ने प्रतिष्ठित अध्येता के रूप में उन्हें चुना।
  4. 2002 में भारतीय संसद ग्रुप के द्वारा उन्हें संसदीय अवार्ड से नवाजा गया।
  5. 2010 में उन्हें एक फाउंडेशन ने वर्ल्ड स्टेटमैन अवार्ड से नवाजा।

मनमोहन सिंह पर बनी फिल्म (Film made on Manmohan Singh) :

मनमोहन सिंह जी भारत के प्रधानमंत्री कैसे बने और उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद के सफर को दर्शाने के लिए उनकी एक बायोपिक फिल्म भी बनाई गई है। जिसका नाम है "द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर"।

डॉ. मनमोहन सिंह जी के प्रमुख जीवन कालखंड

  • 1957 – 1965 – चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।
  • 1969 – 1971 – दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया।
  • 1976 – जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा मानद प्रोफेसर की उपाधि प्रदान की गई
  • 1982 – 1984 – भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे।
  • 1984 – 1987 – योजना आयोग मे अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
  • 1987 – 1990 में जेनेवा साउथ कमीशन के सचिव रहे।
  • 1990 – 1991 प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य किया।
  • 1991 – नरसिम्हा राव सरकार के वित्त मंत्री रहे।
  • 1991 – असम से पहली बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए।
  • 1994 – असम से दूसरी बार राज्यसभा सदस्य चुने गए।
  • 1996 दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स द्वारा मानद प्रोफेसर उपाधि प्रदान की गई।
  • 1998 – 2004 – संसद में विपक्ष के नेता रहे
  • 1999 – दक्षिणी दिल्ली से लोकसभा का चुनाव लड़े किंतु हार गए।
  • 2001 – तीसरी बार राज्य सभा के सदस्य चुने गए
  • 2004 – भारत के प्रधानमंत्री के रूप में मनोनीत किए गए।
  • 2009 – लोकसभा का चुनाव जीत कर पुनः प्रधानमंत्री की शपथ ली।

राजनीति में आगमन

मनमोहन सिंह का अन्य नेताओं की भांति कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी। वह पढ़ने में मेधावी छात्र थे , उनकी योग्यता उनके व्यक्तित्व को बताती है। राजनीति शास्त्र में आधुनिक युग के गुरु के रूप में पहचान प्राप्त करो वह अपने जैसे छात्रों को तैयार कर रहे थे। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय तथा दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। उनकी लिखी पुस्तक "इंडियाज़ एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ " ने राजनीति के वास्तविक रूप को प्रकट किया था। उनकी ख्याति दिन – प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। राजनीति के लोग मनमोहन सिंह से प्रेरित हो रहे थे। उनकी योग्यता के कदरदान विदेशी भी थे , अतः उन्हें निरंतर विदेश आने का निमंत्रण मिला करता था।

उन्हें बाहरी देशों में काम करने का भी न्योता कम नहीं मिलता था। इस समय तक वह महान अर्थशास्त्री के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके थे। राजनीति के क्षेत्र में यह उतार-चढ़ाव का समय था। कभी विपक्ष के आंदोलन और संघर्ष करती कांग्रेस पार्टी इन दोनों के बीच काफी टकराव हुआ करता था। भारत की अर्थव्यवस्था आजादी के बाद निरंतर गिरती जा रही थी। भारत में रोजगार तथा आर्थिक संकट दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा था। विपक्षी पार्टियों के लिए यह किसी महत्वपूर्ण हथियार से कम नहीं था। अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए मनमोहन सिंह ने उदारीकरण की नीति सरकार के समक्ष रखी। यह नीति सरकार ने लागू की जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिला। भारतीय अर्थव्यवस्था को नया बल प्राप्त हो गया था।

इसके कारण मनमोहन सिंह की प्रसिद्धि और बढ़ने लगी। राजनीतिक गलियारे में उनके चर्चे खूब होने लगे। यही कारण है उनको कांग्रेस पार्टी ने आर्थिक जगत में अहम योगदान निभाने के लिए आमंत्रण किया। वह देश हित में कांग्रेस द्वारा दिए गए प्रस्ताव को ठुकरा नहीं सके। उन्होंने राजनीति में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने राजनीति में निरंतर बने रहने के लिए असम से पहली बार चुनाव जीता और राज्यसभा पहुंचे।

कांग्रेस के प्रति समर्पण

कांग्रेस पार्टी आजादी के बाद की सबसे मजबूत और बड़ी पार्टी थी। भारत की आजादी में कांग्रेस पार्टी ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। भारतीय समुदाय ने कांग्रेस में अपनी आस्था प्रकट की। ऐसे व्यक्तियों में मनमोहन सिंह भी एक थे। मनमोहन सिंह का राजनीति में कोई लगाव नहीं था। राजनीति में अर्थशास्त्री के रूप में उनकी मांग बढ़ने लगी। उन्होंने देश हित में कार्य करने के लिए कांग्रेस पार्टी में शामिल होने का निर्णय लिया। मनमोहन सिंह आरंभिक जीवन से ही कांग्रेस के प्रति अपनी श्रद्धा भाव रखते थे। कांग्रेस में शामिल होने के बाद उन्होंने कई राजनीतिक प्रलोभन के बावजूद भी वफादारी नहीं छोड़ी।

कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने आजीवन अपना योगदान दिया। यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी में आर्थिक सलाहकार के रूप में आगमन के बाद उनकी श्रद्धा को देखते हुए प्रधानमंत्री भी बनाया गया। डाक्टर सिंह पर आरोप लगता है कि वह गांधी परिवार के इशारों पर कार्य करते हैं। यहां भूलने की आवश्यकता नहीं है कांग्रेस पार्टी गांधी परिवार के नाम से ही जानी जाती है। इसलिए कांग्रेस पार्टी के प्रति श्रद्धा , गांधी परिवार के प्रति श्रद्धा एक समान की बात है। फिर भी मनमोहन सिंह जी ने भारत के प्रधानमंत्री होने के नाते , पार्टी को विशेष महत्व नहीं दिया। उन्होंने सदैव प्रधानमंत्री के गौरव को बनाए रखा। उन्होंने जो निर्णय लिए , वह पार्टी हित से ऊपर उठकर , राष्ट्रहित में थे ।

प्रधानमंत्री के लिए चयन

कांग्रेस पार्टी आजादी के बाद से निरंतर संघर्ष और चुनौतियों से लड़ रही थी। आजादी के समय की एकमात्र मजबूत पार्टी जिसने लाल बहादुर शास्त्री , सरदार बल्लभ भाई पटेल , जवाहरलाल नेहरू , इंदिरा गांधी जैसे मजबूत नेताओं को जन्म दिया। वह निरंतर विघटन की ओर बढ़ती जा रही थी।

जिसका एकमात्र कारण था पार्टी के अंदर एकमत का ना होना।

  • 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जीत हासिल की।
  • जब सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की बात राजनीतिक गलियारे में जोर पकड़ने लगी।
  • विपक्षी पार्टी ने विदेशी मूल का बताकर सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने नहीं दिया।
  • अन्य कोई कांग्रेस पार्टी का प्रधानमंत्री बनने के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं था।
  • कांग्रेस ने समय की मांग को पहचाना और मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के लिए योग्य उम्मीदवार मानते हुए, ऐलान किया।
  • इसके पीछे एक कारण 1984 सिख दंगे के बाद सिखों समुदाय की नाराजगी दूर करने का प्रयास भी था।
  • यह वोट बैंक को साधने का माध्यम बनकर प्रकट हुआ।
  • 22 मई 2004 को डॉ मनमोहन सिंह ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किया।
  • मनमोहन सिंह के योगदान से कांग्रेस पार्टी ने खोई हुई शक्ति को एकत्र किया और 2009 का लोकसभा चुनाव भी जीतने में कामयाब रहे।
  • मनमोहन सिंह को पुनः 2009 में प्रधानमंत्री बनाया गया।
  • कांग्रेस पार्टी में कई बड़े नेता मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने से खुश नहीं थे।
  • इनमें गांधी परिवार के करीब रहे नेताओं की संख्या अधिक थी।
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