Neerja Bhanot Biography in Hindi | नीरजा भनोट की जीवनी

Neerja Bhanot Biography in Hindi | नीरजा भनोट सिर्फ 23 साल की उम्र में 5 सितम्बर 1986 को हाईजैक हुए प्लेन में यात्रियों की मदद और रक्षा करते वक्त आतंकवादियों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी।

Update: 2020-11-22 11:27 GMT

Neerja Bhanot Biography in Hindi

Neerja Bhanot Biography in Hindi | नीरजा भनोट की जीवनी

  • नाम नीरजा भनोट
  • जन्म 7 सितंबर 1963
  • जन्मस्थान चंडीगढ़
  • माता रमा भनोट
  • पिता हरीश भनोट
  • पति नरेश मिश्रा
  • शिक्षा ग्रेजुएट
  • व्यवसाय फ्लाइट अटेंडेंट
  • पुरस्कार अशोक चक्र
  • नागरिकता भारतीय

नीरजा भनोट हीरोइन ऑफ हाईजैक (Neerja Bhanot Biography in Hindi)

नीरजा भनोट सिर्फ 23 साल की उम्र में 5 सितम्बर 1986 को हाईजैक हुए प्लेन में यात्रियों की मदद और रक्षा करते वक्त आतंकवादियों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। अपने इस वीरता के चलतेउन्होंने परिवार का नाम रौशन कर दिया। इस वीरता के लिये भनोट को भारत सरकार ने शांति के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार 'अशोक चक्र' से उनका सन्मान किया। 

नीरजा भनोट का प्रारंभिक जीवन (Neerja Bhanot Early Life)

नीरजा भनोट का जन्म 7th सितम्बर साल 1963 को भारत के चंडीगढ़ राज्य में हुआ था। उनके पिता का नाम हरीश भनोट और उनके माता का नाम रमा भनोट है। उनके पिता 'द हिंदुस्तान टाइम्स' मुबई में पत्रकारिता में कार्य कर रहे थे। नीरजा भनोट की शुरुआती पढाई अपने ही शहर में सेक्रेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, चंडीगढ़ में की थी। 

नीरजा भनोट का निजी जीवन (Neerja Bhanot Married Life)

नीरजा भनोट की शादी 1985 में नरेश मिश्रा के साथ हुई थी। नीरजा अपने पति के साथ विदेश भी गयी थी लेकिन कुछ दहेज़ के के मामले को लेकर इसके रिश्तो में कटुता आ गई और शादी के सिर्फ दो महीने बाद ही नीरजा वापस मुंबई आ गयी थी। बाद में मुंबई आने के बाद नीरजा पैन M फ्लाइट अटेंडेंट में नौकरी करने लगी।

नीरजा भनोट विमान अपहरण की घटना (Neerja Bhanot Aircraft Hijacking Story)

उड्यन विभाग में नौकरी के चलते 5th सितंबर, 1986 को उन्ही का विमान 'पैन ऍम 73' के दिन भारत से न्यूयॉर्क के लिए जा रहा था। उस समय विमान में 380 मुसाफरों और उनके साथ कई स्टाफभी थे। इस विमान में अमेरिका के तीन पायलट, कुछ सह- पायलट, कुछ फ्लाइट इंजीनियर और साथ में भारत की और से नीरजा भनोट और उनके साथ उनकी स्टाफ टीम थी। 

विमान पैन ऍम 73 जब पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर रुके हुए थे और विमान पायलट का भी इंतजार कर रहा था, इस समय 4 आतंकवादीओ ने विमान में चढ़कर विमान पर कब्ज़ा कर लिया और पाकिस्तानी सरकार यह हुक्म दिया की इस विमान को पायलट दे लेकिन सरकार ने यह हुक्म नहीं माना क्यूंकि सरकार ऐसा करते तो उस आतंकवादीओ इस विमान को कही ओर जगह ले जाते।

इसी दौरान आतंकियों ने नीरजा के साथ उनके स्टाफ को हुक्म दिया की सभी यात्रियों के पासपोर्ट इकठ्ठा करे। इससे आतंकियो को अमेरिकी यात्रियों को पहचान सके, क्युकी अमेरिकी यात्रियों के जरिए आतंकियों पाकिस्तान सरकार पर दबाव बना सके और उनको एक पाइलट मिल सके।

उस विमान सवार अमेरिकी यात्रियों को मारना ही आतंकवादियों का मुख्य इरादा था। इसके चलते नीरजा ने अपनी सुझबुझ के साथ 41अमेरिकन लोगो का पासपोर्ट गुप्त रखा, और उन्होंने कुछ पासपोर्ट सिट के निचे और कुछ गुप्त जगहों पर छुपा दिए। नीरजा के इस काबिलियत के चलते उस फ्लाइट में बैठे कुल 41 अमेरिकन लोगो में से मात्र 2 लोगो को ही मारने में आतंकवादी सफल रहे।

नीरजा भनोट अमेरिकन यात्रियों की रक्षा करने के हेतु से विमान का इमर्जेन्सी द्वार खोल डाला और अन्य यात्रियों को भी विमान से बाहर भेजने लगी। जब नीरजा तीन बच्चो को बाहर भेज रही थी, इसी दौरान एक आतंकी का ध्यान नीरजा पर पड़ा, इससे वह आतंकी को गुस्सा आया और बालको पर बंदूक से गोली चलाते देख नीरजा इस बालको के बिच में आ गई और इस के चलते सभी गोलियाँ नीरजा ने अपने सीने पर झेल ली और वही शहीद हो गई।

नीरजा भनोट की सिर्फ 23 वर्ष की आयु में उसने बहादुरी से विमान में सवार सभी यात्रियों का जीवन बचाया था। अगर नीरजा अपनी जान बचाना चाहती तो वह उस आपातकालीन दरवाजे से बहार निकल सकती थी लेकिन उन्होंने दुसरो के जीवन का ध्यान रखने में अपना उत्तरदायित्व निभाया।

उस बहादुर लड़की ने अपने जन्मदिन के सिर्फ दो दिन पहले इस बहादुरी भरा कार्य करके शहीद होने वाली नीरजा भनोट के शहीदी पर भारत, पकिस्तान और अमेरिका ने सेल्यूट देकर श्रद्धांजलि दी क्योकि इस विमान में पाकिस्तान और अमेरिका के लोगो की जान भी उसने बचाई थी।

मरणोपरांत सम्मान (Neerja Bhanot Received Honors) 

  1. भारत सरकार ने उन्हें 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया।
  2. अमेरिका सरकार ने उनको फ्लाइट सेफ्टी फाउंडेशन हेरोइस अवार्ड देकर सम्मानित किया।
  3. कोलंबिया सरकार ने उन्हें 'जस्टिस फॉर क्राइम' अवार्ड देकर सम्मानित किया।
  4. पाकिस्तान सरकार ने उन्हें 'तमगा-ए-इंसानियत' अवार्ड देकर सम्मानित किया।
  5. 2004 में भारत सरकार के डाक सेवा ने उनकी स्मृति में डाक टिकिट जारी कर सन्मान दिया।
  6. 2010 में भारत सरकार ने उनको 'सिविल एविएशन अवार्ड' से सम्मानित किया।

नीरजा भनोट विश्व में 'हेरोइन ऑफ़ हाईजैक' के नाम से काफी प्रसिद्ध हो गई है। उनको भारत सरकार ने अशोक चक्र सर्वोच्च शांति अवार्ड दिया हे जो देश के लिए वीरता और पराक्रम भरे कार्य करने के बाद मिलता है। इस अवार्ड मिलने के साथ वह सबसे काम उम्र वाली और महिला के तौर पर भी भारत की पहली नागरिक बनी। इसके साथ पकिस्तान सरकार ने भी उन्हें इस बहादुरी भरा कार्य करने के लिए 'तमगा-ए-इंसानियत' पुरष्कार दिया। और विश्व के कई देश ने उनको सन्मानित किया जिसे भारत का नाम पुरे विश्व में रोशन कर दिया।

नीरजा भनोट पर बनी फिल्म (Bollywood Film on Neerja Bhanot)

भारत की फिल्म इंडस्ट्रीस ने भी नीरजा को इस वीरता भरे कार्य को सम्मान देने के लिए 2016 में एक फिल्म बनाया था जिसका नाम भी 'नीरजा' रखा था। इस फिल्म नीरजा के जीवन पर आधारित थी। इस फिल्म में नीरजा का किरदार बॉलीवुड की फैशनेबल अभिनेत्री सोनम कपूर ने निभाया था। और नीरजा की माता का किरदार शबाना आज़मी में किया था।

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