Phoolan Devi Biography In Hindi | फूलन देवी का जीवन परिचय

Phoolan Devi Biography In Hindi | फूलन देवी कम उम्र में शादी, फिर गैंगरेप, फिर इंदिरा गांधी के कहने पर सरेंडर और मिर्जापुर सीट से जीतकर सांसद बनी। इस दस्यु सुंदरी के डकैत बनने की पूरी कहानी किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकती है। फूलन देवी “बैंडिट क्वीन” के नाम से भी जानी जाती है, वह डकैत से संसद भवन की सदस्य बनी।

Update: 2020-11-28 03:59 GMT

Phoolan Devi Biography In Hindi | फूलन देवी का जीवन परिचय

Phoolan Devi Biography In Hindi | फूलन देवी का जीवन परिचय

  • नाम फूलन देवी
  • जन्म 10 अगस्त 1963
  • जन्मस्थान जालौन
  • पिता दिन मल्लाह
  • माता मूल देवी
  • पति उम्मेद सिंह
  • नागरिकता भारतीय

Phoolan Devi Biography In Hindi | एक दस साल की लड़की, जो अपने बाप की जमीन के लिए लड़ गई थी. या एक बालिका-वधू, जिसका पहले उसके बूढ़े 'पति' ने रेप किया, फिर श्रीराम ठाकुर के गैंग ने. या एक खतरनाक डाकू, जिसने बेहमई गांव के 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर मार दिया था. या फिर उस 'चालाक' औरत के रूप में, जो शुरू से ही डाकुओं के गैंग में शामिल होना चाहती थी. वो औरत, जिसकी जिंदगी पर फिल्म बनाकर उसका बलात्कार दिखाने वाले शेखर कपूर ने उससे पूछा भी नहीं था. या शायद एक पॉलिटिशियन के तौर पर, जिसने दो बार चुनाव जीता. या फिर एक औरत, जो खुद से मिलने आये 'फैन' शेर सिंह राणा को नागपंचमी के दिन खीर खिला रही थी, बिना ये जाने कि कुछ देर बाद यही आदमी उसे मार देगा.

डकैती फूलन देवी (Phoolan Devi Biography in Hindi) :

फूलन देवी कम उम्र में शादी, फिर गैंगरेप, फिर इंदिरा गांधी के कहने पर सरेंडर और मिर्जापुर सीट से जीतकर सांसद बनी। इस दस्यु सुंदरी के डकैत बनने की पूरी कहानी किसी के भी रोंगटे खड़े कर सकती है। फूलन देवी "बैंडिट क्वीन" के नाम से भी जानी जाती है, वह डकैत से संसद भवन की सदस्य बनी।

प्रारंभिक जीवन (Phoolan Devi Early Life) :

फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को में उत्तर प्रदेश के गोरहा गांव में मल्लाह जाती में हुआ था। दिन मल्लाह और मूल देवी की वह चौथी और सबसे छोटी बेटी थी। फूलन का परिवार काफी गरीब था। आमतौर पर उसे गाँव की लड़कियों की तरह दब्बू और शांत होना चाहिए था, मगर वह एकदम अलग थी। इतनी अलग कि सही गलत की लड़ाई के लिए वह किसी से भी भिड़ जाती थी। लेकिन 11 साल की उम्र में फूलन की जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आया।

निजी जीवन (Phoolan Devi Married Life)

फूलन के उग्र स्वभाव से उनके पिता को अधिक चिंता होने लगी। पिता की इसी चिंता ने फूलन की जिंदगी को एकदम से मोड़ दिया। महज 11 साल की उम्र में उनके पिता ने उनका विवाह एक अधेड़ व्यक्ति के साथ कर दिया। शुरुआत में फूलन ने इसका विरोध किया फिर अपनी नियति मानकर इसे स्वीकार कर लिया। फूलन के पिता ने उसके अच्छे भविष्य को लेकर यह कठोर फैसला लिया था, किन्तु सही मायने में उन्होंने फूलन को जलती हुई आग के हवाले कर दिया था।

उसके पति का उसके प्रति व्यवहार ठीक नहीं था। जल्द ही फूलन सहन शक्ति जवाब दे गई, तो वह भागकर अपने घर लौट आई। उसे उम्मीद थी कि उसके अपने लोग उसकी मदद करेंगे, लेकिन हुआ उल्टा। समाज ने उसे ही बुरा भला कहना शुरु कर दिया। कम उम्र में ही फूलन की शादी हो गयी थी। लेकिन शादी के बाद बहोत तरह की कष्ट झेलने के बाद फूलन देवी का झुकाव डकैती की तरफ हुआ था।

फूलन देवी के साथ गैंगरेप (Gang Rape with Phoolan Devi)

महज 15 साल की उम्र में फूलन देवी के साथ एक बड़ा हादसा हो गया जब गांव के ठाकुरों ने उनके साथ गैंगरेप किया। इस घटना को लेकर फूलन न्याय के लिए दर-दर भटकती रही, लेकिन कहीं से न्याय न मिलने पर फूलन ने बंदूक उठाने का फैसला किया और वो डकैत बन गई।

फूलन देवी के साथ ये हादसा यही ख़त्म नहीं हुआ, इंसाफ के लिए भटकती इस महिला के गांव में कुछ डकैतों ने हमला किया। इसके बाद डकैत फूलन को उठाकर ले गए और कई बार रेप किया। यहीं से बदली फूलन की जिंदगी, और फूलन की मुलाकात विक्रम मल्लासह से हुई। फिर दोनों ने मिलकर डाकूओं का अलग गैंग बनाया।

बदला लेने की आग में डकैती बनी (Phoolan Devi Revenge)

डकैत गिरोह में उसकी सर्वाधिक नजदीकी विक्रम मल्लाह से रही। माना जाता है की पुलिस मुठभेड़ में विक्रम की मौत के बाद फूलन टूट सी गयी थी। आमतौर पर फूलनदेवी को डकैत के रूप में रॉबिनहुड की तरह गरीबो की रखवाली समझा जाता था।

फिर फूलन ने अपने साथ हुए गैंगरेप का बदला लेने की ठान ली। 1981 में ऊँची जातियों के 22 लोगो का एक साथ नरसंहार किया जो ठाकुर जाती के जमींदार लोग थे। इसके बाद पूरे चंबल में फूलन का खौफ पसर गया। सरकार ने फूलन को पकड़ने का आदेश दिया लेकिन यूपी और मध्य प्रदेश की पुलिस फूलन को पकड़ने में नाकाम रही। बाद में तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से 1983 में फूलन देवी से सरेंडर करने को कहा गया। जिसे फूलन ने मान लिया। क्योंकि यहां फूलन के साथ मजबूरी थी। उसका साथी विक्रम मल्लाह पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था।

फूलन ने यूं ही सरेंडर नहीं किया उसने सरकार से अपनी शर्तें मनवाई, जिनमें पहली शर्त उसे या उसके सभी साथियों को मृत्युदंड नहीं देने की थी। फूलन की अगली शर्त ये थी कि उसके गैंग के सभी लोगों को 8 साल से अधिक की सजा न दी जाए। इन शर्तों को सरकार ने मान लिया था।

डकैत से संसद भवन की सदस्य (Phoolan Devi Member of Parliament)

लेकिन 11 साल तक फूलन देवी को बिना मुकदमे के जेल में रहना पड़ा। इसके बाद 1994 में आई समाजवादी सरकार ने फूलन को जेल से रिहा किया। फूलन ने अपनी रिहाई के बाद बौद्ध धर्म में अपना परिवर्तन कर दिया। इसके दो साल बाद ही फूलन को समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने का ऑफर मिला और वो मिर्जापुर सीट से जीतकर सांसद बनी और दिल्ली पहुंच गई।

मृत्यु (Phoolan Devi Death)

इसके बाद साल 2001 फूलन की जिंदगी का आखिरी साल रहा। इसी साल शेर सिंह राणा ने दिल्ली में फूलन देवी के आवास पर उनकी हत्या कर दी। हत्या के बाद राणा का दावा था कि ये 1981 में सवर्णों की हत्या का बदला है। 2014 को दिल्ली की एक अदालत ने शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस हत्या को कई तरह से देखा जाता है। कभी इसमें राजनीतिक साजिश की बू नजर आती है तो कभी उसके पति उम्मेद सिंह पर भी फूलन की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगता है। 

फूलन देवी पर फिल्म (Phoolan Devi Movie Bandit Queen) 

फूलन देवी पर फिल्म "बैंडिट क्वीन" भी बन चुकी है। जिसे शेखर कपूर ने डायरेक्ट किया था। इस फिल्म पर फूलन को आपत्ति थी। जिसके बाद कई कट्स के बाद फिल्म रिलीज हुई। लेकिन बाद में सरकार ने इस फिल्म पर बैन लगा दिया।

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