उत्तर प्रदेश के सहारनपुर हिंसा को लेकर बोलने का मौका नहीं मिलने पर इस्तीफा देने वालीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती का इस्तीफा राज्यसभा से मंजूर कर लिया गया है। बता दें कि मंगलवार (18 जुलाई) को दलितों को मुद्दे पर सदन में बोलने न देने का आरोप लगाते हुए राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। मायावती के पहले इस्तीफे को राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया था। बीएसपी सुप्रीमो ने नया इस्तीफा दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया।माया ने सहारनपुर में दलित विरोधी हिंसा पर सदन में बात रखने के लिए सिर्फ तीन मिनट मिलने से वह नाराज थीं।
राज्यसभा के सभापति को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद मायावती ने कहा कि सहारनपुर हिंसा में दलितों के उत्पीड़न पर सत्ता पक्ष ने मुझे बोलने का मौका नहीं दिया। इसलिए मैंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है। माया ने कहा कि मैं जिस समाज से आती हूं, अगर उसकी बात ही सदन में ना रख सकूं तो ऐसे में मैंने इस्तीफा देना उचित समझा। मायावती ने कहा कि मैं शोषितों, मजदूरों, किसानों और खासकर दलितों के उत्पीड़न की बात सदन में रखना चाहती थी। लेकिन सत्ता पक्ष के सभी लोग एक साथ खड़े हो गए और मुझे बोलने का मौका नहीं दिया गया।राज्यसभा सचिवालय के अनुसार, मायावती ने शाम को सभापति हामिद अंसारी से मुलाकात कर तीन पेज का इस्तीफा सौंपा।
पत्र में उन्होंने मुख्य रूप से दो बातों पर आपत्ति जताई है। एक, उन्हें सत्ता पक्ष के मंत्रियों और सदस्यों ने सदन में बोलने से रोका। दूसरा, कार्य स्थगन के नोटिस पर बोलने के लिए तीन मिनट की समय सीमा किसी नियम में तय नहीं है। मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर बसपा प्रमुख ने सहारनपुर में दलितों के खिलाफ हिंसा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि नियम 267 के तहत उन्होंने नोटिस दिया है, इसलिए इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की जाए।
उन्होंने इस मुद्दे पर बोलना शुरू किया लेकिन उपसभापति ने कहा कि वह तीन मिनट में अपनी बात खत्म करें। हालांकि, मायावती ने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है, जिसके लिए उन्हें अधिक समय चाहिए। मायावती के ज्यादा वक्त मांगने पर उपसभापति ने कहा कि नियम 267 के तहत जब तक उनके नोटिस पर निर्णय नहीं हो जाता तब तक चर्चा की अनुमति नहीं दी जा सकती।