पटना: आखिर बिहार में नीतीश कुमार संकट में आ ही गए ! आज नितीश कुमार और शरद यादव की अगुवाई वाले जदयू के दोनों धड़े पटना में अलग-अलग बैठकें कर रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव 34 विधायको के साथ बैठक किये जाने की खबर से नीतीश की हवा टाईट हो गयी है जबकि वही दूसरी तरफ नीतीश कुमार अपने सरकारी आवास पर पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई जिसमें पार्टी का एनडीए में शामिल होने का प्रस्ताव पारित किया गया। आपको बता दे कि नीतीश कुमार 4 साल बाद एनडीए में शामिल होंगे। वैसे बीजेपी अगर नीतीश कुमार को NDA का संयोजक बनाती है तो उसके दूरगामी परिणाम सामने आयेंगे एक अगर बीजेपी अगला लोकसभा चुनाव हारी तो हार का ठीकरा नीतीश कुमार के सर फोड़ा जाएगा और अगर ईवीम के चलते बीजेपी फिर जीती तो सारा श्रेय फिर मोदी जी को जाएगा.
जेडीयू से निष्कासित सांसद शरद यादव और अली अनवर ने मिलकर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के ख़िलाफ श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में 'जन अदालत सम्मेलन' को संबोधित करेंगे. शरद यादव और अली अनवर का दावा है कि इस जन अदालत सम्मेलन में नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ गठबंधन से नाराज जेडीयू के कई नेता भी शामिल होंगे. शरद यादव चुनाव आयोग में पेश करेंगे दावा शरद यादव अब इंतजार कर रहे हैं कि नीतीश कुमार पार्टी से बगावत के बाद उन्हें कब बाहर का रास्ता दिखाते हैं. सूत्रों की माने तो उसके बाद शरद यादव चुनाव आयोग में जेडीयू का असली उत्तराधिकारी होने का वैसे ही दावा पेश करेंगे, जैसे मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी पर अपने वर्चस्व को लेकर चुनाव आयोग में दावा किया था.
इसमें फर्क सिर्फ इतना है कि जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी पर अपने वर्चस्व का दावा किया था, तब कांग्रेस मुलायम सिंह यादव के खिलाफ और अखिलेश यादव के पक्ष में खड़ी थी और आखिर में फैसला अखिलेश यादव के पक्ष में आया था, लेकिन इस बार कांग्रेस शरद यादव के साथ और नीतीश कुमार के खिलाफ खड़ी होगी. इतना तय है कि आने वाले दिनो में कांग्रेस शरद यादव के कंधो का इस्तेमाल करके नीतीश कुमार को निशाना बनाएगी और बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश करेगी.
शरद यादव और नीतीश कुमार की जेडीयू पर वर्चस्व की लड़ाई में बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिलेगी. साथ ही चुनाव आयोग में बीजेपी और कांग्रेस के कानून के जानकारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की चुटीली नोकझोंक का नजारा देखने को भी मिलेगा. असल में शरद यादव के समर्थकों का कहना कि साल 1999 में नीतीश कुमार और जार्ज फर्नाडिस ने अपने राजनैतिक फायदे के लिए अपनी समता पार्टी का विलय शरद यादव की जेडीयू में किया था.