हाथरस केस : हाईकोर्ट में पीड़ित परिवार का आरोप, बिना सहमति के कराया गया अंतिम संस्कार, जानिए और क्या हुआ?

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में हाथरस घटना की पीड़िता के शरीर का कथित तौर पर मनमाने तरीके से, परिवार की मर्जी के बिना और रातों-रात अंतिम संस्कार कराने के मुद्दे पर सुनवाई हुई। पीड़ित परिवार की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा ने कहा कि परिवार ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि बिना सहमति के अंतिम संस्कार किया गया। अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी।

Update: 2020-10-12 15:32 GMT

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में हाथरस घटना की पीड़िता के शरीर का कथित तौर पर मनमाने तरीके से, परिवार की मर्जी के बिना और रातों-रात अंतिम संस्कार कराने के मुद्दे पर सुनवाई हुई। पीड़ित परिवार की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा ने कहा कि परिवार ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि बिना सहमति के अंतिम संस्कार किया गया। अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी।

हाईकोर्ट में पीड़िता के परिजनों के अलावा कई अधिकारी भी कोर्ट में मौजूद रहे। पीड़ित परिवार से पांच लोग सीओ और मजिस्ट्रेट की निगरानी में कोर्ट के सामने पेश हुए और अपना बयान दर्ज कराया।

पेशी के लिए परिवार भारी पुलिस सुरक्षा के बीच सोमवार सुबह 11 बजे के करीब लखनऊ पहुंचा।एसडीएम अंजली गंगवार, सीओ शैलेन्द्र बाजपेयी, जनपद के डीएम प्रवीन लक्ष्यकार व एसपी भी पीड़ित परिवार के साथ लखनऊ पहुंचे हैं।

छह गाड़ियों के काफिले के साथ पीड़ित परिवार के पांच सदस्य लखनऊ हाईकोर्ट पहुंचे। उक्त मामला 'गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार के अधिकार' टाइटिल के तहत न्यायमूर्ति पंकज मित्तल व न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया।

उल्लेखनीय है कि 1 अक्तूबर को इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए, अपर मुख्य सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक, अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था, जिलाधिकारी हाथरस और पुलिस अधीक्षक हाथरस को तलब किया था।

न्यायालय ने मृतक पीड़िता के मां-पिता, भाई व बहन को भी हाजिर होने को कहा था, ताकि अंतिम संस्कार के सम्बंध में उनके द्वारा बताए तथ्यों को भी जाना जा सके। वहीं न्यायालय ने अधिकारियों को मामले से सम्बंधित दस्तावेज इत्यादि लेकर उपस्थित होने का आदेश दिया था। साथ ही विवेचना की प्रगति भी बताने को कहा था।

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