हाथरस कांड: गांव में नहीं रहना चाहता पीड़िता का परिवार, ये है वजह

हाथरस कांड (Hathras Case) को लेकर सियासत गरमाई हुई है. दूसरी तरफ, सीबीआई से लेकर ईडी और यूपी पुलिस की एसआईटी, एसटीएफ जांच में जुटी हुई है. इस बीच, हाथरस पीड़िता के भाई का बयान आया है. भाई का कहना है कि वह गांव में रहना नहीं चाहता है.

Update: 2020-10-16 09:56 GMT

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड (Hathras Case) को लेकर सियासत गरमाई हुई है. दूसरी तरफ, सीबीआई से लेकर ईडी और यूपी पुलिस की एसआईटी, एसटीएफ जांच में जुटी हुई है. इस बीच, हाथरस पीड़िता के भाई का बयान आया है. भाई का कहना है कि वह गांव में रहना नहीं चाहता है. वह चाहता है कि केस को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाए. उन्‍होंने कहा कि रोजगार की वजह से वह परिवार के साथ दिल्ली शिफ्ट होना चाहते हैं. पीड़ि‍ता के भाई का मानना है कि दिल्ली केस ट्रांसफर हो जाएगा तो वहां रहकर वह केस की पैरवी कर सकते हैं. सीबीआई द्वारा पूछताछ की बात पर पीड़ि‍ता के भाई ने कहा कि उन्‍होंने घटना से जुड़ी पूरी जानकारी सीबीआई को दे दी है. अभी मां और भाभी से पूछताछ होनी है.

सुप्रीम कोर्ट में भी कर चुका है अपील

बता दें कि इससे पहले गुरुवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. यूपी सरकार ने इस दौरान पीड़िता के परिवार को सुरक्षा मुहैया कराए जाने का ब्यौरा दिया. वहीं, पीड़ित परिवार ने केस का ट्रायल दिल्ली ट्रांसफर करने की अपील की थी. पीड़िता के भाई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुईं वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता सीमा कुशवाहा ने मांग की कि जांच पूरी होने के बाद ट्रायल दिल्ली में हो, सीबीआई अपनी जांच की रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट को दे.

वहीं, सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार सीबीआई जांच से गुरेज नहीं कर रही है, पूरा सहयोग कर रही है. परिवार को सुरक्षा दी गई है, लेकिन जो लोग पीड़िता के परिवार का नाम, पहचान सार्वजनिक कर रहे हैं वो दंड के भागीदार हैं. यह अपराध है. इसे आधिकारिक दस्तावेजों से डिलीट किया जाए, जिस पर अदालत ने कहा कि उन्हें डिलीट कर दिया जाएगा. सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस मामले में कोई बाहरी और अजनबी लोग न आएं. पीड़ित, सरकार, एजेंसी सब हैं, फिर गैरजरूरी घुसपैठ क्यों?

कोर्ट ने आदेश रखा सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट में इंदिरा जयसिंह ने अपील करते हुए कहा कि परिवार को केंद्रीय एजेंसी से सुरक्षा दी जानी चाहिए. चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर आरोपी कुछ कहना चाहते हैं तो वो पहले हाईकोर्ट जा सकते हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट ने पीड़ित, सरकार और आरोपी को सुन लिया है, यही अहम है. इसके बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया.

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