कौन है बलिया गोलीकांड का आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह? जिसने योगी सरकार के इक़बाल पर सवाल खड़ा कर दिया है

यूपी को हिला देने वाले बलिया गोलीकांड के मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह का बीजेपी से जुड़ाव बताया जाता है। वह बीजेपी के फ्रंटल संगठन सैनिक कल्याण प्रकोष्ठ से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। इसके साथ ही उसके बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह से भी पुराने संबंध हैं।

Update: 2020-10-16 12:22 GMT

लखनऊ: बलिया में गुरुवार को हुए गोलीकांड ने यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया है। सीओ और एसडीएम जैसे बड़े अफसरों की मौजूदगी में खुलेआम गोली मारकर हत्या हो जाती है। हत्या का आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह आराम से वहां से फरार हो जाता है। धीरेंद्र प्रताप सिंह का बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह से करीबी संबंध बताया जा रहा है। धीरेंद्र प्रताप सिंह के अतीत और सियासी निष्ठाओं के बारे में अब तक क्या-क्या पता चल पाया है, आइए जानते हैं।

बलिया में सरेआम हुई हत्या का मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह बीजेपी के फ्रंटल संगठन सैनिक कल्याण प्रकोष्ठ से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। यह भी सामने आया है कि उसने बलिया के बैरिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह के पक्ष में विधानसभा में जमकर प्रचार किया था। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव में भी वह बीजेपी के प्रबल समर्थक के तौर पर सक्रिय था।

छानबीन में यह जानकारी भी मिल रही है कि धीरेंद्र प्रताप सिंह का आर्मी बैकग्राउंड रहा है। सेना में हवलदार पद से रिटायर होकर वह अपने गांव में रह रहा था। गांव की राजनीति में दखल रखने के चलते उसकी कोटे की दुकान के आवंटन में काफी रुचि थी। आरोप यह भी लग रहा है कि अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल वह इस कोटा आवंटन में भी अपने हक में कर रहा था।

धीरेंद्र सिंह की नजदीकियों के बारे में बताया जाता है कि बैरिया के बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह उसके हर छोटे-बड़े आयोजन में खुद मौजूद रहते थे। वारदात के बाद सुरेंद्र सिंह और धीरेंद्र सिंह की एक पुरानी तस्वीर भी सामने आई। इसमें सुरेंद्र सिंह आरोपी धीरेंद्र को मिठाई खिला रहे हैं। सुरेंद्र सिंह से धीरेंद्र की करीबी विधायक के बयान से भी सिद्ध होती है।

बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह ने घटना को क्रिया की प्रतिक्रिया बताते हुए कहा, 'दुर्जनपुर की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, पर प्रशासन की एकतरफा कार्यवाई न्याय का गला घोंट रही है। घटना में 6 महिलाएं चोटिल होकर अस्पताल में हैं, जबकि 1 व्यक्ति रेफर हो चुका है पर उनकी पीड़ा कोई नहीं देख रहा है। धीरेंद्र सिंह आत्मरक्षा में गोली नहीं चलाता तो उसके परिवार सहित दर्जनों लोग मारे जाते। घटना की निंदा करने के साथ ही प्रशासन को दूसरे पक्ष की भी चिंता और न्याय देना चाहिए। आत्मरक्षा के लिए ही लाइसेंस निर्गत किए जाते हैं,धीरेंद्र सिंह ने आत्मरक्षा में गोली चलाई है। उनके सामने मरने और मारने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।'

बलिया में कोटे को लेकर विवाद नया नहीं था। 2017 में उभरा कोटा आवंटन का विवाद धीरेंद्र प्रताप सिंह के लिए उसके रसूख का सवाल बन गया था। इसके पीछे कहीं ना कहीं उसके वर्तमान विधायक और सत्तारूढ़ दल के नेताओं से करीबियों को वजह माना जा रहा है। यही वजह है कि धीरेंद्र प्रताप सिंह पर पुलिसिया ऐक्शन को लेकर बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह डिफेंसिव दिख रहे हैं।

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