किसान आंदोलन: केंद्र के साथ नहीं बनी बात, मीटिंग के दौरान किसानों ने धारण किया 'मौन-व्रत'; वॉक-आउट की दी धमकी

शनिवार को किसानों और सरकार के बीच 5वें दौर की बातचीत हुई। लेकिन ये बैठक करीब 5 घंटे चलने के बाद भी बेनतीजा रहा।

Update: 2020-12-05 18:02 GMT

कृषि कानून पर सरकार का बड़ा फैसला, किसानों के साथ होने वाली बैठक स्थगित

जनशक्ति: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 10वें दिन भी जारी है। किसानों ने आठ दिसंबर को 'भारत बंद' का ऐलान किया है और चेतावनी दी कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वे दिल्ली की की तरफ जाने वाली सड़कों को बंद कर देंगे। शनिवार को किसानों और सरकार के बीच 5वें दौर की बातचीत हुई। लेकिन ये बैठक करीब 5 घंटे चलने के बाद भी बेनतीजा रहा। अब अगली बैठक नौ दिसंबर को होगी। बैठक के दौरान किसानों ने मौन व्रत धारण कर लिया। संगठनों ने केंद्र से हां और ना में जवाब मांगा। अब किसान संगठनों ने बैठक से वॉक-आउट करने की धमकी दी है।

इससे पहले बैठक के दौरान किसान प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार से पिछली बैठक के बिन्दुवार लिखित जवाब देने को कहा, इस पर सरकार ने सहमति जताई। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि केंद्र सरकार किसानों के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से बातचीत को प्रतिबद्ध है। बैठक में रेल मंत्री पीयूष गोयल भी विज्ञान भवन मौजूद हैं। इस वक्त किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधि बातचीत के लिए मौजूद हैं। मीटिंग से पहले नरेंद्र तोमर ने उम्मीद जताई कि किसान सकारात्मक सोचेंगे और अपना आंदोलन समाप्त करेंगे।


इससे पहले, शनिवार सुबह गृहमंत्री अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे। बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल रहे। इसके बाद पीएम मोदी और अमित शाह की फिर बैठक हुई। वहीं, किसान संयुक्त मोर्चा के प्रधान रामपाल सिंह ने कहा कि आज आर-पार की लड़ाई करके आएंगे, रोज-रोज बैठक नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सरकार को तीन काले कानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी चाहिए और उसे लिखित में देना होगा कि एमएसपी जारी रहेगी। अगर आज की वार्ता से कोई नतीजा नहीं निकलता है, तो राजस्थान के किसान एनएच-8 के साथ दिल्ली की ओर मार्च करेंगे और जंतर मंतर पर डेरा डालेंगे।

बता दें कि किसान कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ठोस भरोसा चाहते हैं। इससे पहले 3 दिसंबर को आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधिमंडल की सरकार के साथ हुई बैठक बेनतीजा रही थी।

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