अखिलेश सरकार को यादव राज बताने वाले योगी के राज़ में बढ़ा ठाकुरवाद. आंकड़े आप कूद ही देख लें

Update: 2018-03-19 13:04 GMT

भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ प्रदेश की सत्ता में आई तो योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने.शपथ लेने के बाद सूबे में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पुलिस के मुखिया के लिए योगी ने अपने समाज (राजपूत) के सुलखान सिंह को चुना.उन्हें डीजीपी बनाया गया, जब उनका कार्यकाल पूरा हो गया तो तीन महीने का और विस्तार दे दिया. सुलखान सिंह के बाद योगी ने दूसरे डीजीपी के रूप में फिर एक बार राजपूत समाज के दूसरे आईपीएस अधिकारी ओम प्रकाश सिंह को चुना. मौजूदा समय में ओम प्रकाश सिंह यूपी के डीजीपी हैं. सरकार का महाधिवक्ता राजपूत-योगी आदित्यनाथ ने यूपी सरकार के लिए महाधिवक्ता के रूप में राघवेंद्र सिंह को चुना. योगी के महाधिवक्ता भी राजपूत समाज से आते हैं. राघवेंद्र सिंह 1980 से इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में प्रैक्टिस कर रहे हैं. उन्होंने वकालत की शुरुआत 1977 में हरदोई से की थी. वह मूलत: हरदोई जिले के ही रहने वाले हैं.


उनके महाधिवक्ता बनाए जाने पर हाईकोर्ट के वकील अशोक पांडेय ने नाराजगी भी जाहिर की थी. योगी पर जातिवाद का आरोप लगाया था. योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद जैसे ही पुलिस प्रशासन में फेरबदल हुआ तो थानों पर राजपूतों के कब्जा का आरोप लगा. पूर्वांचल के अधिकतर थानों का जिम्मा राजपूतों को सौंपा गया था. एक समय हालत ये थी कि वाराणसी के 24 थानों में 23 पर सवर्ण और उनमें भी ज्यादातर राजपूत काबिज थे.इलाहाबाद के 44 थानों में से 42 पर सवर्ण कोतवाल और थानाध्यक्ष बनाए गए.इसके अलावा सूबे के ज्यादातर जिलों में डीएम एसपी राजपूत समाज के नियुक्त किए गए. योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल के 44 मंत्रियों में से 7 राजपूत समाज से हैं,जो कि 16 फीसदी है. बीजेपी के 325 विधायकों में से 56 विधायक राजपूत हैं,जो कि 18 फीसदी हैं. जबकि सूबे में राजपूत समाज की आबादी करीब 5 फीसदी है.गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मठ के महंत जरूर हैं,लेकिन वे राजपूत परिवार में जन्मे है.

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