टीचर्स की पिटाई के बाद लखनऊ यूनिवर्सिटी अनिश्चितकाल के लिए बंद,कुलपति समेत कई अधिकारियों को हाईकोर्ट ने किया तलब

Update: 2018-07-05 08:31 GMT

लखनऊ यूनिवर्सिटी में एडमिशन की मांगों को लेकर कई दिनों से धरना दे रहे छात्रों ने बुधवार को कैंपस में जमकर बवाल किया. इस दौरान छात्र इतने आक्रोशित हो गए कि शिक्षकों की जमकर पिटाई कर दी. यही नहीं, पूर्व छात्रों ने बाहरी लोगों के साथ मिलकर यूनिवर्सिटी के कैंपस में ही शिक्षकों को बुरी तरह पीटा और उनके कपड़े तक फाड़ दिए. इस मारपीट में दर्जनभर शिक्षक बुरी तरह घायल हुए हैं. ये घटना सीसीटीवी में भी कैद हो गई.घटना के बाद एलयू प्रशासन ने यूनिवर्सिटी को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है. यूनिवर्सिटी अब कब खुलेगी, इस सवाल पर कुलपति एसपी सिंह ने कहा कि अगले आदेश तक यह बंद रहेगा.                 


आप को बता दें की लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में आज असामाजिक तत्वों के हमले में दर्जन भर से अधिक शिक्षक घायल हो गये। हमलावर खुद को सपा कार्यकर्ता बता रहे थे। घटना के बाद एलयू प्रशासन ने विश्वविद्यालय अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है। कुलपति एस पी सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'दर्जन भर से अधिक शिक्षक घायल हुए हैं। मुझ पर भी हमला हो जाता लेकिन मेरे साहयोगियों ने मुझे बचा लिया। घटना को अंजाम देने वाले एलयू के छात्र नहीं थे बल्कि असामाजिक तत्व थे । वे खुद को सपा कार्यकर्ता बता रहे थे। हमलावरों की संख्या 25 से 30 के बीच थी।' 
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। प्रवेश के लिए चल रही काउंसलिंग को भी रोक दिया गया है। हम एफआईआर करने जा रहे हैं। विश्वविद्यालय अब कब खुलेगा, इस सवाल पर कुलपति ने कहा कि अगले आदेश तक यह बंद रहेगा। घायलों में प्राक्टर विनोद सिंह, चीफ प्रोवोस्ट संगीता रानी और कुछ ​अन्य शिक्षक हैं। विश्वविद्यालय के कुछ सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए हैं।              



वहीँ लखनऊ विश्वविद्यालय में बुधवार को कुलपति, प्रॉक्टर व शिक्षकों के साथ हुई मारपीट के मामले का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वतः सज्ञान लिया है। गुरुवार को हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार समेत पुलिस महानिदेशक और एसएसपी लखनऊ को शुक्रवार सुबह कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।इस पूरे घटनाक्रम की निंदा करते हुए कोर्ट ने कहा कि एसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पुलिस को हमेशा तैयार रहना चाहिए। शैक्षिक संस्थानों में इस तरह की घटनाएं चिंता का विषय हैं। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस राजेश सिंह चौहान इस मामले की सुनवाई करेंगे।

                


पुलिस अधीक्षक (ट्रांस गोमती) हरेन्द्र कुमार ने बताया कि तीन लोगों को इस सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। हम विश्वविद्यालय प्रशासन की तहरीर का इंतजार कर रहे हैं। कुलपति ने बताया कि परिसर में दो तीन दिनों से आंदोलन चल रहा था। यह आंदोलन प्रवेश से जुडी मांगों को लेकर था। आशंका है कि कुछ प्रदर्शनकारी भी शिक्षकों पर हुए हमले में शामिल थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काफिले को पिछले साल जून में काला झंड़ा दिखाने वाले 20 से अधिक छात्रों का आरोप है कि उन्हें विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर पाठयक्रमों में दाखिला नहीं दिया जा रहा है। इसके विरोध में वे सोमवार से धरने पर हैं।               


योगी के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल ​अधिकांश छात्र वामपंथी आल इंडिया स्टूडेंटस एसोसिएशन (आइसा) और सपा की छात्र इकाई के थे। इस मामले पर कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए तय प्रक्रियाएं हैं। नियम विरूद्ध प्रवेश नहीं दिया जा सकता। इस बीच हिंसा को लेकर एलयू शिक्षक एसोसिएशन ने कल आपात बैठक बुलायी है जिसमें भावी रणनीति तय की जाएगी।

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