उत्तर प्रदेश: योगी के विधायक ने अपने ही मंत्री को कहा कुत्ता, मच गया बवाल

Update: 2018-06-19 06:05 GMT

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर और बलिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह आपस में ही भिड़ गए। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया। एक समाचार चैनल पर दोनों नेताओं को एक-दूसरे की तुलना कुत्ते से करते हुए देखा गया। ओम प्रकाश राजभर भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। वह योगी सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री हैं। वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे पर समाचार चैनल के पत्रकार ने राजभर से ताजमहल को लेकर दिए गए सुरेंद्र सिंह के एक बयान पर प्रतिक्रिया मांगी थी। दरअसल सुरेंद्र सिंह ने मांग की थी कि ताजमहल को राम महल बना देना चाहिए। सुरेंद्र सिंह की इस मांग से जुड़े सवाल पर ओम प्रकाश राजभर ने कहा, "हाथी रास्ता पकड़ के जाता है, कुत्ते भौंकते रह जाते हैं, कुछ कुत्ते ऐसे हैं उनका काम ही है भौंकना।" राजभर पर पलटवार करते हुए बलिया से विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा, "ओम प्रकाश राजभर जी अपनी परिभाषा बता रहे हैं, देखिए ये राजनैतिक.. वो स्वयं राजनैतिक कुत्ता है..राजनैतिक कुत्ता का परिभाषा यह होता है कि जिधर रोटी देखेगा उधर दौड़ेगा।"


सुरेंद्र सिंह ने आगे कहा, "राजनीतिक लाभ की दृष्टि से राजनीति करने वाला किसी कुत्ता के समान होता है। तो स्वयं की परिभाषा को प्रयुक्त किया है। योगी जी और मोदी जी के बारे में बोलने वाला व्यक्ति… ओ सब अपने बारे में बोला है.. हाथी चला जाता है और हम कुत्ते की तरह से भौंकते हैं।" राजभर ने सुरेंद्र सिंह के खिलाफ फिर कहा, "पूरा बलिया उसके खिलाफ धरने पर बैठा है, डीएम धरने के पक्ष में हो गया है, पूरा प्रदेश आंदोलन करने जा रहा है, दिमाग खराब हो गया है, उसका दिमागी ऑपरेशन.. क्या कहते हैं.. मानसिक चिकित्सालय में भर्ती कराना पड़ेगा, देख लीजिएगा।"


राजभर ने यहां तक कहा कि दोनों तरफ से सामंजस्य बनता है। आप हमें जूता दिखाओगे तो हम जूता लेकर मारना शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि वह पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे। राजभर अपने बयान पर अड़े रहे। बीजेपी के प्रवत्का राकेश त्रिपाटी ने डिबेट में हिस्सा लेते हुए कहा, "लोकतत्र में अभिव्यक्ति की आजादी है, हर व्यक्ति अपनी अभिव्यक्ति कर सकता है, अभिव्यक्ति की अजादी करते समय हमें जो संविधान के द्वारा निर्बंधन लगाए गए हैं उनका भी ध्यान रखे जाने की आवश्यकता है, कोई भी ऐसी भाषा जिससे किसी भी समुदाय को, किसी भी व्यक्ति को ठेस पहुंचे, उसको बोलने से परहेज करना चाहिए। मैं मानता हूं भाषाई मर्यादा किसी भी व्यक्ति के लिए आवश्यक हैं और किसी राजनैतिक दल के कार्यकर्ता के लिए तो और ज्यादा जरूरी होती है और भाषाई मर्यादा का सबको पालन करना चाहिए।" बता दें कि इससे पहले राजभर ने समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव से बंद कमरे में मुलाकात कर सियासी कयासबाजियों को जन्म दे दिया था। 

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