Farmers Protest: कृषि कानून पर आर पार, केंद्र सरकार की कवायद पर क्या बनेगी बात?

अब सवाल यह है कि आखिर किसानों को सरकार के बयान पर भरोसा क्यों नहीं हो रहा है। इस मामले में जानकारों का कहना है कि जिस तरह से कृषि कानून को लाया गया है उससे किसानों को लगता है कि कुछ समय के बाद एमएसपी और मंडियों को हटाया जा सकता है।

Update: 2020-12-01 02:53 GMT

नई दिल्ली। अन्नदाता इस समय गुस्से में हैं, वजह केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन नए कृषि कानून हैं। सरकार बार बार भरोसा दे रही है कि एमएसपी और मंडियों का अस्तित्व बरकार रहेगा। लेकिन किसानों को भरोसा हो नहीं हो रहा है। सोमवार को अखिल भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बूटा सिंह ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह से बातचीत हुई थी और मंगलवार को किसानों के प्रतिनिधि सरकारी नुमाइंदो से बातचीत करेंगे। अब इस संबंध में किसानों के संगठनों का कहना है कृषि मंत्रालय से बातचीत के लिए खत मिला है। करीब आठ बजे किसान नेता सरकार के न्यौते पर विचार करेंगे कि आखिर क्या करना है।

किसानों को सता रहा है एमएसपी खत्म होने का डर

अब सवाल यह है कि आखिर किसानों को सरकार के बयान पर भरोसा क्यों नहीं हो रहा है। इस मामले में जानकारों का कहना है कि जिस तरह से कृषि कानून को लाया गया है उससे किसानों को लगता है कि कुछ समय के बाद एमएसपी और मंडियों को हटाया जा सकता है। जब किसान अपनी उपज को कहीं भी बेच सकेंगे तो मंडियों को जरूरत ही नहीं होगी। इसके साथ ही शुरुआत में व्यापारी सही भुगतान कर सकते हैं। लेकिन कुछ वर्ष बीतने के बाद फसलों की खरीद औने पौने दाम पर होगी।

सरकार का क्या है कहना

इस विषय में सरकार के आला मंत्रियों के साथ साथ पीएम नरेंद्र मोदी भी स्पष्ट कर चुके हैं कि मुद्दाहीन विपक्ष इस विषय पर भ्रम फैला रहा है वो साफ करना चाहते हैं कि एमएसपी या मंडियों को खत्म किया ही नहीं जा सकता है। कुछ लोगों को देश के विकास से कोई लेनादेना नहीं हैं और वो सिर्फ निजी स्वार्थ के लिए माहौल खराब कर रहे हैं। 

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