किसान आंदोलन : सुप्रीम कोर्ट की समिति पर विवाद बरकरार, न्याय के लिए किसानों ने नए लोगों को रखने की मांग उठाई

भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति ने कहा कि यह न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन होगा क्योंकि चार सदस्यीय समिति में जिन लोगों को नियुक्त किया गया है ‘उन्होंने इन कानूनों का समर्थन किया है।’

Update: 2021-01-17 05:45 GMT

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सुप्रीम कोर्ट में तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान और केंद्र के बीच छिड़ी जंग को सुलझाने के लिए एक समिति का गठन किया था। लेकिन अब एक किसान संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि नए किसान कानूनों को लेकर प्रदर्शनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध को हल करने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा गठित पैनल से सदस्यों को हटाया जाए।

भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति ने कहा कि यह न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन होगा क्योंकि चार सदस्यीय समिति में जिन लोगों को नियुक्त किया गया है 'उन्होंने इन कानूनों का समर्थन किया है।' एक हलफनामे में संगठन ने केंद्र सरकार की एक याचिका को भी खारिज करने की मांग की है, जिसे केंद्र सरकार ने दिल्ली पुलिस के मार्फत दायर कर 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च या किसी अन्य प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग की है।

यूनियन ने इस पैनल में विरोध प्रदर्शन करने वाले कृषि नेताओं के साथ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की नियुक्ति करने का अनुरोध किया है। SC ने 12 जनवरी को किसानों की शिकायतों को सुनने और आठ सप्ताह में एक रिपोर्ट पेश करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। इसके बाद गुरुवार को अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने "किसानों के हितों" का हवाला देते हुए खुद को पैनल से हटा लिया था।

बता दें कि इस कोर्ट की बनाई कमिटी में अशोक गुलाटी, अनिल घनवट,भूपिंदर सिंह मान और प्रमोद जोशी के नाम थे। इसके बाद गुरुवार को अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने "किसानों के हितों" का हवाला देते हुए खुद को पैनल से हटा लिया था।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च के खिलाफ केंद्र के आवेदन पर 18 मार्च को सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी। भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति उन 40 किसान संगठनों में शामिल है जो कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए करीब 50 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहा है।

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