वाजपेयी मंत्रिमंडल में मंत्री रहे इस बड़े नेता ने पीएम नरेंद्र मोदी पर किया हमला, कहा- जो उनके खिलाफ बोलेगा उस पर मुकदमा होगा

Update: 2017-05-29 12:38 GMT

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री पूर्व बीजेपी नेता अरुण शौरी ने एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला। इस दौरान उन्होंने कई अहम मसलों पर बातचीत की। द वायर को दिए इस इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि नरेंद्र मोदी दुनिया के इकलौते एेसे नेता हैं जो गाली-गलौच करने वाले ट्विटर हैंडल को फॉलो करते हैं। इन्हीं हैंडल के जरिए आपको और आपके बेटे पर करन ठापर को दिए इंटरव्यू के बाद हमला बोला गया।


इस पर उन्होंने कहा कि उनको फॉलो करके मोदी संदेश देते हैं कि मैं उसे फॉलो कर रहा हूं। अगर आप उसे फॉलो कर रहे हैं तो आप ही उसे बढ़ावा भी दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मैंने सुना है कि पीएम मोदी ने उनका स्वागत भी किया। पीएम के आधिकारिक निवास पर भी आपको वही लोग मिलते हैं। वे पीएम मोदी के साथ फोटो भी लगाते हैं। उनमें से एक शख्स को उन्होंने बीजेपी के आईटी सेल का हेड बना दिया। अब यह सरकारी और पार्टी अॉपरेशन बन चुका है।


उन्होंने कहा कि राजस्थान के अखबार राजस्थान पत्रिका को राज्य सरकार ने सिर्फ इसलिए विज्ञापन देने से इनकार कर दिया, क्योंकि उन्होंने केंद्र सरकार के बारे में कुछ गलत लिखा था। शौरी से पूछा गया कि आशीष नंदी ने नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू के बाद लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था, मुझे महसूस हो रहा है कि मेरी मुलाकात एक किताबी फासीवादी शख्स से हुई है। आप भी मोदी को जानते हैं, उनके लिए प्रचार भी किया है। क्या आप उनसे सहमत हैं?


इस पर उन्होंने कहा कि जो भी नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़ा होगा , उसपर प्रदीप शर्मा (आईएएस) और तीस्ता सीतलवाड़ की तरह मुकदमों की झड़ी लग जाएगी। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी बहुत जल्दी तिलमिला जाते हैं। उदाहरण के तौर पर दिल्ली और बिहार चुनावों को ही देखिए। यहां मोदी ने विकास-विकास का नारा छोड़कर, लुभावने वादों का पुलिंदा बांध दिया। यह दिखाता है कि एक चुनावी हार से वह कितना घबरा जाते हैं।


क्या आपको लगता है कि सत्ता में बने रहने के लिए आरएसएस ने मोदी और शाह दोनों से समझौता किया है?इस पर शौरी ने कहा नहीं, लेकिन आप एेसा क्यों सोचते हैं कि दोनों अलग हैं। मोदी-शाह हर दिन आरएसएस के मूल्यों को अपनों की तरह बढ़ावा देते हैं। इसी से जाहिर होता है कि वह सत्ता में है। आप देखिए कि बड़े संस्थानों में किन लोगों की नियुक्तियां की गई हैं। इंडियन काउंसिल फॉर हिस्टॉरिकल रिसर्च (ICHR) का ही उदाहरण ले लीजिए।


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