राफेल डील में दसॉ ने भारत के बिचौलिए को दिए थे एक मिलियन यूरो, फ्रांसीसी मीडिया रिपोर्ट में दावा

फ्रांस के मीडिया संस्थान मीडियापार्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि राफेल लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी दसॉ ने डील के लिए भारत में एक बिचौलिए को यह राशि दी, घोटाले की रिपोर्ट लिखने वाले रिपोर्टर का कहना है कि यह तो अभी खुलासों का केवल एक हिस्सा है, अभी इस मामले में दो और बड़े खुलासे होने बाकी हैं

Update: 2021-04-05 09:28 GMT

नई दिल्ली। भारत और फ्रांस के बीच हुए विवादित राफेल डील में एक बड़े घोटाले की बात सामने निकल कर आई है। एक फ्रांसीसी मीडिया संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि राफेल डील के बाद लड़ाकू विमान का निर्माण करने वाली कंपनी दसॉ ने भारत के एक बिचौलिए को एक मिलियन यूरो की राशि दी थी। यह खुलासा फ्रांस के मीडिया संस्थान मीडियापार्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है। मीडिया पार्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस घोटाले में फ्रांस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई जो कि राजनेताओं और न्यायिक प्रणाली की मिलीभगत की गवाही दे रहा है।

मीडिया पार्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इस घोटाले का खुलासा तब हुआ था जब फ्रांस की एंटी करप्शन एजेंसी AFA (Agence Francaise Anti-corruption) ने दसॉल्ट के खातों का ऑडिट किया था। फ्रांसीसी रिपोर्ट के मुताबिक ऑडिट करने के दौरान एजेंसी को इस बात का पता चला कि 5,08,925 यूरो की राशि 'गिफ्ट टू क्लाइंट्स' के तौर पर ट्रांसफर की गई थी। जब फ्रांसीसी एंटी करप्शन एजेंसी ने कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा तब कंपनी ने कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल राफेल लड़ाकू विमानों के 50 मॉडल बनाने में हुआ था। लेकिन मीडिया पार्ट के मुताबिक ऐसे कोई मॉडल कभी बने ही नहीं।

मीडिया पार्ट के मुताबिक 30 मार्च 2017 को भारतीय कंपनी defsys solutions के इनवॉइस के सहारे दसॉल्ट ने फ्रांसीसी एजेंसी को यह समझाने का प्रयास किया था कि उसने लड़ाकू विमानों के 50 मॉडल बनाने के लिए defsys solutions को लगभग एक मिलियन यूरो की राशि का आधा फीसदी हिस्सा भुगतान किया था। एक मॉडल की कीमत 50 हज़ार यूरो के करीब थी। लेकिन कंपनी फ्रांसीसी एजेंसी को अपने जवाबों से संतुष्ट करने में नाकाम रही।

मीडियापार्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस पूरे मामले की जानकारी मिलने के बावजूद फ्रांस की एंटी करप्शन इकाई ने किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की। जो कि राजनेताओं और न्यायिक प्रणाली की मिलीभगत की गवाही दे रही है। मीडिया पार्ट की रिपोर्ट के मुताबिक तमाम आरोपों का दसॉल्ट के पास कोई जवाब ही नहीं था कि आखिर कंपनी ने इतनी बड़ी रकम किसे और क्यों दी? लेकिन इसके बावजूद कंपनी पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई।

सबसे बड़ा खुलासा तीसरी रिपोर्ट में होगा:

मीडियापार्ट में इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने वाले रिपोर्टर यान फिलीपीन ने का कहना है कि यह खुलासा तो अभी शुरुआत है। अभी इस मामले में सबसे बड़ा खुलासा होना बाकी है। यान फिलीपीन के हवाले से इंडिया टुडे की रिपोर्ट में यह दावा किया है कि राफेल समझौते की जांच तीन हिस्सों में जा रही है। यह अभी जांच का पहला हिस्सा ही है। अभी तो बड़े और खुलासे होने बाकी है। सबसे बड़ा खुलासा तीसरे हिस्से में होने वाला है।

भारत और फ्रांस के बीच 2016 में राफेल विमान का समझौता हुआ था। जिसके तहत फ्रांस को 36 राफेल विमान भारत को मुहैया कराने थे। अब तक अलग अलग खेपों में भारत को 14 विमान मिल चुके हैं। अप्रैल और मई महीने में बाकी बचे राफेल विमानों के भारत आने की संभावना है। इसी बीच फ्रांस के विदेश मंत्री इसी महीने भारत के दौरे पर आने वाले हैं। वहीं प्रधानमंत्री मोदी भी अगले महीने फ्रांस जाने वाले हैं।

राफेल विमानों का समझौता शुरू से ही विवादों में रहा है। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले 2019 के शुरुआती महीनों में राफेल विमानों के समझौते और उसके पैरलेल नेगोशियेशन का मुद्दा भी काफी गर्माया था। कांग्रेस और राहुल गांधी लगातार राफेल की खरीद और उसके समझौते में बड़े घोटाले का आरोप प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी पर लगाते रहे हैं। 

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