किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिकी किसानों की नजरें, आज जारी होगा आदेश

किसान नेताओं का कहना है कि मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से निर्णय आने के बाद आंदोलन की आगामी रणनीति तय की जाएगी। फिलहाल पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार गणतंत्र दिवस परेड में ट्रैक्टर लेकर शामिल होने की तैयारी की जा रही है।

Update: 2021-01-12 04:28 GMT

किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिकी किसानों की नजरें, आज जारी होगा आदेश

जनशक्ति: कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली के बार्डर पर धरनारत हजारों किसानों की नज़रें अब मंगलवार को उच्चतम न्यायालय के आने वाले संभावित निर्णय पर टिकी है। कुंडली, टिकरी, सिंघु बॉर्डर पर किसानों का धरना आज 47वें दिन में प्रवेश कर गया। फिलहाल आंदोलन की रूपरेखा मेें कोई बदलाव नहीं किया गया है। किसान व किसान नेताओं की नजरें दिनभर उच्चतम न्यायालय में चल रही सुनवाई पर टिकी रही।

किसान नेताओं का कहना है कि मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से निर्णय आने के बाद आंदोलन की आगामी रणनीति तय की जाएगी। फिलहाल पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार गणतंत्र दिवस परेड में ट्रैक्टर लेकर शामिल होने की तैयारी की जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को किसान आंदोलन पर सुनवाई करते हुए सख्ती दिखलाते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई और कहा कि अगर आप तीनों कृषि कानून पर रोक नहीं लगाएंगे तो हम लगा देंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने किसानों से पूछा कि क्या वो हमारी बनाई हुई कमेटी के पास जाएंगे। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अब सरकार और पक्षकारों से कुछ नाम देने को कहा है। ताकि कमेटी में उन्हें शामिल किया जा सके। कोर्ट ने कहा कि हमारे लिए लोगों का हित जरूरी है, अब कमेटी ही बताएगी कि कानून लोगों के हित में है या नहीं।

मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्यों न तीनों कानूनों पर उस वक्त तक रोक लगा दी जाये, जब तक न्यायालय द्वारा गठित समिति इस मामले पर विचार न कर ले और अपनी रिपोर्ट न सौंप दे। हालांकि एटर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कानूनों पर रोक की न्यायालय की सलाह का कड़ा विरोध किया।

न्यायमूर्ति बोबडे ने पूछा, "आप हमें बतायें कि क्या आप किसान कानूनों पर रोक लगाते हैं या हम लगायें। इन कानूनों को स्थगित कीजिए। इसमें क्या मसला है? हम इसे आसानी से रोक लगाने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन हम कहना चाहते हैं कि कानून को फिलहाल लागू न करें।" न्यायालय ने कहा कि कुछ किसानों ने आत्महत्या कर ली है, बूढ़े बुजुर्ग और महिलाएं आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं। आखिर हो क्या रहा है? आज तक एक भी याचिका ऐसी दायर नहीं हुई है जिसमें कहा गया हो कि कृषि कानून अच्छे हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार और किसानों के बीच बातचीत पर कोई प्रगति नहीं होने पर चिंता जताते हुए कहा कि किसान संगठनों और सरकार के बीच आठ दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई है, जबकि अगली बैठक 15 जनवरी के लिए निर्धारित है।

लंबी बहस के बाद एटर्नी जनरल ने हड़बड़ी में कोई आदेश पारित न करने खंडपीठ से अनुरोध किया, लेकिन न्यायमूर्ति बोबडे ने नाराजगी जताते हुए कहा, "मिस्टर एटर्नी जनरल आप धैर्य को लेकर हमें लेक्चर न दें। हमें जल्दबाजी में क्यों न रोक लगानी चाहिए।"

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