नीतीश कुमार के सामने मुसीबतों का पहाड़, नेता का दावा- बिहार में टूट जाएगी जदयू!

वहीं राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि इसका संदेश साफ है कि अब भाजपा को नीतीश कुमार की कतई परवाह नहीं है। शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार साहस दिखाकर कोई निर्णय लेते हैं तो हम उसका स्वागत करेंगे।

Update: 2020-12-27 10:39 GMT

जनशक्ति: अरुणाचल प्रदेश में जदयू के छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरना शुरू कर दिया है। राजद नेता तेज प्रताप यादव ने इस प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि पार्टी (जदयू) में टूट शुरू हो चुकी है और जल्द ही बिहार में भी इनका सफाया जल्द हो जाएगा। माना जा रहा है कि 7 में 6 विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कराकर भाजपा ने जदयू को एक कड़ा संदेश भी दिया है। भाजपा द्वारा जदयू विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल किए जाने पर कांग्रेस ने तंज कसा है। कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा विपक्षी पार्टी को तोड़ती रही है, पर अरुणाचल प्रदेश की घटना ने साफ कर दिया है कि अब वह सहयोगी दल को भी तोड़ने लगी है।

वहीं राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि इसका संदेश साफ है कि अब भाजपा को नीतीश कुमार की कतई परवाह नहीं है। शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार साहस दिखाकर कोई निर्णय लेते हैं तो हम उसका स्वागत करेंगे।


हिंदुस्तान के मुताबिक शिवानंद तिवारी ने कहा कि एक समाचार पत्र में खबर छपी है कि हिंदू जागरण मंच के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ही बिहार में भी लव जिहाद के विरुद्ध कानून बनाया जाए। यह आवाज धीरे-धीरे तेज होने वाली है। उन्होंने कहा कि विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने जिस प्रकार नीतीश जी के लिए चिराग पासवान का इस्तेमाल किया उसका उद्देश्य क्या था, यह धीरे-धीरे खुलने लगा है।

गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश में भाजपा के बाद जदयू दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। अप्रैल, 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में जदयू अकले मैदान में उतरा था। जदयू ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा और सात पर जीत पाई थी। 4 पर वह दूसरे तो तीन पर तीसरे नंबर पर रहा था। वहीं एक सीट पर जदयू चौथे नंबर पर था। 60 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश में भाजपा को 41, एनपीईपी को पांच और कांग्रेस को चार सीटें मिली थी। इस तरह जदयू वहां दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी। प्रदेश की राजधानी ईटानगर में भी जदयू की जीत हुई थी। हालांकि, दूसरी बड़ी पार्टी रहने के बाद भी जदयू ने विपक्ष में बैठने के बजाय सरकार को बाहर से समर्थन दिया था। 

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