किसान आंदोलन: सिंघु बॉर्डर पर संत बाबा राम सिंह ने गोली मारकर की आत्महत्या, सरकार के बर्ताव से थे दुखी

सिंघु बार्डर पर धरने में शामिल संत बाबा राम सिंह ने बुधवार को खुद को गोली मार ली। गोली लगने से उनकी मौत हो गई है। उन्होंने एक सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसमें बाबा राम सिंह ने कहा है कि वह किसानों की हालत देखकर दुखी हैं।

Update: 2020-12-16 14:05 GMT

किसान आंदोलन: सिंघु बॉर्डर पर संत बाबा राम सिंह ने गोली मारकर की आत्महत्या, सरकार के बर्ताव से थे दुखी

जनशक्ति: दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर (सिंघु बार्डर) पर धरने में शामिल संत बाबा राम सिंह ने बुधवार को खुद को गोली मार ली। गोली लगने से उनकी मौत हो गई है। घायल अवस्था में उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां पर चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। बाबा राम सिंह करनाल के रहने वाले थे। उनका एक सुइसाइड नोट भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए उनके हक के लिए आवाज बुलंद की है। बाबा जी के सेवादार गुरमीत सिंह ने भी घटना की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि बाबा जी के हरियाणा और पंजाब में ही नहीं, दुनियाभर में लाखों की संख्या में अनुयायी हैं।


सुइसाइड नोट का हिंदी अनुवाद

किसानों का दुख देखा है अपने हक के लिए

सड़कों पर उन्हें देखकर मुझे दुख हुआ है

सरकार इन्हें न्याय नहीं दे रही है

जो कि जुल्म है

जो जुल्म करता है वह पापी है

जुल्म सहना भी पाप है

किसी ने किसानों के हक के लिए तो किसी ने जुल्म के खिलाफ कुछ किया है

किसी ने पुरस्कार वापस करके अपना गुस्सा जताया है

किसानों के हक के लिए, सरकारी जुल्म के गुस्से के बीच सेवादार आत्मदाह करता है

यह जुल्म के खिलाफ आवाज है

यह किसानों के हक के लिए आवाज है

वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह

मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से किसान की गई थी जान

इससे पहले, कुंडली बॉर्डर पर केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन में मंगलवार को एक किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। पंजाब के मोगा जिले के गांव भिंडर कलां के निवासी मक्खन खान (42) अपने साथी बलकार व अन्य के साथ तीन दिन पहले कुंडली बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल होने आए थे।

किसान नेताओं का कहना है कि लगभग हर रोज एक किसान की मौत हो रही है। कोरोना काल में कड़ाके की ठंड में खुले में इस तरह का प्रदर्शन काफी चुनौतीपूर्ण है। हालांकि किसानों के हौसले बुलंद हैं। उन्होंने कहा है कि वे 6 महीने तक टिकने की तैयारी के साथ आए हैं। आंदोलन में शामिल अब तक 11 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है।

आपको बता दें कि नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले करीब तीन हफ्तों से दिल्ली के बॉर्डर पर दिल्ली, हरियाणा से आए किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। कई दौर की वार्ता भी हुई पर सरकार और किसान नेताओं के बीच कोई आम सहमति नहीं बन पाई। किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। इधर, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि इस मामले में पंजाब के किसान संगठनों सहित देश के कई किसान संगठनों से हमारी बातचीत चल रही है और जल्दी ही इसका समाधान निकल आएगा।

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