योगी आदित्यनाथ खौफ पैदा कर राज सकते हैं पर अखिलेश यादव दिलों पर राज करते हैं: जानिए दोनों के बीच 5 अंतर

Update: 2017-08-01 00:52 GMT

सत्ता किसी के बाप की जागीर नहीं होती,लोकतांत्रिक व्यस्था में तो और नहीं लेकिन सही राजनेता वह होता है जो जनता दलों पर राज करेI हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के सुल्तान अखिलेश यादव की जो सत्ता से बहार रह कर आज भी जनता के दिलों पर राज कर रहाI समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच में कुछ ऐसे अंतर हैं, जिन्हें अब प्रदेश की जनता स्पष्ट रूप से महसूस कर पा रही है.


क्या है ऐसे 5 अंतर-

1.एक तरफ जहाँ योगी की छवि कट्टर हिंदूवादी नेता की रही है और है तो वहीँ दूसरी ओर अखिलेश यादव की छवि सर्वजन नेता की है. अखिलेश यादव ने कभी खुद को किसी जातिगत ढाँचे में नहीं ढाला. उन्होंने जितना सम्मान हिन्दुओं का किया उतना ही सम्मान हर धर्म, हर जाति और हर संप्रदाय के लोगों का किया. योगी आदित्यनाथ के साथ आरएसएस का पूरा संगठन है और वो उन्हीं के सहारे आज यहाँ तक पहुंचे हैं. इतिहास में आरएसएस को एक विशुद्ध हिंदूवादी संगठन माना जाता है, और उसके नेता समय समय पर इस बात की पुष्टि भी करते रहें हैं. इस मामले में अखिलेश यादव की छवि योगी आदित्यनाथ से कहीं बेहतर है


2. सरकारी कामकाज के तौर तरीकों में भी स्पष्ट अंतर देखा जा सकता है. समाजवादी पार्टी की सरकार के समय सरकारी कर्मचारियों के साथ तालमेल बिठा कर और उन्हें यथोचित सम्मान देकर काम लिया जाता था जबकि बीजेपी की इस सरकार में योगी के नेतृत्व में सरकारी कर्मचारियों से झाड़ू मरवाकर उनकी वीडियोग्राफी कराई जा रही है. जरा सोचिये क्या सरकारी कर्मचारी झाड़ू मारने के लिए है, उसके कार्ययालय और आसपास की सफाई का ज़िम्मा जमादारों का हैं जो कि वो हर रोज करते हैं तो फिर ज़बरदस्ती का भौकाल बनाने के लिए और सरकारी कर्मचारियों को नीचा दिखाने का ये काम क्यों किया जा रहा है. निश्चित रूप से इससे अधिकारी वर्ग में घोर असंतोष और नाराजगी है. योगी जी को चाहिए कि वो हर सरकारी कर्मचारी से उनके निश्चित काम के बारे में जानकारी लें और उन्हें उनके काम को पूरी ताकत से करने के लिए प्रोत्साहित करें. यहाँ अखिलेश यादव को देखेंगे तो उनके शासन काल में अधिकारी वर्ग बहुत खुश और संतुष्ट होकर पूरी ताकत के साथ काम कर रहा था, फिर चाहे वो किसी भी वर्ग का क्यों न रहा हो.


3.अखिलेश यादव ने खुद को जनता के बीच का नेता साबित किया था. उनका मिलनसार स्वभाव उन्हें हमेशा जनता जनार्दन के करीब लेके गया. मुख्यमंत्री आवास में लगने वाला जनता दरबार उन्हीं का शुरू किया हुआ है. जहाँ पर कोई भी जाके उनसे मिल सकता था, गरीब हो, अमीर हो या समाज के किसी भी तबके का हो उसकी पहुँच अपने युवा मुख्यमंत्री तक हमेशा रही. जबकि योगी आदित्यनाथ की कट्टर छवि उन्हें जनता के बीच का नेता नहीं बनने देती.


4. महिलाओं की सुरक्षा और अपराध पर नियंत्रण करने में भी अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ की सरकार पर कहीं भारी हैं. चाहे वो 1090 हो या डायल 100. ये दोनों योजनायें अखिलेश यादव ने अपराध के खात्मे के लिए शुरू की और ये बेहद कामयाब रहीं. गाँव गाँव में पुलिस कुछ पलों में ही पहुँचने लगी थी. आज जबकि योगी जी की सरकार हैं, कुछ नया नहीं कर पाए, ऊपर से डायल 100 को ही रोमियो स्क्वाड बना कर पूरे पुलिस महकमे की छीछालेदर करवा दी. कई बार तो ऐसा हुआ कि सड़क पर चलते हुए सगे भाई बहन को भी पुलिस वालों ने लैला मजनू समझ कर जलील किया. तो इस मुद्दे पर भी दोनों के बीच में अंतर साफ़ है जहाँ अखिलेश यादव का कोई मुकाबला नहीं.


5. उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था, बिजली और पानी की बात करें तो यहाँ भी योगी आदित्यनाथ सरकार बेहद पीछे छूटती नज़र आ रही है. अखिलेश यादव ने अपने चौतरफा विकास कामों से उत्तर प्रदेश को देश में कई मामलों में पहले स्थान पर पहुंचा दिया था. अखिलेश के समय में प्रदेश में 24 घंटे बिजली की निर्बाध आपूर्ति शुरू हो चुकी थी, जबकि योगी की सरकार में बिजली की समस्या हर रोज बढ़ रही है, यहाँ तक कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी अघोषित बिजली कटौती हो रही है. गाँव का हाल तो और भी बुरा हो चला है. तो ये रहे वो 5 अंतर जो योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव की सरकार में साफ़ तौर पर देखें जा सकते हैं. अगर आपके मन में है कोई भी बात तो कमेंट बॉक्स में कमेंट कर ज़रूर बताएं

By R.Asim


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