उत्तर प्रदेश में महिला सीओ श्रेष्ठा ठाकुर को कानून-व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले बीजेपी के 5 नेताओं को जेल भेज दिया था। अपने काम के लिए प्रतिष्ठित सरकारी अधिकारी की ये बेबाकी शायद योगी सरकार को सही नहीं लगी। श्रेष्ठा ठाकुर के जिस कदम के लिए उन्हें सराहा जाना चाहिए था, सरकार ने उसके लिए उनका तबादला कर दिया है। श्रेष्ठा ठाकुर को बुलंदशहर के स्याना पुलिस थाने से ट्रांसफर कर बहराइच भेज दिया गया है।
हालांकि सरकार के इस फैसले को स्वीकारते हुए एक पोस्ट में लिखा, 'चिंता करने की जरूरत नहीं है, मैं खुश हूं। मैं इसे अपने अच्छे कामों के पुरस्कार के रूप में स्वीकार कर रही हूं। आप सभी बहराइच में आमंत्रित हैं।' लेकिन योगी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
इस बीच यूपी पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने इस मामले में कहा है कि योगी सरकार और श्रेष्ठा ठाकुर दोनों की गलती है। श्रेष्ठा ठाकुर ने बिना हेलमेट और बिना कागजात के बाइक चलाने पर बीजेपी नेताओं का चालान काटा, जोकि एक बहुत ही अच्छा और बहादुरी वाला संदेश है। लेकिन योगी सरकार को अधिकारी पर जल्दबाजी में इस तरह की कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। अधिकारी के खिलाफ काउंसलिंग ही बहुत थी।