BJP शासित असम में नवंबर में बंद हो जाएंगे सभी सरकारी मदरसे, शिक्षामंत्री ने कहा– सरकारी धन से नहीं देनी चाहिए धार्मिक शिक्षा

सम की भाजपा सरकार ने गुरुवार को ऐलान किया कि प्रदेश के सभी सरकारी मदरसों को बंद कर दिया जाएगा क्योंकि जनता के पैसों से धार्मिक शिक्षा देने का प्रावधान नहीं है। जानकारी के मुताबिक इस फैसले को अगले महीने के आखिर तक लागू कर दिया जाएगा।

Update: 2020-10-10 05:00 GMT

गुवाहाटी: असम की भाजपा सरकार ने गुरुवार को ऐलान किया कि प्रदेश के सभी सरकारी मदरसों को बंद कर दिया जाएगा क्योंकि जनता के पैसों से धार्मिक शिक्षा देने का प्रावधान नहीं है। जानकारी के मुताबिक इस फैसले को अगले महीने के आखिर तक लागू कर दिया जाएगा। गुवाहाटी में पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री हिमांता बिस्व शर्मा ने कहा, 'किसी भी धार्मिक शिक्षा वाले संस्थान को सरकारी फंड से संचालित नहीं किया जाएगा। हम इसका नोटिफिकेशन नंबर में जारी करने जा रहे हैं और इसे तत्काल लागू कर दिया जाएगा। हम प्राइवेट मदरसों के संचालन के बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं।'

असम सरकार के इस बयान पर AIUDF के मुखिया और लोक सभा सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि अगर बीजेपी की राज्य सरकार सरकारी मदरसे बंद कर देगी तो उनकी सरकार इन्हें फिर से खोल देगी। अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। उनकी पार्टी बहुमत से आई तो वे सरकार के बंद किए गए सारे मदरसे फिर से खोल देंगे।

मदरसों के बंद होने के बाद 48 संविदा शिक्षकों को शिक्षा विभाग के तहत स्कूलों में स्थानांतरित किए जाने की संभावना है। उन्होंने कहा कि निजी संस्कृत पाठशालाओं और मदरसों के बाेर में सरकार कुछ नहीं कहेगी। हालांकि उन्होंने कहा कि संस्कृत की शिक्षा का मामला अलग है।

बता दें कि असम में 614 सरकारी सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। इसमें लड़कियों के लिए 57, लड़कों के लिए तीन और 554 को एड हैं, जिनमें से 17 उर्दू माध्यम के हैं। यहां लगभग 1,000 मान्यता प्राप्त संस्कृत की पाठशालाएं हैं, जिनमें से लगभग 100 सरकारी सहायता प्राप्त हैं। राज्य सरकार सालाना मदरसों पर लगभग 3-4 करोड़ रुपये और राज्य में संस्कृत पाठशालाओं पर लगभग 1 करोड़ रुपये खर्च करती है।

दो साल पहले राज्य सरकार ने संस्कृत और मदरसों को नियंत्रित करने वाले बॉडी चेंज की थीं। राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के सभी मदरसों को सकेंडरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन असम के अंतर्गत कर दिया था और संस्कृत बोर्ड को कुमार भाष्कर वर्मा संस्कृत ऐंड एंसिएंट स्टडीज यूनिवर्सिटी के तहत कर दिया था।

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