अबकी बार, बेनामी पर वार! जानिए इस तरह की प्रॉपर्टी के बारे में

Update: 2016-11-15 12:41 GMT
काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी जंग के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया है कि उनका अगला निशाना बेनामी संपत्त‍ि है. पीएम ने कहा है कि सरकार बेनामी संपत्त‍ि रखने वालों पर कार्रवाई करेगी. सरकार ने 500 और 1000 के पुराने नोटों का चलन बंद कर दिया है और इनकी जगह पर 500 और 2000 के नए नोट जारी किए गए हैं. सरकार के इस फैसले से काला धन रखने वालों में खलबली मची है.
ऐसे यह जानना जरूरी है कि बेनामी संपत्त‍ि आखिर होती क्या है? किस तरह की संपत्त‍ि बेनामी संपत्त‍ि के दायरे में आती है? इससे जुड़ा कानून क्या कहता है?

क्या है बेनामी संपत्त‍ि?
नाम से लगता है कि बेनामी संपत्ति‍ ऐसी संपत्त‍ि है जो बिना नाम की होती है. यहां लेनदेन उस शख्स के नाम पर नहीं होता है जिसने इस संपत्त‍ि के लिए कीमत चुकाई है, बल्कि यह किसी दूसरे शख्स के नाम पर होता है. यह संपत्त‍ि पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदार के नाम पर खरीदी गई होती है. जिस शख्स के नाम पर ऐसी संपत्त‍ि खरीदी गई होती है, उसे बेनामदार कहा जाता है.

आमतौर पर ऐसे लोग बेनामी संपत्त‍ि रखते हैं जिनकी आमदनी का मौजूदा स्रोत स्वामित्व वाली संपत्त‍ि खरीदने के लिहाज से अपर्याप्त होता है. यह बहनों, भाइयों या रिश्तेदारों के साथ ज्वाइंट प्रॉपर्टी भी हो सकती है जिसकी रकम का भुगतान आय के घोषित स्रोतों से किया जाता है.

बेनामी संपत्ति चल या अचल संपत्त‍ि या वित्तीय दस्तावेजों के तौर पर हो सकती है. इसमें संपत्त‍ि के एवज में भुगतान करने वाले के नाम से कोई वैध दस्तावेज नहीं होता है. ऐसे मामलों में बेनामी लेनदेन में शामिल दोनों पक्षों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.

कब पास हुआ कानून?
बेनामी लेनदेन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने बेनामी लेनदन (पाबंदी) अधिनियम 1988 पारित किया था. इसके तहत बेनामी लेनदेन करने पर तीन साल की जेल और जुर्माना या दोनों का प्रावधान था.

केंद्र की मौजूदा सरकार ने इस कानून में संशोधन के लिए साल 2015 में संशोधन अधिनियम का प्रस्ताव किया. बीते अगस्त में संसद ने इस अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी थी. हाल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस संशोधन को हरी झंडी दे दी.

नए कानून के तहत सजा की मियाद बढ़ाकर सात साल कर दी गई है. जो लोग जानबूझकर गलत सूचना देते हैं उन पर प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य का 10 फीसदी तक जुर्माना भी देना पड़ सकता है.

सरकार ने भरोसा दिया है कि धार्मिक ट्रस्ट इस कानून के दायरे से बाहर रहेंगे. नया कानून घरेलू ब्लैक मनी खासकर रियल एस्टेट सेक्टर में लगे काले धन की जांच के लिए लाया गया है.

बेनामी संपत्त‍ि के तहत क्या नहीं आता?
पत्नी, बच्चों, माता-पिता के नाम खरीदी गई संपत्त‍ि और आय के घोषित स्रोत के जरिये चुकाई गई रकम बेनामी संपत्त‍ि के दायरे में नहीं आती. भाई, बहन, पत्नी, बच्चों के नाम खरीदी गई ज्वाइंट प्रॉपर्टी जो आय के ज्ञात स्रोतों से खरीदी गई हो, बेनामी संपत्त‍ि नहीं कहलाती है.
जिस लेनदेन में एक ट्रस्टी और लाभार्थी शामिल हो.


आजतक

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