UP : हाथरस गैंगरेप के बाद गांव के दलित परिवारों ने बयां किया दर्द, हम दलित है यही हमारा पाप है

हाथरस जिले के गांव में जहां 19 वर्षीय युवती के साथ गैंगरेप की घटना हुई, वहां रहने वाले दलितों का कहना है कि उनके साथ गांव में भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता है। हर बार जब वह दुकान पर जाते हैं तो दुकानदार उन्हें दूरी पर खड़े होने को कहते हैं। जाति को लेकर अपशब्द तो उनके लिए अब आम बात हो गई है।

Update: 2020-10-01 12:35 GMT

लखनऊ : हाथरस जिले के गांव में जहां 19 वर्षीय युवती के साथ गैंगरेप की घटना हुई, वहां रहने वाले दलितों का कहना है कि उनके साथ गांव में भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता है। हर बार जब वह दुकान पर जाते हैं तो दुकानदार उन्हें दूरी पर खड़े होने को कहते हैं। जाति को लेकर अपशब्द तो उनके लिए अब आम बात हो गई है। गांव के दलितों ने बताया कि गांव में दलितों के बस 15 परिवार ही हैं।

उन्होंने बताया कि गांव की कुल आबादी 600 के करीब परिवारों की है। इनमें से आधे ठाकुर जाति के परिवार हैं। वहीं 100 परिवार ब्राह्मण समुदाय के हैं। गांव के दलितों ने बताया कि उनके शमशान भी अलग है और गांव के मंदिर में भी उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाता है।

गैंगरेप की घटना के बाद जहां पूरे देश में इसकी चर्चा है, इसके बावजूद गांव में रहने वाले दलित परिवारों का मानना है कि उन्हें नहीं लगता कि अभी भी हालात बदलेंगे। यहां तक कि उन्हें तो डर है कि जब यह मामला मीडिया में दिखना बंद हो जाएगा तो हो सकता है कि उन्हें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़े।

दलितों के अनुसार, उनमें से कुछ के पास ही जमीन है और अधिकतर ऊंची जाति के लोगों के खेतों में मजदूरी ही करते हैं। पीड़िता की मां का कहना है कि बेटी की मौत के बाद भी उनके ठाकुर और ब्राह्मण पड़ोसी उनके घर उन्हें सांत्वना देने नहीं आए हैं। "हम उनके खेतों से चारा लाते हैं तो हमें लगा था कि शायद वो तो एक बार आएंगे ही।"

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