बीएचयू प्रशासन का छात्रों पर दमन फिर हुआ शुरू, 14 छात्रों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर

Update: 2017-10-04 07:01 GMT

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के विवादित कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी को केंद्र सरकार ने लंबी छुट्टी पर भेज दिया है। दूसरी तरफ बहुत ही खामोशी से बीएचयू में नाइंसाफी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे छात्रों का दमन किया जा रहा है। बीएचयू ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सदस्यों समेत 14 छात्रों पर बहुत ही सख्त धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है। ये 14 छात्र कैंपस में जारी छेड़छाड़ के खिलाफ लड़कियों के आंदोलन के समर्थन में खड़े थे।सिर्फ इतना ही नहीं, बीएचयू में होने वाले लाठीचार्ज और छात्राओं के आंदोलन की खबर देने वाले विश्वविद्यालय के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बीएचयू बज्ज के खिलाफ आईटी कानून की धारा 66 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। छात्राओं के आंदोलन के बारे में सबसे अधिक प्रामाणिक जानकारी बीएचयू बज्ज पर ही प्रकाशित हुई थीं। पुलिस द्वारा छात्राओं पर लाठीचार्ज, लड़कियों के छात्रावास में पुलिस के घुसने से संबंधित वीडियो इसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किए गए थे। इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की वजह से देश भर में लड़कियों पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ एक माहौल बना था।


बीएचयू बज्ज तभी से बीएचयू प्रशासन के निशाने पर था।बीएचयू बज्ज 2015 में अस्तित्व में आया था, जब विश्वविद्यालय में लाइब्रेरी के इस्तेमाल, लोकतांत्रिक माहौल और लड़कियों के प्रति भेदभाव को लेकर आंदोलन शुरू हुए थे। जैसे-जैसे आंदोलन आगे बढ़ता गया, बीएचयू बज्ज की विश्वसनीयता बढ़ती गई और कैंपस के बाहर भी बड़ी संख्या में लोग इसे पढ़ने लगे। बीएचयू प्रशासन ने जिस तरह से इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, उससे साफ पता चलता है कि प्रशासन बीएचयू के लोकतांत्रिक माहौल को पूरी तरह से खत्म करने की तैयारी में है। ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सदस्य मनीष पर भी एफआईआर हुई है, उन्होंने नवजीवन को बताया, "14 छात्रों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर आंदोलन में उतरने वाले छात्रों के खिलाफ बड़ी दमनात्मक कार्रवाई है।


एफआईआर में धारा 307 तक लगाई गई है यानी इन छात्रों के करियर को बीएचयू प्रशासन पूरी तरह से बर्बाद करने की कोशिश कर रहा है।इसी कमेटी के सदस्य रोशन ने कहा, "हम बहुत मुश्किल से सुप्रीम कोर्ट की मदद से अपने निलंबन से निकल पाए। मैं अभी परीक्षा दे रहा हूं, लेकिन अब फिर एफआईआर करके हमारी आवाज, हमारे करियर को चौपट किया जा रहा है। यह बेहद खतरनाक स्थिति है। हम लोकतंत्र और अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं और प्रशासन हमें अपराधी बनाने पर तुला हुआ है।

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