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जीवनी

Attack on Pearl Harbor : एक ही झटके में हजारों अमेरिकी फौजियों की लाशें बिछा दी थीं जापान ने

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान साल 7 दिसंबर, 1941 में अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर जापानी एयरफोर्स ने चुपके से हमला किया था। इस हमले में 2,403 अमेरिकी सैनिक मारे गए। वहीं 1,178 जख्मी हुए थे।

Attack on Pearl Harbor : एक ही झटके में हजारों अमेरिकी फौजियों की लाशें बिछा दी थीं जापान ने
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Attack on Pearl Harbor : एक ही झटके में हजारों अमेरिकी फौजियों की लाशें बिछा दी थीं जापान ने

Attack on Pearl Harbor : आज जो अमेरिका पूरी दुनिया को आँख दिखाता है और खुद को सुपर पावर बताता है । किसी भी देश में जाकर हवाई हमला कर देता है, लेकिन उसी अमेरिका के इतिहास में एक दिन ऐसा भी आया था जब अमेरिका को जापान ने कभी न भूलने वाली कड़वी यादें दीं।

बात 2nd World War के दौरान 7 दिसंबर 1941 की है। जब सुबह के करीब 7:48 जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर नेवल बेस (Attack on Pearl Harbor) पर हमला कर अमेरिका को ऐसा जख्म दिया जिसे अमेरिका अपने इतिहास में कभी नहीं भूल सकता । जापान ने अमेरिकी टैंकों को भी निशाना बनाया। एक अनुमान के मुताबिक इस हमलें में अमेरिका के करीब 2500 सैनिक मारे गये थे और करीब 1000 सैनिक घायल हुए थे । एक घंटे की बमबारी के दौरान जापानी लड़ाकू विमानों ने ऐसी तबाही मचायी की पूरा अमेरिका सिहर उठा था ।


ऐसे दिया था हमलों को अंजाम

  • 7 दिसंबर, 1941 की सुबह। जापानी बॉम्बर्स ने पर्ल हार्बर स्थित यूएस नेवल बेस पर बिना चेतावनी कार्पेट बॉम्बिंग कर दी थी।
  • हमले में अमेरिका के आठ में से छह जंगी जहाज, क्रूजर, डिस्ट्रॉयर समेत 200 से ज्यादा एयरक्राफ्ट्स तबाह हो गए।
  • जापान ने दो फेज में हमले किए थे। इसके लिए उसने फाइटर जेट्स, बॉम्बर्स और टारपीडो मिसाइल्स का इस्तेमाल किया था।
  • कमांडर मिस्तुओ फुचिदा के नेतृत्व में 183 फाइटर जेट्स ने ओहियो के ईस्ट में तैनात जापान के छह जंगी जहाजों से उड़ान भरी।
  • इसके बाद लेफ्टिनेंट कमांडर शिगेकाजू शिमाजाकी के नेतृत्व में 171 फाइटर जेट्स ने पर्ल हार्बर को टारगेट किया।

क्या था डिप्लोमेटिक बैकग्राउंड?

  • जापान ने यूएस पेसिफिक फ्लीट (बेड़े) को बेअसर करने का इरादे से पर्ल हार्बर पर हमला किया था।
  • इसी बमबारी के साथ जापान ने अमेरिका और ब्रिटेन के खिलाफ जंग का एलान कर दिया। फिर जो हुआ, वह इतिहास में दर्ज हो गया
  • अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने 7 दिसंबर, 1941 को 'कलंक का दिन' कहा।
  • हमले के दूसरे ही दिन 8 दिसंबर, 1941 को अमेरिका भी सेकंड वर्ल्ड वॉर में कूद पड़ा। उसने भी जापान के खिलाफ जंग का एलान कर दिया।
  • जापान को इसका अंजाम हिरोशिमा और नागासाकी पर 'एटम बम' अटैक के रूप में भुगतना पड़ा।

हमले के लिए चुना रविवार सुबह का समय

  • जापानी यह बात अच्छी तरह जानते थे कि अमेरिकंस रविवार का दिन मौज-मस्ती व आराम करने में बिताते हैं।
  • कई लोग इस दिन देर से जागते हैं। इसीलिए जापानीज आर्मी को रविवार के दिन और सुबह हमला करने का आदेश दिया गया।
  • हालांकि, जापानी फौज पर्ल हार्बर पर तड़के सुबह हमला करना चाहती थी, लेकिन कोहरे और धुंध के कारण सुबह साढ़े सात बजे का टाइम चुना।

अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम बरसा दिए

अमेरिका जापान के हमले को लेकर पूरी तरह तैयार नही था। जबकि जापान ने इस हमले के लिए 350 से ज्यादा लड़ाकू विमान भेजे थे । इस हमले में अमेरिका के 6 बड़े जहाज ,112 नाव और 164 लड़ाकू विमान तबाह हो गए थे । 1 घंटे 15 की बमबारी में जापान ने पूरा पर्ल हार्बर बेस तबाह कर दिया था । इस हमले का नतीजा ये हुआ अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति एफ़ डी रूजवेल्ट ने जापान के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया और 8 दिसंबर 1941 को अमेरिका सीधे तौर पर दूसरे विश्वयुद्ध में शामिल हो गया और अमेरिका ने अपने सैनिक अड्डे और अपने मारे गए सैनिकों पर हुए इस हमले का बदला 4 साल बाद 2 जापानी शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम से हमला करके लिया ।

पर्ल हार्बर सैनिक अड्डे पर हमला जापान की अमेरिकी से नाराजगी का परिणाम था। कहतें हैं कि जापान अपने ऊपर थोपे गए अमेरिकी प्रतिबंध से नाराज था और इसी प्रतिबंध को लेकर वॉशिंगटन में अमेरिका के तत्कालीन विदेशमंत्री जापानी डेलीगेशन से बातचीत कर रहे थे जब जापान ने पर्ल हार्बर पर अटैक किया था । दरअसल चीन में जापान की आंतरिक दखल को लेकर अमेरिका ने जापान पर प्रतिबंध लगा दिया था और अपने अमेरिकी सैनिकों को चीन की मदद के लिए भी भेजा था ।

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