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Balbir Singh Biography in Hindi | बलबीर सिंह का जीवन परिचय

Balbir Singh Biography in Hindi | बलबीर सिंह भारत के प्रसिद्ध होकी खिलाड़ी है। बलबीर सिंह ने अकेले बहुत से गोल किये थे, जिससे ओलंपिक में उनका रिकॉर्ड बना हुआ है। बलबीर सिंह 1971 और 1975 में मेंस भारतीय होकी टीम के कोच भी रहे थे, इस दौरान टीम ने ब्रोंज और गोल्ड मैडल भी जीता था।

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Balbir Singh Biography in Hindi | बलबीर सिंह का जीवन परिचय

Balbir Singh Biography in Hindi | बलबीर सिंह का जीवन परिचय

  • नाम बलबीर सिंह दोसांझ
  • जन्म 10 अक्टूबर 1924
  • जन्मस्थान हरीपुर, जालंधर (पंजाब)
  • पिता दलीप सिंह दोसांझ
  • माता करम कौर
  • पत्नी सुशिल
  • पुत्र कंवलबीर, करनबीर, गुरबीर
  • व्यवसाय होकी खिलाड़ी
  • पुरस्कार पद्म श्री
  • नागरिकता भारतीय

भारतीय हॉकी खिलाडी बलबीर सिंह (Balbir Singh Biography in Hindi)

Balbir Singh Biography in Hindi | बलबीर सिंह भारत के प्रसिद्ध होकी खिलाड़ी है। बलबीर सिंह ने अकेले बहुत से गोल किये थे, जिससे ओलंपिक में उनका रिकॉर्ड बना हुआ है। बलबीर सिंह 1971 और 1975 में मेंस भारतीय होकी टीम के कोच भी रहे थे, इस दौरान टीम ने ब्रोंज और गोल्ड मैडल भी जीता था। आजादी के बाद 1948 में पहली बार भारत को गोल मैडल बलबीर सिंह ने ही दिलाया था। 1975 में पुरुष हॉकी वर्ल्ड कप में बलबीर भारतीय टीम के मेनेजर और मुख्य कोच भी थे, जिसे भारत ने जीता था।

प्रारंभिक जीवन (Balbir Singh Early Life)

बलबीर सिंह का जन्म 10 अक्टूबर 1924 को पंजाब के हरिपुर खालसा में हुआ था। बलबीर ने कम उम्र में ही होकी खेलना शुरू कर दिया था। बलबीर सिंह के पिता का नाम दलीप सिंह दोसांझ था, और उनकी माता का नाम करम कौर था।

शिक्षा (Balbir Singh Education)

बलबीर ने अपने स्कूल की पढाई देव समाग हाई स्कूल मोगा से की है। इसके बाद कॉलेज की पढाई डी एम् कॉलेज और खालसा कॉलेज अमृतसर से आगे की पढाई की थी।

निजी जिंदगी (Balbir Singh Personal Life)

बलबीर के पिता दलीप सिंह दोसांझ एक स्वतंत्रता सेनानी थे। बलबीर की पत्नी सुशिल मॉडल टाउन, लाहौर से है। 1946 में उन्होंने शादी कर ली थी। उन्हें एक बेटी सुश्बिर और तीन बेटे कंवालबिर, करणबीर और गुर्जर है जो कनाडा के वैंकोवर में रहते है।

होकि इंस्पिरेशन और प्रैक्टिस (Hockey Inspiration and Practice)

1936 में हुए बर्लिन ओलंपिक में भारतीय टीम विजयी रही थी, जिसे देख बलबीर बहुत प्रेरित हुए थे। बलबीर पहले सिख नेशनल कॉलेज लाहोर में थे, जहाँ वे होकी टीम के खिलाड़ी भी रहे थे। यहाँ उनकी मुलाकात कोच हरबैल सिंह से हुई, इन्होंने बलबीर सिंह को अमृतसर के खालसा कॉलेज में प्रवेश लेने को बहुत बोला।

1942 में बलबीर को उनके परिवार वालों ने हां बोल दिया और उन्होंने खालसा कॉलेज में प्रवेश ले लिया। यहाँ वे कोच हरबैल सिंह के अंडर में रहकर होकी की प्रैक्टिस करने लगे। Balbir Singh Biography in Hindi

1942-43 में बलबीर की नियुक्ती पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि के रूप में की गयी थी, उस समय अविभाजित पंजाब होने की वजह से बहुत से कॉलेज इसके अधिक आते थे। और 1943, 1944 और 1945 में लगातार तीन साल पंजाब यूनिवर्सिटी ने बलबीर की कप्तानी में ऑल इंडिया इंटर-यूनिवर्सिटी का टाइटल अपने नाम किया था।

बलबीर अविभाजित पंजाब की अंतिम टीम के सदस्य भी थे जिन्होंने कर्नल AIS दारा की कप्तानी में 1947 में नेशनल चैंपियनशिप भी जीती थी। इस टीम में बलबीर टीम के सबसे मजबूत और सबसे मुख्य खिलाडी थे।

इसके बाद भारत विभाजन के चलते बलबीर के परिवार को लुधियाना जाना पड़ा, जहाँ उनकी नियुक्ती पंजाब पुलिस में की गयी। 1941-61 के दरमियाँ के पंजाब पुलिस टीम के कप्तान भी बने थे।

होकि करियर (Balbir Singh Hockey Career)

बलबीर ने पहली बार ओलंपिक के लिए 1948 में लन्दन ओलंपिक में खेला था। यहाँ उन्होंने अर्जेंटीना के खिलाफ दूसरा मैच खेला था, जिसे इंडिया ने 9-1 से जीता था। बलबीर ने इस मैच में 6 गोल मारे थे, जिसमें उन्होंने हेट्रिक भी लगाई थी। इस ओलंपिक के फाइनल मैच में भारत का ब्रिटेन से मुकाबला था, जिसे भारत ने 4-1 से जीता था। 4 में से 2 गोल बलबीर ने मारे थे।

भारत ब्रिटेन आजादी के बाद पहली बार आमने सामने खड़ा था, इस मैच को सभी भारतीय बड़ी उत्सुकता के साथ देख रहे थे। पहली बार इसी ओलंपिक में बलबीर की वजह से भारत को गोल्ड मैडल मिला था।

1952 में हेलसिंकी में एक बार फिर ओलंपिक में बलबीर को खेलने का मौका मिला। इस बार बलबीर को टीम का वाईस कप्तान बनाया गया जबकि के डी सिंह बाबु टीम के कप्तान थे। बलबीर इस समारोह के उद्घाटन में भारत के ध्वजवाहक थे। इस ओलंपिक में भारत का सेमीफाइनल मैच ब्रिटेन के साथ था। इसमें 3-1 से भारत विजयी था, जिसमें 3 गोल बलबीर ने मारे थे।

इसके बाद फाइनल मैच नीदरलैंड के खिलाफ भारत 6-1 से विजयी रहा। इस मैच में बलबीर ने 5 गोल मारकर ओलंपिक में एक रिकॉर्ड कायम कर दिया था। साथ ही हेट्रिक भी मारी। इस ओलंपिक में भारत ने 13 गोल किये थे, जिसमें से 9 गोल बलबीर ने मारे थे।

कप्तान की भूमिका (Balbir Singh as a Captain)

1956 में मेलबर्न ओलंपिक में बलबीर को टीम का कप्तान बना दिया गया। यहाँ पहले ही ओपनिंग मैच में बलबीर ने अफगानिस्तान के खिलाफ 5 गोल किये थे। इसके बाद बलबीर को मैच के दौरान चोट लग गई थी, जिसके बाद वे कुछ मैच नहीं खेल पाए थे।

इस दौरान ग्रुप मैच के समय रणधीर सिंह को टीम का कप्तान बनाया गया था। बलबीर ने कुछ ग्रुप मैच नहीं खेले लेकिन उन्होंने सेमीफाइनल और फाइनल मैच में अपनी उपस्तिथि दर्ज कराई। भारत का फाइनल मैच पाकिस्तान के खिलाफ था, जिसे भारत ने 1-0 से जीता था।

बलबीर ने 1958 में टोकियो एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। जहाँ टीम को सिल्वर मैडल मिला था। 1962 में जकार्ता एशियन गेम्स में भी टीम को सिल्वर मैडल दिलाया था। Balbir Singh Biography in Hindi

पुरस्कार (Balbir Singh Awards)

  • 1957 में पद्म श्री के अवार्ड से सम्मानित किये जाने वाले सिंह पहले खिलाडी बने।
  • 1958 में डोमिनिकन रिपब्लिक ने 1956 मेलबर्न ओलिंपिक को मनाने के लिए स्टाम्प भी जारी किया था।
  • 1982 में आयोजित राष्ट्रिय पोल में उन्हें लोगो ने इंडियन स्पोर्टपर्सन ऑफ़ दी सेंचुरी के पद पर चुना था।
  • 2012 में लन्दन ओलिंपिक के समय, बलबीर का ओलिंपिक म्यूजियम प्रदर्शनी "दी ओलिंपिक जर्नी दी स्टोरी ऑफ़ गेम्स" में सम्मानित भी किया गया।
  • 2015 में हॉकी इंडिया ने उन्हें ध्यान चंद लाइफटाइम अचीवमेंट से सम्मानित किया था।
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