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Gopal Ganesh Agarkar Biography In Hindi | गोपाल गणेश आगरकर का जीवन परिचय

Gopal Ganesh Agarkar Biography In Hindi | गोपाल गणेश आगरकर महाराष्ट्र राज्य के समाज सुधारक और पत्रकार थे। वे मराठी के प्रसिद्ध समाचार पत्र ‘केसरी’ के प्रथम सम्पादक थे, किन्तु बाल गंगाधर तिलक से वैचारिक मतभेद के कारण उन्होने केसरी का सम्पादकत्व छोड़कर ‘सुधारक’ नामक पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ किया।

Gopal Ganesh Agarkar Biography In Hindi | गोपाल गणेश आगरकर का जीवन परिचय
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Gopal Ganesh Agarkar Biography In Hindi | गोपाल गणेश आगरकर का जीवन परिचय

Gopal Ganesh Agarkar Biography In Hindi | गोपाल गणेश आगरकर का जीवन परिचय

  • पूरा नाम गोपाल गणेश आगरकर
  • जन्म 14 जूलाई 1856
  • जन्मस्थान टेंभू (कराड के पास, जि. सातारा)
  • पिता गणेशराव आगरकर
  • माता सरस्वती आगरकर
  • पत्नी यशोदाबाई अगरकर
  • शिक्षा 1875 में मॅट्रिक परिक्षा उत्तीर्ण
  • पुस्तकें विकार विलसित
  • व्यवसाय शिक्षाविद्, सम्पादक, समाज सुधारक
  • नागरिकता भारतीय

समाज सुधारक गोपाल गणेश आगरकर (Gopal Ganesh Agarkar Biography in Hindi)

Gopal Ganesh Agarkar Biography In Hindi | गोपाल गणेश आगरकर महाराष्ट्र राज्य के समाज सुधारक और पत्रकार थे। वे मराठी के प्रसिद्ध समाचार पत्र 'केसरी' के प्रथम सम्पादक थे, किन्तु बाल गंगाधर तिलक से वैचारिक मतभेद के कारण उन्होने केसरी का सम्पादकत्व छोड़कर 'सुधारक' नामक पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ किया। वे विष्णु कृष्ण चिपलूणकर तथा बाल गंगाधर तिलक की "डेकन एजुकेशन सोसायटी" के संस्थापक सदस्य थे। वे फर्ग्युसन कॉलेज के सह-संस्थापक तथा प्रथम प्रधानाचार्य थे।

प्रारंभिक जीवन (Gopal Ganesh Agarkar Starting Life)

गोपाल गणेश आगरकर का जन्म 14 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के सातारा जिले के तम्भू गाँव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम 'गणेशराव आगरकर' तथा माता का नाम 'सरस्वती आगरकर' था। उनकी शादी 'यशोदा' नाम की कन्या के साथ 1877 में हुई थी।

शिक्षा (Education)

उनकी प्राथमिक शिक्षा कराड के प्राइमरी स्कूल में हुई थी। वे कराड के एक न्यायालय में क्लर्क के रूप में काम करते थे। बाद वे रत्नागिरि चले गये, किन्तु वहाँ शिक्षा ग्रहण न कर पाये। उन्होने 1878 में बी.ए. तथा 1880 में एम.ए. किया। बाद में अपना सारा जीवन समाज की सेवा में बिताया।

लोकमान्य तिलक से मुलाकात (Gopal Ganesh Agarkar Meets Lokmanya Tilak)

आगरकरजी ने एम.ए में इतिहास और तत्वज्ञान विषय लेकर पढ़ाई पूरी की। इसी बिच आगरकर की मुलाकात लोकमान्य तिलक से हुई। उन्हों ने पाश्चिमात्य विचारवंत के ग्रंथ पढ़े। जॉन स्टुअर्स और हर्बर्ट स्पेन्सर के विचारों से प्रेरणा लेते थे। समाज में अज्ञान, अंधश्र्द्धा, धार्मिक से बहुजन समाज और स्त्री जाती का शोषण होता था। इस समस्या का हल निकलना चाहिए इसके लिए वे प्रयत्न करने लगे।

सामाजिक कार्य (Gopal Ganesh Agarkar Social Work)

  • समाज को शिक्षित बनाने की बात से प्रेरित होकर लोकमान्य तिलक, गोपाल गणेश आगरकर और विष्णुशास्त्री चिपलूनकर इन तीनों ने 1880 में पुणे में "न्यू इंग्लिश स्कूल" की स्थापना की।
  • 1881 में तिलक और आगरकर इन्होंने मराठी भाषा में 'केसरी' और अंग्रेजी भाषामे 'मराठा' ये साप्ताहिक शुरु किये। 'केसरी' के संपादन पद की जिम्मेदारी आगरकर पर आयी।
  • 1882 में कोल्हापुर के दीवान पर टिपण्णी करने पर मानहानि का केश दर्ज हो गया जिसके वजह से इन्हें 101 दिन की जेल की हवा खानी पड़ी। इसी दौरान इन्होंने जेल में शेक्सपियर के नाटक 'हॅम्लेट' का मराठी अनुवाद किया जिसका नाम था "विकार विलसित"।
  • जेल से निकलने के बाद इन्होंने डोंगरी जेल के अपने अनुभव को एक पुस्तक का रूप दिया जिसका नाम है "डोंगरी के जेल के 101 दिन" इन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त रुढ़िवादिता जैसे बालविवाह, मुंडन, नस्लीय भेदभाव, अस्पृश्यता आदि का घोर विरोध किया।
  • 1884 में तिलक और आगकर ने "डेक्क्न एज्युकेशन सोसायटी" की स्थापना की। 1885 मे इस संस्था की तरफ से पुणे मे ही फर्ग्युसन कॉलेज खोला गया।
  • केसरी और मराठा साप्ताहिक में से तिलक ये सामाजिक जागृती को ज्यादा एहमियत देने लगे। आगरकर ने सामाजिक सुधारना को प्राधान्य देने का निर्णय लिया था। उस वजह से 1887 मे उन्होंने केसरी के संपादन पद का इस्तीफा दिया.
  • 1888 में उन्होंने 'सुधारक' नाम का अपना स्वतंत्र साप्ताहिक शुरु किया. 'सुधारक' मराठी और अंग्रेजी इन दोनों भाषा मे प्रसिद्ध किये जाते थे. उनके मराठी आवृत्ती के संपादन की जिम्मेदारी आगरकर ने और अंग्रेजी आवृत्ती के संपादन की जिम्मेदारी गोपाल कृष्ण गोखले ने संभाली थी।
  • 1892 में आगरकर फर्ग्युसन कॉलेज के प्राचार्य बने। आगरकर इस कॉलेज में इतिहास और तर्कशास्त्र पढ़ाते थे। उस समय के साप्ताहिक पत्रिका केसरी के वे पहले संपादक और संस्थापक और नियतकालिन पत्रिका के सुधारक थे। फर्गुसन महाविद्यालय के वे दूसरे प्रधानाचार्य थे.
  • बाल गंगाधर तिलक के साथ वैचारिक मतभेद ने उन्हें बाद में छोड़ दिया। उन्होंने अपने समय-समय पर 'सुधाकर' की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने छुआछूत और जाति व्यवस्था के अन्याय के खिलाफ अभियान चलाया।
  • आगरकर ने भारतीय समाज मे के बालविवाह, मुंडन, नस्लीय भेदभाव, अस्पृश्यता इन जैसे बहोत अनिष्ट परंपरा और रुढ़ी का विरोध किया था। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया।

म्रुत्यु (Gopal Ganesh Agarkar Death)

अपने जीवन में समाजिक कार्यो करने वालों के आदर्श स्वरूप महान समाज सेवी गोपाल गणेश आगरकर जी का 39 वर्ष की उम्र में 17 जून 1895 को अवसान हो गया।

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