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Karl Marx Biography in Hindi | कार्ल मार्क्स का जीवन परिचय

Karl Marx Biography in Hindi | कार्ल मार्क्स एक प्रशियाई-जर्मन के महान दार्शनिक, समाजवादी, इतिहासकार थे, जो कि समाजवाद के प्रणेता के रुप में जाने जाते थे। उन्होंने अपनी क्रांतिकारी विचारधारा से मजदूरों के साथ होने वाले भेदभाव को लेकर अपनी आवाज बुंलद की थी।

Karl Marx Biography in Hindi | कार्ल मार्क्स का जीवन परिचय
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Karl Marx Biography in Hindi | कार्ल मार्क्स का जीवन परिचय

  • पूरा नाम कार्ल हेनरिख मार्क्स
  • जन्म 5 मई, 1818
  • जन्मस्थान जर्मनी
  • पिता हेनरिक मार्क्स
  • माता हेनरिक प्रेसबर्ग
  • पत्नी जेनीवन वेस्ट फ्लेन
  • पुत्र हेनरी एडवर्ड गाइ मार्क्स
  • पुत्री एलेनोर मार्क्स
  • व्यवसाय दार्शनिक, समाजवादी
  • पुरस्कार अर्थशास्त्र पुरस्कार में नोबेल पुरस्कार
  • नागरिकता/राष्ट्रीयता जर्मन

महान दार्शनिक कार्ल मार्क्स (Karl Marx Biography in Hindi)

Karl Marx Biography in Hindi | कार्ल मार्क्स एक प्रशियाई-जर्मन के महान दार्शनिक, समाजवादी, इतिहासकार थे, जो कि समाजवाद के प्रणेता के रुप में जाने जाते थे। उन्होंने अपनी क्रांतिकारी विचारधारा से मजदूरों के साथ होने वाले भेदभाव को लेकर अपनी आवाज बुंलद की थी। उनेक पूंजीवाद के खिलाफ दिये गये विचारों ने दुनियाभर में साम्यवाद की नींव रखी, और आज भी उनके विचारों को शाश्वत मानने और उनकी लड़ाई लड़ने वाले दुनियाभर में मौजूद है।

प्रारंभिक जीवन (Karl Marx Early Life)

कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 को जर्मनी के ट्राइटेर के रहेनिश प्रूशिया में हुआ था। उनके पिता हेईनरीच मार्क्स वकील थे, और वोल्टेयर के प्रति समर्पित थे। उन्होंने प्रुसिया के लिए होने वाले आंदोलन में भी हिस्सा लिया था, जबकि उनकी मां हेनरीएट प्रिजबर्ग एक घरेलू महिला थीं। मार्क्स अपने माता-पिता के 9 बच्चो में से पहले जीवित बच्चे थे। उनके माता-पिता दोनों ही यहूदी पृष्ठभूमि से थे, और यहूदी धर्म की शिक्षा देते थे। हालांकि इसकी वजह से मार्क्स को बाद में समाज में भेदभाव जैसी कई समस्याओं से जूझना पड़ा था।

शिक्षा (Karl Marx Education)

कार्ल्स मार्क्स बचपन में पढ़ाई में बहुत ज्यादा होश्यार नहीं थे, बल्कि वे एक मीडियम दर्जे के छात्र थे। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई घर पर रहकर ही की थी, इसके बाद उन्होने ट्रायर के जेस्युट हाईस्कूल में रहकर अपनी स्कूल पढ़ाई की। फिर दर्शन और साहित्य की पढ़ाई के लिए बॉन यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था। इसके बाद कार्ल्स मार्क्स ने अपने पिता के कहने पर बर्लिन यूनिवर्सिटी में फिलोसफी और लॉ की पढ़ाई की। 1841 में मार्क्स ने जेना यूनिवर्सिटी से PhD की उपाधि हासिल की।

निजी जीवन (Karl Marx Married Life)

कार्ल मार्क्स ने जेनी वोनवेस्टफालेन नाम की महिला से शादी की थी। शादी के बाद वे अपनी पत्नी के साथ पेरिस चले गए। शादी के बाद दोनों को सात बच्चे हुए। Karl Marx Biography in Hindi

शुरुआती करियर (Karl Marx Starting Career)

1842 में कार्ल मार्क्स ने पत्रकारिता करना शुरु कर दिया, और फिर उन्होंने रहेइन्स्चे ज़ितुंग नाम के न्यूजपेपर में एडिटर के तौर पर काम किया। इसमें करीब 1 साल तक काम करने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और वे पेरिस चले गए। इसके बाद पेरिस में एर्नोल्ड र्युज के साथ मार्क्स ने जर्मन-फ्रैंच वार्षिक जर्नल शुरु किया, जिसने पेरिस की राजनीति में अपनी मुख्य भूमिका निभाई, हालांकि एर्नोल्ड और मार्क्स के बीच आपसी मतभेद के चलते यह जर्नल ज्यादा दिन तक नहीं चल सका।

1844 में अपने दोस्त फ्राईएड्रीच एंगल्स के साथ मिलकर युवा हैगीलियन ब्रूनो ब्युर के दार्शनिक सिद्धांतों का क्रिटिसिज्म का काम करना शुरु कर दिया, और फिर इसके बाद एक साथ दोनों ने 'होली फॉमिली' नाम के पब्लिकेशन शुरु किया। इसके बाद मार्क्स बेलिज्यम के ब्रुसेल चले गए, और यहां वे "वोर्टवार्ट्स" नाम के न्यूजपेपर के लिए काम करने लगे, यह पेपर बाद में कम्यूनिस्ट लीग बनकर उभरा।

समाजवाद के लिए (Karl Marx on Socialism)

उन्होंने समाजवाद में काम करना शुरु कर दिया, और वे हैगीलियन के दर्शनशास्त्र से पूरी तरह अलग हो गए। कार्ल मार्क्स ने ब्रुसेल में हैगीलियन एंग्ले के साथ काम किया। वे दोनों एक ही विचारधारा के थे। इस दौरान उन्होंने डाई ड्युटश्चे आइडियोलोजी लिखी। जिसमें उन्होंने समाज के ऐतिहासिक ढांचे के बारे में वर्णन किया और यह बताया कि किस तरह आर्थिक रुप से सक्षम वर्ग मजदूर और गरीब बर्ग को नीचा दिखाता आया है।

सामाजिक कार्य (Karl Marx Social Work)

कार्ल मार्क्स ने किताबों के माध्यम ने कार्ल मार्क्स ने मजदूर वर्ग के नेताओं के आंदोलन के साथ बैलेंस करने की कोशिश की। 1846 में उन्होंने कम्यूनिस्ट कोरेसपोंडेंस कमेटी की नींव रखी। इसके बाद इंग्लैंड के समाजवादियों ने उनसे प्रेरित होकर कम्यूनिस्ट लीग बनाई, और इस दौरान एक संस्था ने मार्क्स और एंगलस से कम्युनिस्ट पार्टी के लिए मेनिफेस्टो लिखने का आग्रह किया।

कार्ल्स मार्क्स ने 1847 में दी पोवेरटी पावर्टी ऑफ फिलासफी थिंकर पियर जोसफ प्राउडहोन का जमकर विरोध किया। इस दौरान उन्होंने प्राउडहोन के विचारों पर असहमति जताई और आर्थिक सिस्टम में दो विपरित ध्रुवों के बीच किसी तरह का कोई सामंजस्य नहीं रहने का तर्क दिया। इसके कुछ दिन बाद कम्युनिस्ट पार्टी का मेनिफेस्टो जारी हुआ। Karl Marx Biography in Hindi

1849 में कार्ल्स मार्क्स को बेल्जियम से निकाल दिया गया, जिसके बाद वे फ्रांस चले गए, और वहां उन्होंने समाजवाद की क्रांति शुरु कर दी, लेकिन वहां से भी बाहर निकाल दिया गया, इसके बाद वे लंदन आ गए। लेकिन यहां पर भी उनके संघर्ष खत्म नहीं हुए, उन्हें ब्रिटेन ने नागरिकता देने से मना कर दिया, लेकिन वे अपने जीवन के आखिरी समय तक लंदन में ही रहे।

मार्क्स ने कोलोग्ने में डेमोक्रेटक बोर्जियोसी और वर्किंग क्लास के बीच गठबंधन की नीति की सराहना की और कम्यूनिस्ट के मेनिफेस्टो को नष्ट करने एवं कम्यूनिस्ट लीग को खत्म करने के फैसले को समर्थन दिया।

इसके बाद उन्होंने एक न्यूज पेपर के माध्यम से अपनी नीति समझाने की कोशिश की, और लंदन में जर्मन वर्कर्स एज्यूकेशनल सोसायटी की मद्द कर कम्यूनिस्ट लीग का हेडक्वार्टर शुरु किया, लेकिन वे पत्रकार के तौर पर भी काम करते रहे।

कार्ल्स मार्क्स की रचनाये (Karl Marx Books List)

  1. द सिविल वॉर इन फ्रैंस
  2. इनऑर्गेरल एड्रेस टू द इंटरनेशनल वर्किंग मैन एसोसिएशन
  3. द क्रिटिक्यू ऑफ पॉलिटिकल इकॉनोमी
  4. द पॉवर्टी ऑफ फिलोसिफी
  5. द गोथा प्रोग्राम
  6. द जर्मन आइडियोलॉजी
  7. क्लास-स्ट्रर्गल इन फाइनेंस
  8. द होलली फैमिली

कार्ल्स मार्क्स के प्रसिद्ध विचार (Karl Marx Thoughts)

  • दुनिया के मजदूरों एकजुट हो जाओ, तुम्हारे पास खोने को कुछ भी नहीं है, सिवाय अपनी जंजीरों के।
  • सामाजिक प्रगति समाज में महिलाओं को मिले स्थान से मापी जा सकती है।
  • ज़रुरत तब तक अंधी होती है जब तक उसे होश न आ जाये, आज़ादी ज़रुरत की चेतना होती है।

मृत्यु (Karl Marx Death)

कार्ल मार्क्स के जीवन के आखिरी दिनों में उन्हें गंभीर बीमारियों ने घेर लिया था, जिसके चलते 65 वर्ष की उम्र में 14 मार्च, 1883 में लंदन में उनकी मृत्यु हो गई।

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