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जीवनी

जानिए कौन थे बाबा राम सिंह? जिन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में की आत्महत्या

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले चार हफ्तों से दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के आन्दोलन को पूरी दुनिया से समर्थन मिल रहा है। देश की विपक्षी पार्टियाँ भी किसानों के आन्दोलन का समर्थन कर रही है। किसानों के समर्थन में ही संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार ली है। दावा किया जा रहा है कि बाबा ने आत्महत्या करने से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा था। बता दे कि संत बाबा राम सिंह के पंजाब और हरियाणा में लाखों अनुयायी है। ऐसे में उनके अनुयायी बहुत ही परेशान है।

जानिए कौन थे बाबा राम सिंह? जिन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में की आत्महत्या
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जानिए कौन थे बाबा राम सिंह? जिन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में की आत्महत्या

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले चार हफ्तों से दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों के आन्दोलन को पूरी दुनिया से समर्थन मिल रहा है। देश की विपक्षी पार्टियाँ भी किसानों के आन्दोलन का समर्थन कर रही है। किसानों के समर्थन में ही संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार ली है। दावा किया जा रहा है कि बाबा ने आत्महत्या करने से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा था। बता दे कि संत बाबा राम सिंह के पंजाब और हरियाणा में लाखों अनुयायी है। ऐसे में उनके अनुयायी बहुत ही परेशान है।

1. कौन हैं बाबा राम सिंह?

बता दे कि 65 साल के संत बाबा राम सिंह हरियाणा के करनाल के रहने वाल थे। हरियाणा के करनाल जिले में निसंग के पास सिंगड़ा गांव में उनका डेरा है। वह नानकसर संप्रदाय से जुड़े हुए थे। संत बाबा राम सिंह के अनुयायी उन्हें 'सिंगड़ा वाले बाबा जी' के नाम से जानते है। पंजाब और हरियाणा में संत बाबा राम सिंह के लाखों अनुयायी है। संत बाबा राम सिंह पंजाब और हरियाणा के अलावा दुनियाभर में प्रवचन के लिए जाते थे।

2. बाबा राम सिंह ने आत्महत्या क्यों की

संत बाबा राम सिंह भी उन लोगों में से एक थे जो किसानों के आन्दोलन का समर्थन कर रहे थे। वह किसान समस्याओं को लेकर काफी दुखी थे। पिछले कुछ दिनों से वे दिल्ली में थे और किसानों के समर्थन में आवाज उठा रहे थे। संत बाबा राम सिंह ने किसानों के लिए शिविर की व्यवस्था भी की थी। साथ ही उन्होंने किसानों में कंबल भी बांटे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार किसानों की समस्याओं से दुखी होकर ही बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार ली। घटना के बारे में पता चलते ही उन्हें नज़दीकी अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।


3. संत बाबा राम सिंह का सुसाइड नोट

संत बाबा राम सिंह ने आत्महत्या से पहले कथित तौर पर सुसाइड नोट छोड़ा था। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे सुसाइड नोट के अनुसार संत बाबा राम सिंह ने उसमे लिखा था कि, 'किसानों का दुख देखा है अपने हक के लिए सड़कों पर उन्हें देखकर मुझे दुख हुआ है। सरकार इन्हें न्याय नहीं दे रही है जो कि जुल्म है जो जुल्म करता है वह पापी है जुल्म सहना भी पाप है किसी ने किसानों के हक के लिए तो किसी ने जुल्म के खिलाफ कुछ किया है। किसी ने पुरस्कार वापस करके अपना गुस्सा जताया है किसानों के हक के लिए, सरकारी जुल्म के गुस्से के बीच सेवादार आत्मदाह करता है यह जुल्म के खिलाफ आवाज है यह किसानों के हक के लिए आवाज है वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह।'

4. पुलिस का बयान

संत बाबा राम सिंह की आत्महत्या को लेकर सोनीपत पुलिस ने आधिकारिक बयान जारी किया है। सोनीपत पुलिस ने अपने बयान में कहा है कि करनाल के गांव सिंगरा के गुरुद्वारा संचालक संतराम ने खुद को गोली मार कर कर आत्महत्या कर ली है। फ़िलहाल मामले की जांच की जा रही है।

5. राहुल गांधी ने जताया दुख

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने संत बाबा राम सिंह की आत्महत्या पर दुख जाहिर किया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि, 'करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ और श्रद्धांजलि।' साथ ही उन्होंने किसानों का सर्मथन करते हुए लिखा है कि, 'कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं। मोदी सरकार की क्रूरता हर हद पार कर चुकी है। ज़िद छोड़ो और तुरंत कृषि विरोधी क़ानून वापस लो।'

6. किसान कर रहे प्रदर्शन

पिछले कई दिनों से केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा लाए किसान बिल 2020 के विरोध में किसान दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। धीरे-धीरे किसानों का विरोध प्रदर्शन तेज होता जा रहा है। किसानों की मांग है कि नरेन्द्र मोदी सरकार किसान बिल 2020 को रद्द कर दे जबकि नरेन्द्र मोदी सरकार का कहना है कि तीनों नए कानून बिल से किसानों का फायदा होगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी। अगर किसानों को कोई आपत्ति है तो वह बिल में संशोधन करने के लिए तैयार है। ऐसे में केंद्र सरकार और किसान दोनों अपनी-अपनी बातों पर अड़े हुए हैं। किसान कहते हैं कि सरकार जिस दिन तीनों कानून वापस ले लेगी, हम आंदोलन समाप्त कर देंगे, वहीं सरकार का कहना है कि वह कानूनों में संशोधन करने के लिए तैयार है।

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