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Louis Braille Biography In Hindi | लुइस ब्रेल का जीवन परिचय

Louis Braille Biography In Hindi | लुइस ब्रेल ने नेत्रहीनों के लिये ब्रेल लिपि का आविष्कार किया। 5 साल की उम्र में आँख की रोशनी चले जाने के बाद उन्होने हार नहीं मानी। वह ऐसी चीज बनाना चाहते थे, जो उनके जैसे दृष्टिहीन की मदद कर सके। अपने नाम से एक राइटिंग स्टाइल बनाई, जिसमें सिक्स डॉट कोड्स थे।

Louis Braille Biography In Hindi
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Louis Braille Biography In Hindi

Louis Braille Biography In Hindi | लुइस ब्रेल का जीवन परिचय

  • नाम लुइस ब्रेल
  • जन्म 4 जन्म 1809
  • जन्मस्थान पश्चिमी पेरिस (फ्रांस)
  • पिता साइमन
  • माता मोनिक्यु
  • पत्नी मोनिक
  • व्यवसाय फ्रांसीसी शिक्षक
  • नागरिकता फ्रेंच

ब्रेल लिपि के जनक लुइस ब्रेल (Louis Braille Biography in Hindi)

Louis Braille Biography In Hindi | लुइस ब्रेल ने नेत्रहीनों के लिये ब्रेल लिपि का आविष्कार किया। 5 साल की उम्र में आँख की रोशनी चले जाने के बाद उन्होने हार नहीं मानी। वह ऐसी चीज बनाना चाहते थे, जो उनके जैसे दृष्टिहीन की मदद कर सके। अपने नाम से एक राइटिंग स्टाइल बनाई, जिसमें सिक्स डॉट कोड्स थे।

स्क्रिप्ट आगे चलकर ब्रेल लिपि से जानी गई। इसमें बिन्दुओं को जोड़कर अक्षर, अंक और शब्द बनाए जाते है। 1824 में पहली बार उन्होंने उनके द्वारा कीये गये कार्य का प्रदर्शन किया था। इस लिपि में पहली किताब 1829 में प्रकाशित हुई थी।

लुइस ब्रेल का प्रारंभिक जीवन (Louis Braille Early Life)

लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी, 1809 को फ्रांस के छोटे से ग्राम कुप्रे में हुआ था। उनके पिता का नाम साइमन रेले ब्रेल था। जोकि शाही घोड़ों के लिये काठी और जीन बनाने का कार्य किया करते थे। उनके परिवार में वे चार भाई-बहन थे, जिसमें लुइस सबसे छोटे थे।

जैसे-जैसे ब्रेल बड़े होते गये वैसे-वैसे वे अपना ज्यादातर समय अपने पिता के साथ बिताने लगे थे। और तीन साल की उम्र में ब्रेल कुछ औजारो के साथ भी खेलने लगे थे, जिसमे कभी-कभी वे चमड़े के टुकड़े में सुई की सहायता से छेद करने की भी कोशिश करते थे।

लुइस ब्रेल की शिक्षा (Louis Braille Education)

ब्रेल ने 10 साल की उम्र तक कूपवराय में ही शिक्षा प्राप्त की क्योकि दिमागी रूप से तो वे काफी सशक्त थे लेकिन शारीरक रूप से वे दृष्टी हीन थे। ब्रेल ने दृष्टिहीन लोगो के लिये बनी दुनिया की पहली स्कूल रॉयल इंस्टिट्यूट फॉर ब्लाइंड युथ से शिक्षा ग्रहण की जिसे बाद में नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर ब्लाइंड युथ, पेरिस नाम दिया गया था।

उनके परीवार को छोड़ने वाले ब्रेल पहले इंसान थे, अपने परीवार को छोड़ते हुए वे फेब्रुअरी, 1819 में स्कूल में चले गए। उस समय रॉयल इंस्टिट्यूट की स्थापना नही हुई थी। लेकिन फिर भी स्कूल में दृष्टिहीन लोगो को पर्याप्त सुविधाये दी जाती थी। ताकि वे अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सके।

लुइस ब्रेल की आँखे चले जाना (Louis Braille Eyes)

एक दिन काठी के लिये लकडी को काटते समय इस्तेमाल किया जाने वाला चाकू अचानक उछल कर नन्हें लुइस की आंख में जा लगा। और लुइस की आँख से खून की धारा बह निकली। रोता हुआ लुइस अपनी आंख को हाथ से दबाकर सीधे घर आया और घर में साधारण जडी लगाकर उसकी आँख पर पट्टी कर दी गयी। शायद यह माना गया होगा कि लुइस अभी छोटा है। इसके चलते शीघ्र ही चोट अपनेआप ठीक हो जायेगी। लुइस की आंख के ठीेक होने की प्रतीक्षा की जाने लगी।

कुछ दिन बाद बालक लुइस को अपनी दूसरी आंख से भी कम दिखलायी देने की शिकायत की परन्तु यह उसके पिता साइमन की लापरवाही जिसके चलते लुइस की आँख का समुचित इलाज नहीं कराया जा सका और धीरे धीरे वह नन्हा बालक पाँच वर्ष का पूरा होने तक पूरी तरह दृष्टि हीन हो गया।

इसके बाद किशोरावस्था से युवावस्था तक लुइस को आगे बढ़ने में काफी मुश्किलो का सामना करना पड़ रहा था। इसके चलते उनके माता-पिता उनका काफी ध्यान भी रखते थे। किसी लकड़ी की सहायता से वे अपने गाव के रास्तो को ढुंढने की कोशिश करते थे। और इसी तरह वे बड़े होते गये। लेकिज ब्रेल का दिमाग काफी गतिशील था। उन्होंने अपने विचारो से स्थानिक शिक्षको और नागरिको को आकर्षित कर रखा था। और वे उच्चतम शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे।

ब्रेल लिपि का आविष्कार (Louis Braille Script Invented)

ब्रेल अपनी दृष्टिहीनता की वजह से अन्धो के लिये एक ऐसे सिस्टम का निर्माण करना चाहते थे। जिससे उन्हें लिखने और पढ़ने में आसानी हो और आसानी से वे एक-दूजे से बात कर सके।1825 में लुई ब्रेल ने मात्र 16 वर्ष की उम्र में एक ऐसी लिपि का आविष्कार कर दिया जिसे ब्रेल लिपि कहते हैं।

इस लिपि के आविष्कार ने दृष्टिबाधित लोगों की शिक्षा में क्रांति ला दी। गणित, भूगोल और इतिहास विषयों में प्रवीण लुई की अध्ययन काल में ही फ्रांस की सेना के कैप्टन चार्ल्स बार्बियर से मुलाकात हुई थी। उन्होंने सैनिकों द्वारा अंधेरे में पढ़ी जाने वाली नाइट राइटिंग व सोनोग्राफ़ी के बारे में बताया। ये लिपि उभरी हुई तथा 12 बिंदुओं पर आधारित थी। यहीं से लुई ब्रेल को आइडिया मिला और उन्होने इसमें संशोधन करके 6 बिंदुओं वाली ब्रेल लिपि का इज़ाद कर दिया।

प्रखर बुद्धिवान लुई ने इसमें सिर्फ अक्षरों या अंकों को ही नहीं बल्कि सभी चिन्हों को भी प्रर्दशित करने का प्रावधान किया।युवावस्था में ब्रेल ने उसी इंस्टिट्यूट में प्रोफेसर के पद पर रहते हुए सेवा की और म्यूजिशियन के पद पर भी रहते हुए उन्होंने काफी लुफ्त उठाया लेकिन अपनी ज़िन्दगी का ज्यादातर समय उन्होंने अपनी ब्रेल लिपि को विकसित करने में लगाया।

पुरस्कार और सम्मान (Louis Braille The Honors)

  • भारत सरकार ने में लुई ब्रेल के सम्मान में डाक टिकट जारी किया है (2009)
  • लुई ब्रेल की मृत्यु के 100 बर्ष के बाद फ्रांस ने का दिन उनके सम्मान का दिन निर्धारित किया। (1952)
  • इस दिन फ्रांस सरकार ने लुई ब्रेल के 100 वर्ष पूर्व दफनाये गए उनके शरीर को पूरे राजकीय सम्मान के साथ निकला गया। इस दिन पूरे राष्ट्र ने लुई ब्रेल के पार्थिव शरीर के सामने अपनी ग़लती के लिए माफी मांगी। लुई ब्रेल के शरीर को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटकर पूरे राजकीय सम्मान से दोबारा दफनाया गया।

म्रुत्यु (Louis Braille Death)

43 वर्ष की अल्पायु में ही दृष्टीबाधितों के जीवन में शिक्षा की ज्योति जलाने वाला ये प्रेरक दीपक 6 जनवरी, 1852 को इस दुनिया से अलविदा हो गया। एक ऐसी ज्योति जो स्वंय देख नही सकती थी, लेकिन अनेकों लोगों के लिये शिक्षा के क्षेत्र में नया प्रकाश कर गई।

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