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Mahadevi Verma Biography in Hindi | महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

Mahadevi Verma Biography in Hindi | महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य की एक महान कवियित्री और सुविख्यात लेखिका थी। उन्हें हिन्दी साहित्य के छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माना जाता है। महादेवी वर्मा जी ने हिंदी साहित्य जगत में एक बेहतरीन गद्य लेखिका के रुप में अपनी पहचान बनाई थी। महादेवी वर्मा जी एक मशूहर कवियित्री तो थी, इसके साथ ही वे एक महान समाज सुधारक भी थीं।

Mahadevi Verma Biography in Hindi  महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
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Mahadevi Verma Biography in Hindi महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

Mahadevi Verma Biography in Hindi | महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

  • पूरा नाम महादेवी स्वरूप नारायण वर्मा
  • जन्म 26 मार्च 1907
  • जन्मस्थान फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
  • पिता श्री गोविंद प्रसाद वर्मा
  • माता हेमरानी देवी
  • पति श्री स्वरूप नारायण वर्मा
  • व्यवसाय उपन्यासकार, कवयित्री
  • पुरस्कार पद्म भूषण, पद्म विभूषण
  • नागरिकता/राष्ट्रीयता भारतीय

कवियित्री महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma Biography in Hindi )

Mahadevi Verma Biography in Hindi | महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य की एक महान कवियित्री और सुविख्यात लेखिका थी। उन्हें हिन्दी साहित्य के छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माना जाता है। महादेवी वर्मा जी ने हिंदी साहित्य जगत में एक बेहतरीन गद्य लेखिका के रुप में अपनी पहचान बनाई थी। महादेवी वर्मा जी एक मशूहर कवियित्री तो थी, इसके साथ ही वे एक महान समाज सुधारक भी थीं।

प्रारंभिक जीवन (Mahadevi Verma Early Life)

महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च, 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के एक ऐसे परिवार में हुआ था। महादेवी जी के पिता गोविंद प्रसाद वर्मा जी एक जाने-माने शिक्षक थे। और वे वकालत भी कर चुके थे, जबकि उनकी माता हेमरानी देवी जी अध्यात्मिक महिला थीं, जो कि ईश्वर की भक्ति में हमेशा लीन रहती थीं, और धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में उनकी बेहद रुचि थी। वे अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं।

शिक्षा (Mahadevi Verma Education)

1912 में महादेवी वर्मा जी ने इंदौर के मिशन स्कूल से अपने शुरुआती पढ़ाई की। इसके बाद महादेवी वर्मा जी ने इलाहाबाद में क्रास्थवेट कॉलेज में एडमिशन लिया। और मैट्रिक की परीक्षा पास की 1932 में महादेवी जी ने उच्च शिक्षा ग्रहण करने के मकसद से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से संस्कृत में एम.ए. की मास्टर डिग्री हासिल की।

निजी जीवन (Mahadevi Verma Married Life)

भारतीय समाज में बाल विवाह की प्रथा के तहत महादेवी वर्मा जी के विद्यार्थी जीवन के दौरान ही 1916 में उनकी शादी डॉ. स्वरूप नारायण वर्मा से कर दी गई। महादेवी जी ने अपने पति से कई बार दूसरी शादी करने के लिए भी आग्रह किया था, लेकिन उनके पति ने दूसरी शादी नहीं की। हालांकि अपने पति की मौत के बाद महादेवी जी प्रयागराज, इलाहाबाद में ही बस गईं थी, और फिर उन्होंने अपना पूरा जीवन प्रयागराज में ही व्यतीत किया।

कार्यक्षेत्र की शुरुआत (Mahadevi Verma Starting Work Career)

महादेवी वर्मा जी ने अध्यापन से अपने कार्यक्षेत्र की शुरुआत की और वह अंत तक प्रयाग महिला विश्वपीठ की प्राध्यापक रहीं। महादेवी वर्मा ने यूँ तो कहानियां नहीं लिखीं लेकिन इनके संस्मरण, रेखाचित्र, निबंधों में गज़ब का चित्रण मिलता है। महिला समाज सुधारक के रूप में भी महादेवी वर्मा ने कई कार्य किये, इन्होंने ही सबसे पहले महिला कवि सम्मेलन की शुरुआत की।

1932 में उन्होंने महिलाओं के प्रमुख पत्रिका 'चांद' का कार्यभार संभाला। 1955 में महादेवी जी ने इलाहाबाद में साहित्यकार संसद की स्थापना की और इलाचंद्र जोशी के सहयोग से साहित्यकार का संपादन संभाला। उन्होंने भारत में पहला महिला कवि सम्मेलनों की नीव रखी। इस प्रकार का पहला अखिल भारतवर्षीय कवि सम्मेलन 15 अप्रैल 1933 को सुभद्रा कुमारी चौहान की अध्यक्षता में प्रयाग महिला विद्यापीठ में संपन्न हुआ।

महादेवी वर्मा ने अपनी कविताओं में वेदना और अनुभूतियों को चित्रित किया है। उनके प्रसिद्ध कविता संग्रह नीहार, रश्मि, नीरजा, और सांध्यगीत हैं। महादेवी वर्मा ने गद्य साहित्य में भी अपना योगदान दिया है।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में (Mahadevi Verma Independence Movement)

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के प्रभाव से उन्होंने जनसेवा का व्रत लेकर झूसी में भी हिस्सा लिया। महादेवी वर्मा जी को काव्य प्रतियोगिता में 'चांदी का कटोरा' मिला था। जिसे इन्होंने गाँधीजी को दे दिया था। महादेवी वर्मा कवि सम्मेलन में भी जाने लगी थी, वो सत्याग्रह आंदोलन के दौरान कवि सम्मेलन में अपनी कवितायें सुनाती और उनको हमेशा प्रथम पुरस्कार मिला करता था। Freedom Fighter Mahadevi Verma

महादेवी वर्मा की कविता (Mahadevi Verma Poem List)

  • नीहार (1930)
  • रश्मि (1932)
  • नीरजा (1934)
  • सांध्यगीत (1936)
  • दीपशिखा (1942)
  • सप्तपर्णा (1949)
  • प्रथम आयाम (1974)
  • अग्निरेखा (1990)

गद्य साहित्य (Prose Literature of Mahadevi Varma)

  • अतीत के चलचित्र (1941)
  • स्मृति की रेखाएं (1943)
  • पथ के साथी (1946)
  • मेरा परिवार (1972)

पुरस्कार और सम्मान (Mahadevi Verma The Honors)

  • 1956 में भारत सरकार ने उनकी साहित्यिक सेवा के लिये 'पद्म भूषण' की उपाधि दी।
  • यामा काव्य संकलन के लिये "ज्ञानपीठ पुरुस्कार" से सुशोभित किया गया।
  • 1991 में सरकार ने उनके सम्मान में कवि जयशंकर प्रसाद के साथ उनका एक 2 रुपये का युगल टिकट भी चलाया गया था।
  • 1988 उनके मरणोपरांत भारत सरकार ने उन्हें 'पद्म विभूषण' की उपाधि से सम्मानित किया गया था।

मृत्यु (Mahadevi Verma Death)

1966 में उनके पति की मृत्यु के बाद, वो हमेशा के लिए इलाहाबाद चली गयी और उनकी मृत्यु तक वही रही। 80 वर्ष की उम्र में 1 सितंबर 1987 को इलाहाबाद में उनकी मृत्यु हो गई।

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