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Mohammed Rafi Biography in Hindi | मोहम्मद रफ़ी का जीवन परिचय

Mohammed Rafi Biography in Hindi | सुरों के बेताज बादशाह मोहम्‍मद रफी एक भारतीय प्लेबैक सिंगर और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे प्रसिद्ध गायकों में से एक थे। भारत में उन्हें सदी के श्रेष्ट गायकों में शामिल किया गया है, और रफ़ी अपनी पवित्रता, गानों और देशभक्ति गीतों के लिये जाने जाते थे।

Mohammed Rafi Biography in Hindi | मोहम्मद रफ़ी का जीवन परिचय
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Mohammed Rafi Biography in Hindi | मोहम्मद रफ़ी का जीवन परिचय

Mohammad Rafi Biography in Hindi | मोहम्मद रफ़ी का जीवन परिचय

  • नाम मोहम्मद रफ़ी
  • जन्म 24 दिसंबर 1924
  • जन्मस्थान लाहौर, पंजाब
  • पिता हाजी अली मोहम्मद
  • माता अल्लाह राखी
  • पत्नी बिलकिस रफ़ी
  • पुत्र शाहिद रफ़ी, खालिद रफ़ी,
  • परवीन रफ़ी, हामिद रफ़ी, सईद रफ़ी
  • पुत्री नसरीन रफ़ी, यास्मीन रफ़ी
  • व्यवसाय गायक
  • पुरस्कार पद्म श्री
  • नागरिकता भारतीय

भारतीय सिंगर मोहम्मद रफ़ी (Mohammad Rafi Biography in Hindi)

Mohammad Rafi Biography in Hindi | सुरों के बेताज बादशाह मोहम्‍मद रफी एक भारतीय प्लेबैक सिंगर और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे प्रसिद्ध गायकों में से एक थे। भारत में उन्हें सदी के श्रेष्ट गायकों में शामिल किया गया है, और रफ़ी अपनी पवित्रता, गानों और देशभक्ति गीतों के लिये जाने जाते थे। इसके साथ-साथ उन्होंने कयी बहु-प्रसिद्ध रोमांटिक गीत, क़व्वाली, ग़जले और भजन भी गाए है।

मोहम्मद रफ़ी का प्रारंभिक जीवन (Mohammad Rafi Early Life)

मोहम्‍मद रफी का जन्‍म 24 दिसम्बर, 1924 को अमृतसर के पास कोटला सुल्तान सिंह में हुआ था। इनकी माता का नाम अल्‍लाराखी और पिता का नाम हाजी अली मुहम्‍मद था। पहले रफी साहब का परिवार पाकिस्तानी में रहता था लेकिन बाद में जब रफी साहब छोटे थे तब इनका पूरा परिवार लाहौर से अमृतसर आ गया। उस समय इनके परिवार में कोई भी संगीत के बारे में नहीं जानता था।

बचपन में अपने बड़े भाई की नाई की दुकान समय बिताया करते थे। उस दुकान से होकर प्रतिदिन एक फकीर गाते हुए गुजरा करते थे। रफी साहब उस समय मात्र सात साल के थे और रफी उनका पीछा किया करते थे। रफी साहब फकीर के गीतों को गुनगुनाते रहते थे।

इनके बड़े भाई मोहम्मद हामिद ने इनके संगीत के प्रति रूचि को देखकर रफी साहब को उस्ताद अब्दुल वाहिद खान के पास ले गए और संगीत की शिक्षा लेने को कहा था। इसके बाद रफ़ी ने उस्ताद अब्दुल वाहिद खान, पंडित जीवन लाल मट्टू और फ़िरोज़ निजामी से क्लासिकल संगीत सिखा।

रफी जी ने पहला गाना 13 साल की उम्र में सार्वजनिक प्रदर्शन में गाया था। उनके गायन ने श्याम सुंदर जो कि उस समय के फेमस संगीतकार थें और काफी प्रभावित हुए और इसी महफिल में रफी जी को गाने का निमंत्रण दिया था।

मोहम्मद रफ़ी निजी जीवन (Mohammad Rafi Personal Life)

मोहम्मद रफ़ी ने दो विवाह किये, उन्होंने पहली शादी बशीरा से की थी और फिर अपने प्राचीन गाँव में रहने लगे। उनका विवाह तब मुड़ा जब उनकी पहली पत्नी ने भारत में रहने से इंकार कर दिया था। रफ़ी के चार बेटे और तीन बेटियाँ है, जिनमे उनका बेटा सईद उनके पहले विवाह से हुआ था।

रफी साहब की गायन करियर (Mohammad Rafi Singing Career)

  • 1941 में रफ़ी ने श्याम सुंदर के निचे लाहौर में ही प्लेबैक सिंगर के रूप में "सोनिये नी, हीरिये नी" से पर्दापण किया। इसी साल ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन ने उन्हें गाना गाने के लिये आमंत्रित भी किया था।
  • उनका बड़ा भाई मोहम्मद दीन का एक दोस्त अब्दुल हमीद था, जिसने लाहौर में रफ़ी की प्रतिभा को पहचाना और रफ़ी को गाना गाने के लिये प्रेरित भी किया। इसके बाद 1944 में उन्होंने रफ़ी को मुंबई जाने में सहायता भी की थी।
  • हिंदी फिल्मो में उन्होंने 1945 में आयी फिल्म "गाँव की गोरी" से डेब्यू किया था। उन्होंने अपनी पहले फिल्म गाँव की गोरी में "आज दिल हो काबू में तो दिलदार की ऐसी तैसी' गाना गाया था जो बादमे हिंदी फिल्म के लिये रफ़ी का रिकॉर्ड किया हुआ पहला गाना बना।
  • 1945 में फिल्म लैला मजनू में "तेरा जलवा जिसने देखा" गीत में वे स्क्रीन पर आये। उन्होंने नौशाद के कयी गाने गाए, जिनमे "मेरे सपनो की रानी", रूही रूही गीत गाए। Mohammad Rafi Biography in Hindi
  • 1945 में रफ़ी ने महबूब खान की अनमोल घडी फिल्म का "तेरा खिलौना टूटा बालक" गाना गाया और 1947 में उन्होंने फिल्म जुगनू का "यहाँ बदला वफ़ा का" गीत संयुक्त रूप से नीर जहाँ के साथ गाया।
  • भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद, रफ़ी ने भारत में रहने का निर्णय लिया और अपने परिवार को मुंबई लेकर चले आये। नूर जहाँ ने भी पाकिस्तान से पलायन कर लिया था और प्लेबैक सिंगर अहमद रुश्दी के साथ जोड़ी बनाई।
  • 1949 में मोहम्मद रफ़ी ने कई एकल गीत गाए जिनमे मुख्य रूप से नौशाद के चांदनी रात, दिल्लगी और दुलारी, श्याम सुंदर और हुस्नलाल भगतराम के कयी गीत गाए।
  • 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद, रफ़ी की टीम ने एक गाना "सुनो सुनो ऐ दुनियावालों, बापूजी की अमर कहानी" बनाया।
  • भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने उन्हें अपने घर में इस गीत को गाने के लिये आमंत्रित किया था। 1948 में रफ़ी को भारतीय स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में जवाहरलाल नेहरु के हाँथो सिल्वर मेडल भी मिला था।
  • 1950 से 1970 के बीच, रफ़ी ने कई सुपरहिट गीत गाए और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी विशेष पहचान बनाई। रफी जी को छः फिल्मफेयर अवार्ड और एक नेशनल अवार्ड मिल चूका है। 1967 में उन्हें भारत सरकार ने "पद्म श्री" से सम्मानित किया था।
  • मोहम्मद रफ़ी हिंदी गीतों के लिये जाने जाते है। सूत्रों के आधार पर कहा जा सकता है की उन्होंने सभी भाषाओ में तक़रीबन 7400 गाने गाए है।
  • उन्होंने हिंदी के अलावा दूसरी भाषाओ में भी गाने गाए है जिनमे मुख्य रूप से असामी, कोनकी, भोजपुरी, ओडिया, पंजाबी, बंगाली, मराठी, सिंधी, कन्नड़, गुजराती, तेलगु, मगही, मैथिलि और उर्दू भाषा शामिल है। भारतीय भाषाओ के अलावा उन्होंने इंग्लिश, फारसी, अरबी, सिंहलेसे, क्रियोल और डच भाषा में भी गीत गाए है।

मृत्यु (Mohammad Rafi Death)

अचानक आये ह्रदय विकार की वजह से 31 जुलाई 1980 को उनकी मृत्यु हो गयी थी। उन्होंने अपना अंतिम गाना आस पास फिल्म के लिये हगाया था, जिसे उन्होंने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ रिकॉर्ड किया था। रफ़ी का अंतिम संस्कार जुहू मुस्लिम कब्रिस्तान में किया गया था। उनको सम्मान देते हुए भारत सरकार ने दो दिन की राष्ट्रिय छुट्टी भी घोषित की थी।

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