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Mughal Emperor Akbar Biography in Hindi | मुगल सम्राट अकबर की जीवनी हिंदी में

Mughal Emperor Akbar Biography in Hindi | भारत में मुग़ल शासनकाल में कई राजा हुए इन सब राजा में से सबसे प्रभावशाली और बलवान राजाओं में अकबर माना जाता है। उनको सबलोग अकबर-ए-आज़म शहंशाह अकबर के नाम से भी जानते थे।

Mughal Emperor Akbar Biography in Hindi
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Mughal Emperor Akbar Biography in Hindi

Mughal Emperor Akbar Biography in Hindi | मुगल सम्राट अकबर की जीवनी हिंदी में

    • नाम जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर
  • जन्म 15 अक्तुबर, 1542
  • जन्मस्थान अमरकोट
  • पिता हुमांयू
  • माता हमीदा बानो बेगम साहिबा
  • विवाह रुकैया बेगम सहिबा, सलीमा सुल्तान बेगम सहिबा, मारियाम उज़-ज़मानि बेगम सहिबा, जोधाबाई राजपूत
  • पुत्र जहाँगीर, दानियाल, सुल्तान मुराद मिर्जा, हवर्ष, हुसैन

मुग़ल शासक अकबर (Akbar History in Hindi)

Mughal Emperor Akbar Biography in Hindi | भारत में मुग़ल शासनकाल में कई राजा हुए इन सब राजा में से सबसे प्रभावशाली और बलवान राजाओं में अकबर माना जाता है। उनको सबलोग अकबर-ए-आज़म शहंशाह अकबर के नाम से भी जानते थे। वह एक बहोत ही साहसी और शांतचित सम्राट थे। अकबर ने बचपन से ही राज्य का कार्यभार संभाल लिया था। मुगल शासनकाल में अकबर तीसरे सम्राट थे। उन्होंने उनके राज्य में शांतिपूर्ण माहौल प्रस्थापित किया था और कर-निर्धारण व्यवस्था को पुनः संयोजित भी किया था। Mughal Emperor Akbar

प्रारंभिक जीवन (Akbar Ealy Life)

मुग़ल सम्राट अकबर का जन्म सिंध प्रदेश के उमरकोट में साल 15 अक्टूबर 1542 के दिन हुआ था। उनके पिताजी का नाम हुमायू थे, जो मुग़ल शासनकाल के एक बड़े राजा थे। बचपन में अकबर का पालनपोषण उनके अफगानिस्तान में उनके चाचा अस्कारी ने किया था क्योकि जब अकबर का जन्म हुआ तब उनके पिता हुमायू को देश निकाला हुआ था।

युवावस्था में अकबर ने शिकार और युद्ध कला का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। अकबर और राजकुमार रामसिंह प्रथम के बिच एक प्रखर मित्रता थी। बाद में राजकुमार रामसिंह रीवां प्रदेश के राजा बने। इन दोनों का बचपन और युवावस्था एक साथ हुआ था इसीलिए इन दोनों में आजीवन मित्रता रही।

जब अकबर सिर्फ 13 साल के थे तब उनके पिता हुमायू की दुर्घटना में मौत हो गई, तभी साल 1556 में मात्र 13 साल की उम्र में अकबर ने राज्य का कार्यभाल संभाला। अपने पिता के सबसे करीबी मंत्री बैरम खान के मार्गदर्शिका में अकबर ने राज्य का ज्ञान प्राप्त किया।

शिक्षा (Akbar Education)

छोटी उम्र में शासनकाल संभाल ने कारण वह पढ़ नहीं सके लेकिन फिर भी वह उनके राज्य में शिक्षा को बहोत महत्व देते थे। अकबर एक बहोत चतुर और बुद्धिमान राजा थे, अनपढ़ होते हुए भी जिन्हें सभी विषय पर बहोत कौशल प्राप्त था। इसी के चलते उसके शासनकाल में साहित्य, संगीत, शिल्पकला और शिक्षा के विषयो पर बहोत विकास हुआ। उन्होंने अपने राज्य में महिलाओ के शिक्षा पर काफी ध्यान दिया था।

अकबर का शासनकाल (Reign of Akbar)

सम्राट अकबर का राज्य उत्तर में जम्मू काश्मीर से लेकर दक्षिण में मराठवाड तक और पश्चिम में अफगानिस्तान से लेकर पूर्व में बंगाल तक फैला हुआ था। अकबर ने गोदावरी नदी के आस-पास के सारे विस्तार को भी अपने कब्ज़े में करके उन्हें भी उनके राज्य में मिला लिया था। उनके आर्थिक प्रबलता, अबाध शक्ति और असीम सैन्यबल के साथ वह धीरे-धीरे भारत प्रदेश के कई अन्य राज्यों पर भी अपना हुक्म चलाते थे।

अकबर अपने राज्य को सबसे समृद्ध और विशाल बनाने के लिए उन्होंने कई तरह की निति अपनाई क्यूकी उनके साम्राज्य की प्रजा सुख और संपन्न से रह सके। उनके साम्राज्य में हिन्दू धर्म के लोगो भी बहोत थे, उनके हितो और विकास के लिए उन्होंने हिंदू राजाओ की नीति भी अपनाई और उनके मुग़ल राज्य में लागू भी करवाई।

अकबर ने हिन्दुओं के प्रति धार्मिक सहिष्णुता दिखाने के लिए उन्होंने हिंदुओ पर लगा 'जजीया' नाम के कर को हटा दिया। अकबर का उनके जीवन का सबसे महान कार्य करने की कोशीश भी की, और यह कार्य था 'दिन-ए-इलाही' धर्म की स्थापना करना। इस धर्म की स्थापना उन्होंने सबधर्म के लिए स्थापित करने की बात रखी थी। उन्होंने सन 1575 में एक ऐसे प्रार्थनाघर की स्थापना की थी, जहा सभी धर्मो के लोगो वह जा सकते थे, यही नहीं अकबर दूसरे अन्य धर्मों के मुख्या से भी धर्म की बातचीत किया करते थे।

सम्राट अकबर भारत प्रदेश के उदारचरित राजाओ में से एक था। भारत के मध्यकालीन युग में वो एक मात्र ही ऐसे मुसलमान राजा हुए है, जिन्होंने भारत में हिंदू-मुस्लिम के बिच एकता के महत्त्व को समझाया और एक अखंड भारत गठन करने की कोशिश की थी। Akbar History in Hindi

दिल्ली की सत्ता-बदल (Change of Power in Delhi)

अकबर ने दिल्ली की गद्दी को मुग़ल साम्राज्य के प्रमुख सेनापति तारदी बैग खान की देख-रेख में सौंप कर वह विस्तार करने निकल गया। अकबर के प्रतिद्वंद्वी सिकंदर शाह सूरी उनके लिए बहुत बड़ा प्रतिरोध साबित नही हो सका। कुछ राज्यों मे तो अकबर के पहुंचने से पहले ही प्रतिद्वंद्विओं सेना पीछे मूड जाती थी। लेकिन दिल्ली में अकबर की अनुपस्थिति मे राजा हेमू विक्रमादित्य ने आगरा और दिल्ली पर चढ़ाई करके विजय अर्जित की। सन 1556 को हेमु ने खूद को भारत का सम्राट घोषित कर दिया। और इसी घोसणा के साथ दिल्ली मे हिंदू साम्राज्य की फिर से स्थापना हुई।

दिल्ली की पराजय की खबर सुनकर अकबर ने दिल्ली की पर फिर से विजय प्राप्त करने का प्रयोजन कर लिया। लेकिन अकबर के सलाहकारो ने उनको पहले काबुल से मदद मांगने को कहा। और इसी के साथ अकबर और विक्रमादित्य हेमु की सेना के मध्य पानीपत मे युद्ध शुरू हुआ। इतिहास में इसी युद्ध पानीपत का द्वितीय युद्ध कहा गया है। इस युद्ध मे अकबर ने विजय हासिल की और दूसरी ओर सिकंदर शाह सूरी ने भी अकबर के सामने आत्मसमर्पण किया। अकबर ने सिकंदर शाह सूरी को जीवनदान देकर छोड़ दिया।

दिल्ली पर फिर से जित के बाद अकबर ने अपने साम्राज्य का विसार-विस्तार शुरू कर दिया। बाद में उन्होंने सन 1562 में मालवा, सन 1572 में गुजरात, सन 1574 में बंगाल, सन 1581 में काबुल, सन 1586 में कश्मीर और सन 1601 में खानदेश को जीतकर मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया। सन 1562 में आमेर के राजा से उन्होंने संधि कर लीया। इस संधि के साथ ही भारत के राजपूत राजाओ को भी उसकी ओर कर लिए। राजपूत राजाओ में सिर्फ एक मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप कभी भी अकबर के आधीन नहीं हुआ।

सन 1585 में सम्राट अकबर ने भारत के उत्तर से पश्चिम राज्य के राज पालन के लिए लाहौर को अपनी राजधानी बनाई। लेकिन बाद में फिर से अकबर ने अपनी मृत्यु के कुछ वर्ष पूर्व ही सन 1599 में आगरा को वापस अपनी राजधानी बनाई और उनके मृत्यु तक आगरा से शासन किया। Akbar History in Hindi

जोधा और अकबर की कहानी (Story of Jodha and Akbar)

सम्राट अकबर ने हिंदु राजपूताना की राजकुमारी जोधाबाई से निकाह किया था। इतिहासकारो के मुताबिक हमें जोधा और अकबर की सुप्रसिद्ध प्रेम कहानी दिखाई देती है।

अन्य धर्मों के प्रति सहानुभूति :

अकबर पहले ऐसे मुग़ल राजा थे, जिसने अपने मुस्लीम धर्म से लेकर अन्य धर्मो के लोगो को भी उनके दरबार में बड़े पदों पर नियुक्त किया था और साथ ही अन्य धर्मो पर लगाया गया सार्वजनिक कर भी समाप्त किया था।

उन्होंने मुस्लिम के सिवाय अन्य धर्मो पर लगा बिनजरूरी कर भी बंध कर दिया और ऐसा करने वाले वह प्रथम सम्राट थे। इसके साथ ही जो लोग उनके राज्य में मुस्लिम नहीं है उनका भरोसा हासिल करने वाले वह प्रथम राजा थे। भिन्न भिन्न धर्मो को एक साथ रखने की शुरुआत भी अकबर के समय से शुरू हुई थी। सम्राट अकबर के मृत्यु के बाद उनका पुत्र सलीम यानि जहागीर ने उनकी राजगद्दी संभाली थी।

अकबर के नवरत्न (Navratna of Akbar)

  • ( 1 ) बीरबल : बीरबल उस समय में सबसे बुद्धिमान व्यक्ति माने जाते थे। वह अकबर के दरबार के प्रमुख सलाहकार और विदूषक थे। इनके कुशल बुद्धि के किस्से आज भी सुनाए जाते हैं।
  • ( 2 ) तानसेन : तानसेन अकबर के दरबार में एक महान गायक के तौर पर प्रसिद्ध थे।
  • ( 3 ) अबुल फजल : उन्होंने अकबर के युग को बारीकी से लिखा था। उसने अकबरनामा के पुस्तक की रचना की थी।
  • ( 4 ) फैजी : फैजी और अबुल फजल दोनों भाई थे, इसी तरह दोनों भाई अकबर के रत्न थे। वह फारसी भाषा में कविता करता था। अकबर ने फैजी को अपने पुत्र के गणित के शिक्षक के लिए नियुक्त किया था।
  • ( 5 ) टोडरमल : टोडरमल अकबर के वित्त मंत्री थे, इन्होंने उस समय विश्व की पहली भूमि लेखा-जोखा और मापन पद्धति तैयार की थी।
  • ( 6 ) राजा मान सिंह : मान सिंह आम्बेर के राजपूत राजा थे। और वह अकबर की सेना का मुख्य सेनापति भी थे। और साथ में अकबर की पटरानी जोधाबाई उनकी बुआ थी।
  • ( 7 ) फकीर अजिओं-दिन : वह अकबर के सलाहकारो में से एक थे।
  • ( 8 ) अब्दुल रहीम खान-ऐ-खाना : वह अकबर ले दरबार में एक कवि थे और साथ में अकबर के संरक्षक बैरम खान के बेटे भी थे।
  • ( 9 ) मुल्ला दो प्याजा : वह अकबर के सलाहकारो में से एक थे।

मृत्यु (Akbar Death)

सन 1605 में अकबर संग्रहणी की बीमारी से ज़ुज़ रहे थे, और कई इलाज के बाद भी यह बीमारी ठीक नहीं हो पाए। इसी बीमारी के चलते 27 अक्टूबर सन 1605 को उनकी मृत्यु हो गई, मृत्यु के बाद आगरा में ही उनकी समाधि बनाई गयी।

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