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P V Sindhu Biography in Hindi | पीवी. सिंधु का जीवन परिचय

P V Sindhu Biography in Hindi | पुर्सला वेंकटा सिन्धु एक भारतीय प्रोफेशनल बैडमिंटन खिलाडी है। पुसर्ला वेंकट सिंधु जोकि पी वी सिंधु के नाम से जानी जाती हे। ओलंपिक गेम्स में हमारे देश भारत का नाम ऊँचा करने वाली बेटियों में से एक उभरता हुआ नाम हैं प्रोफेशनल बैडमिंटन प्लेयर पी. वी. सिंधु।

P V Sindhu Biography in Hindi | पीवी. सिंधु का जीवन परिचय
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P V Sindhu Biography in Hindi | पीवी. सिंधु का जीवन परिचय

  • नाम पुसर्ला वेंकट सिंधु
  • जन्म 5 जुलाई, 1995
  • जन्मस्थान हैदराबाद, तेलंगाना, भारत
  • पिता पी. वी. रमण
  • माता पी. विजया
  • शिक्षा एमबीए
  • व्यवसाय बैडमिंटन खिलाडी
  • पुरस्कार पद्म भूषण, पद्म श्री, अर्जुन पुरस्कार
  • नागरिकता भारतीय

भारतीय बैडमिंटन खिलाडी पी. वी. सिन्धु (P V Sindhu Biography in Hindi)

P V Sindhu Biography in Hindi | पुसारला वेंकटा सिंधु (पीवी सिंधु) भारतीय पेशेवर बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. मौजूदा विश्व बैडमिंटन रैंकिंग में नम्बर तीन सिंधु पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने ओलंपिक में रजत पदक जीता है. वर्ष 2012 में महज 17 साल की उम्र में विश्व बैडमिंटन रैंकिंग में शीर्ष 20 खिलाडि़यों में जगह बनाकर सिंधु ने सबको चौंका दिया था. इसके बाद सिंधु लगातार सफलता हासिल करती गईं. साल 2013 में विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं. इसके बाद सिंधु ने 2016 रियो डी जिनेरियो ओलंपिक में रजत पदक जीत कर इतिहास रचा था. सायना नेहवाल के बाद सिंधु बैडमिंटन में ओलंपिक पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय बनीं. सायना ने 2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. सिंधु ने ओलंपिक के बाद 2017 विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में भी रजत पदक जीत देश का मान बढ़ाया. विश्व चैम्पियनशिप में भी यह भारत का पहला रजत पदक था.

प्रारंभिक जीवन (P V Sindhu Early Life)

पी.वी. सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 को हैदराबाद में हुआ था. उनके पिता पीवी रमन्ना और मां पी. विजया अंतरराष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे हैं. सिंधु के पिता रमन्ना वॉलीबॉल में अपने विशेष योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार भी हासिल कर चुके हैं. सिंधु के माता-पिता जहां वॉलीबॉल के खिलाड़ी थे, वहीं उनकी बेटी ने बैडमिंटन को चुना. वर्ष 2001 में जब पुलेला गोपीचंद ने ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप का खिताब जीता था, सिंधु ने तभी तय कर लिया था कि वह भी बड़ी होकर शटलर बनेंगी.

गोपीचंद से पे्ररित होकर आठ साल की उम्र से ही सिंधु ने बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. सिंधु ने बैडमिंटन की बेसिक ट्रेनिंग सिकंदराबाद स्थित रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ सिगनल इंजीनियरिंग ग्राउंड पर महबूब अली की देखरेख में शुरू की थी. लेकिन जल्द ही उन्होंने पुलेला गोपीचंद की हैदराबाद स्थित गोपीचंद एकेडमी में ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया था. सिंधु की अपने खेल के प्रति लगन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह रोजाना 56 किलोमीटर का सफर तय कर अपने घर से गोपीचंद एकेडमी पहुंचती थीं.

उनकी इसी लगन को देखकर कोच गोपीचंद ने एक बार कहा था कि सिंधु के खेल का अहम हिस्सा उनका अंदाज और कभी हार न मानने की प्रवृति है. गोपीचंद एकेडमी से जुडऩे के साथ ही सिंधु का सुनहरा सफर शुरू हो गया था. उन्होंने उस दौरान अंडर-10 आयु वर्ग में कई खिताब जीते. इस दौरान उन्होंने नेशनल स्कूल गेम्स ऑफ इंडिया में स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही अंडर-13 व अंडर-12 एकल व युगल वर्ग में कई राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किए.

शिक्षा (Education)

सिन्धु सिकंदराबाद के भारतीय रेल्वे के इंस्टिट्यूट में ही उन्होंने अपने प्रशिक्षण की शुरुवात की। इसके तुरंत बाद सिन्धु पुल्लेला गोपीचंद बैडमिंटन अकैडमी में शामिल हो गई। सिन्धु के घर से उनके प्रशिक्षण लेने की जगह तक़रीबन 56 किलोमीटर दूर थी, लेकिन यह उनकी अपार इच्छा और जीतने की चाह ही थी जिसके लिये उन्होंने कठिन परिश्रम किया था। अपने कठिन परिश्रम की बदौलत ही आज वह एक सफल बैडमिंटन खिलाडी बन पाई।

पी.वी. सिंधु का करियर Career Of P. V. Sindhu

राष्ट्रीय स्तर पर धूम मचाने के बाद सिंधु ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना पहला पदक वर्ष 2009 में जीता. सिंधु ने कोलम्बो में आयोजित सबजूनियर एशियन चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीत कर अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन सर्किट में कदम रखा. इसके बाद 2010 में मैक्सिको में जूनियर विश्व चैम्पियनशिप के क्वार्टरफाइनल तक का सफर भी उन्होंने तय किया. 2010 यूबर कप में वह भारतीय महिला टीम की सदस्य भी थीं.

वर्ष 2012 में सिंधु ने जापान की नोजोमी ओकुहारा को हराकर अंडर-19 यूथ एशियन बैडमिंटन चैम्पियनशिप का खिताब अपने नाम किया. 2012 के चाइना मास्टर्स सुपर सीरीज में भारतीय खिलाड़ी ने बड़ा धमाका करते हुए लंदन ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता ली जुएरुई को पराजित कर सेमीफाइनल में जगह बनाई. हालांकि सिंधु सेमीफाइनल में हार गईं, लेकिन उन्होंने अपने इरादे जता दिए थे कि वह भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियां अपने नाम करने में सक्षम हैं.

इसी साल सिंधु ने श्रीनगर में हुई सीनियर नेशनल बैडमिंटन चैम्पियनशिप में शिरकत की, लेकिन फाइनल में उन्हें सयाली गोखले के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी. बाद में सिंधु ने खुलासा किया कि चाइना मास्टर्स के दौरान उन्हें घुटने में चोट लग गई थी, जिसे नजरअंदाज करते हुए वह जापान ओपन में और सीनियर नेशनल में खेलने उतर गईं. हालांकि फिर सतर्कता बरतते हुए सिंधु ने विश्व जूनियर चैम्पियनशिप से नाम वापस ले लिया था.

वर्ष 2013 की शुरुआत में ही सिंधु ने मलेशियन ओपन का खिताब हासिल कर वापसी की. यह उनका पहला ग्रांप्री गोल्ड खिताब था. यह साल भारतीय खिलाड़ी के लिए बेहद यादगार रहा, जब उन्होंने गत चैम्पियन चीन की वांग यिहान को हराकर विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप के महिला एकल क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया.

18 वर्षीय और 10वीं वरीयता प्राप्त सिंधु ने फिर क्वार्टरफाइनल में चीन की वांग शिजियान को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाने के साथ ही कांस्य पदक भी पक्का कर लिया. सिंधु इसके साथ ही विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गईं. इसी साल सिंधु ने मकाउ ओपन ग्रांप्री गोल्ड खिताब जीता. वहीं उनकी शानदार उपलब्धियों के लिए उन्हें अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया.

वर्ष 2014 में ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिंधु सेमीफाइनल तक पहुंचने में सफल रहीं. हालांकि सेमीफाइनल में उन्हें हार झेलनी पड़ी, लेकिन सिंधु ने इसके तुरंत बाद हुई विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में लगातार दूसरा रजत पदक जीत कर इतिहास रच दिया. वह विश्व चैम्पियनशिप में लगातार दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय शटलर बनीं.

2015 में सिंधु अपने पहले सुपर सीरीज टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची. उन्होंने सेमीफाइनल में स्पेन की कैरोलिना मारिन को हराकर डेनमार्क ओपन के फाइनल में जगह बनाई. फाइनल तक पहुंचने के लिए सिंधु ने शीर्ष वरीय खिलाडि़यों को हराया था. हालांकि उन्हें फाइनल में गत विजेता ली जुएरुई के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा. इसी साल सिंधु ने मकाउ ओपन में अपना खिताब भी बरकरार रखा.

वर्ष 2016 में भी सिंधु की सफलता का सिलसिला जारी रहा. शुरुआत में ही मलेशिया मास्टर्स में जीत दर्ज कर उन्होंने रियो डी जिनेरियो ओलंपिक के लिए अपनी तैयारियों का परिचय दिया. रियो ओलंपिक में सिंधु ने शुरुआत से ही बेहद आक्रामक खेल दिखाते हुए क्वार्टरफाइनल में जगह बनाई, जहां उनका सामना चीन की वांग यिहान से हुआ. सिंधु चीनी खिलाड़ी के सामने भी डिगी नहीं और सीधे सेटों में जीत दर्ज करते हुए सेमीफाइनल में जगह बना देश के लिए पदक पक्का किया.

सिंधु ने फिर सेमीफाइनल में जापान की नोजोमी ओकुहारा को मात देकर फाइनल में जगह बनाई, जहां उनका सामना स्पेन की कैरोलिना मारिन से होना था. महिला एकल ओलंपिक फाइनल मुकाबला 85 मिनट तक चला, जिसमें कड़े संघर्ष में सिंधु को मारिन ने पराजित कर स्वर्ण पदक पर कब्जा जमा लिया. लेकिन इस मुकाबले के साथ ही सिंधु भारत की शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ी बन गईं. उन्होंने ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी होने का गौरव हासिल किया.

साल 2017 में आयोजित इंडिया ओपन में सिंधु का सामना एक बार फिर ओलंपिक चैम्पियन कैरोलिना मालिन से हुआ, लेकिन इस बार भारतीय खिलाड़ी ने उसे हराकर बदला चुकता कर लिया. इसके बाद स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में सिंधु, जापानी खिलाड़ी नोजोमी ओकुहारा से हारकर रजत पदक जीतने में सफल रहीं.

यह उनके करियर की दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि रही. इसी साल आंध्र प्रदेश सरकार ने सिंधु को कृष्णा जिले का डिप्टी कलेक्टर मनोनीत किया. साल के अंत में सिंधु ने एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम की. वह दुबई में हुई वल्र्ड सुपर सीरीज फाइनल्स में रजत पदक जीतने में सफल रहीं.

पदक रिकॉर्ड

  • 2016 रियो डी जिनेरियो ओलंपिक में रजत पदक
  • 2017 विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक
  • 2013 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक
  • 2014 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक
  • 2014 एशियन गेम्स में कांस्य पदक
  • 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक

पी.वी. सिंधु करियर रिकॉर्ड

  • कुल 346 मैच खेले
  • 242 मैच जीते
  • 104 मैच हारे
  • अब तक 10 खिताब जीत चुकी हैं

पी.वी. सिंधु का निजी जीवन Personal life of P. V. Sindhu

जुलाई, 2013 से सिंधु भारत पैट्रोलियम के हैदराबाद ऑफिस में असिस्टेंट स्पोट्र्स मैनेजर के पद पर कार्यरत थीं. लेनिक रियो ओलंपिक में पदक जीतने के बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने उन्हें डिप्टी कलेक्टर के पद पर मनोनीत कर दिया.

    P V Sindhu Biography in Hindi | पीवी. सिंधु का जीवन परिचय

  • महबूब अली से बैडमिंटन की ए.बी.सी. सीखने के बाद सिंधु ने बाद में पुलेला गोपीचंद की बैडमिंटन अकादमी को ज्वाइन किया और पढ़ाई के साथ-साथ बैडमिंटन में भी महारत हासिल करने लगी।
  • 2009 में सिंधु ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने दमखम का परिचय दिया। उन्होंने 2009 में कोलंबों में आयोजित सब जूनियर एश‍ियाई बैडमिंटन चैंपियनश‍िप में कांस्य पदक जीता।
  • 2010 में इन्होंने ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज के एकल वर्ग में भी रजत पदक जीता। इसी वर्ष मेक्सिको में आयोजित जूनियर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप और थॉमस और यूबर कप में भी भारत की ओर से खेलीं और साहसिक प्रदर्शन किया।
  • सिंधु के जीवन में उल्लेखनीय सफलता 7 जुलाई 2012 को आई, जब इन्होंने एशिया यूथ अंडर-19 चैम्पियनशिप के फाइनल में जापान की खिलाड़ी नोजोमी ओकुहरा को हराया। चाइना मास्टर सुपर सीरीज़ टूर्नामेंट में लंदन 2012 में चाइना की ओलंपिक्स गोल्ड मेडलिस्ट Li Xuerui को हराकर सबको चौंका दिया।
  • 2013 में सिंधु ने चीन के ग्वांग्झू में आयोजित 2013 के विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में एकल पदक जीत कर इतिहास रचा। ऐसा करने वाली वे पहली भारतीय महिला बैडमिंटन हैं। इसी साल 1 दिसम्बर 2013 को सिंधु ने कनाडा की मिशेल ली को हराकर मकाउ ओपन ग्रां प्री गोल्ड का महिला सिंगल्स खिताब भी जीता। दिस्म्बर 2013 में ही पी. वी. सिंधु ने भारत की 78वीं सीनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप का महिला सिंगल खिताब भी अपने नाम किया।
  • 2014 में "ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स" में वोमेन्स सिंगल में सेमीफाइनल स्टेज तक पहुँचने के बाद वे हार गयी। वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में लगातार 2 मैडल जीतने पर उन्होंने इतिहास रच दिया और वे ऐसी पहली भारतीय बनी।
  • 2015 में मकाऊ ओपन ग्रैंड प्रिक्स गोल्ड में अपना तीसरा वोमेन्स सिंगल्स जीता। P V Sindhu Biography in Hindi
  • 2016 में वर्ष की शुरुआत में ही मलेशिया मास्टर्स ग्रैंड प्रिक्स गोल्ड वोमेन्स सिंगल जीता। 2016 को 2016 समर ओलंपिक्स में जापान की Nozomi Okuhara को वोमेन्स सिंगल में हराया।
  • 2016 में पी. वी. सिन्धु ने ब्राजील के रियो जेनेरियो में आयोजित किये गये ग्रीष्मकालीन खेलो ओलम्पिक में भारत की तरफ से प्रतिनिधित्व किया था और एकल खिताब में पहुँचने वाली एकमात्र भारतीय खिलाड़ी बनी थी। फाइनल में सिन्धु का मुकाबला विश्व की प्रथम खिलाड़ी स्पेन की कैरोलिना मैरिन के साथ हुआ। लेकिन सिन्धु आखिरी समय में कोई खास कमाल नहीं कर पायी और हार गई। उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा था।
  • 2017 में मार्च से अप्रैल के बीच इंडिया ओपन सुपर सीरीज का आयोजन दिल्ली में हुआ था। इसमें सिन्धु का मुकाबला विश्व की प्रसिध्य बैडमिंटन खिलाड़ी कैरोलिना से हुआ था, सिन्धु ने उनको हराकर नया इतिहास रच दिया था।
  • 2017 में ही कोरिया में कोरिया ओपन सुपर सीरीज में सिन्धु का सामना जापान की ओकुहारा से हुआ और उसको फाइनल में हरा दिया था। इसके साथ ही सिंधु पहली भारतीय महिला बन गई थी, जिन्होंने कोरिया ओपन में जीत हासिल की थी।
  • 2018 में सिंधु ने गोल्ड कोस्ट में Commonwealth Games में भाग लिया था। सिन्धु ने मिक्स्ड टीम इवेंट में भाग लेकर गोल्ड मैडल जीता था, इसके साथ ही महिला एकल में उन्हें सिल्वर मैडल मिला था।
  • दिसम्बर 2018 में चाइना में बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर टूर्नामेंट में सिन्धु ने यह फाइनल मुकाबला जीत लिया था। सिन्धु यह टूर्नामेंट जीतने वाली पहली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी थी, 2018 में सिन्धु को प्रसिद्ध मैगजीन फ़ोर्ब्स ने कमाई के आधार पर "हाइएस्ट-पेड फीमेल एथलीट 2018″ की सूची में सातवां स्थान दिया था।
  • 2019 की शुरुवात में ही भारत में पीबीएल का आयोजन हुआ था, जहाँ सिन्धु को नीलामी के दौरान हैदराबाद हन्टर्स ने खरीदा था। सिन्धु इस पूरी सीरीज में शानदार प्रदर्शन किया था, वे सेमीफाइनल तक पहुँच गई थी।

पी. वी. सिंधु अवार्ड्स और सम्मान (P V Sindhu Awards and Honors)

  1. अर्जुन अवार्ड (2013)
  2. पद्म श्री (2015)
  3. FICCI की तरफ से स्पोर्ट पर्सन ऑफ़ दी इयर का सम्मान (2014)
  4. NDTV की तरफ से इंडियन ऑफ़ दी इयर का सम्मान (2014)
  5. बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की तरफ से 10 लाख का पुरस्कार (2015)
  6. बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की तरफ से 5 लाख का पुरस्कार (2016)
  7. राजीव गांधी खेल रत्न पुरुस्कार (2016)

2016 रिओ ओलंपिक्स के बाद दिये जाने वाले पुरस्कार:

  1. तेलंगाना सरकार की तरफ से 5 करोड़ और जमीन पुरस्कार स्वरुप दी गयी।
  2. आंध्रप्रदेश सरकार की तरफ से 3 करोड़ की राशी, ग्रुप A कैडर जॉब और 1000 यार्ड जमीन पुरस्कार स्वरुप दी गयी।
  3. अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार द्वारा 2 करोड़ का पुरस्कार।
  4. भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन द्वारा 75 लाख की नगद राशी पुरस्कार स्वरुप दी गयी।
  5. हरियाणा सरकार द्वारा 50 लाख की नगद राशी पुरस्कार स्वरुप दी गयी।
  6. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 50 लाख की नगद राशी पुरस्कार स्वरुप दी गयी।
  7. हैदराबाद डिस्ट्रिक्ट बैडमिंटन एसोसिएशन द्वारा पुरस्कार स्वरुप एक BMW कार दी गई।
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