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Peshwa Bajirao Biography in Hindi | पेशवा बाजीराव का जीवन परिचय

Peshwa Bajirao Biography in Hindi | पेशवा बाजीराव जिन्हें बाजीराव प्रथम भी कहा जाता है मराठा साम्राज्य के एक महान पेशवा थे। पेशवा का अर्थ होता है प्रधानमंत्री। वे मराठा छत्रपति राजा शाहू के 4थे प्रधानमंत्री थे।

Peshwa Bajirao Biography in Hindi
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Peshwa Bajirao Biography in Hindi

Peshwa Bajirao Biography in Hindi | पेशवा बाजीराव का जीवन परिचय

  • पूरा नाम श्रीमंत बाजीराव पेशवा
  • जन्म 18 अगस्त 1700
  • जन्मस्थान मराठा साम्राज्य (वर्तमान महाराष्ट्र, भारत)
  • पिता बाळाजी विश्वनाथ
  • माता राधाबाई
  • पत्नी काशीबाई
  • पुत्र बालाजी बाजीराव
  • नागरिकता भारतीय

पेशवा बाजीराव का जीवन (Peshwa Bajirao Biography in Hindi)

Peshwa Bajirao Biography in Hindi | पेशवा बाजीराव जिन्हें बाजीराव प्रथम भी कहा जाता है मराठा साम्राज्य के एक महान पेशवा थे। पेशवा का अर्थ होता है प्रधानमंत्री। वे मराठा छत्रपति राजा शाहू के 4थे प्रधानमंत्री थे। शाहु महाराज ने राज्य के पेशवा पद पर नियुक्त किये हुये श्रीवर्धनकर भट (पेशवा) घर का योगदान महाराष्ट्र के राजकीय और सांस्कृति के लिए महत्वपूर्ण रहा इस घर के पहले पेशवे बालाजी विश्वनाथ इनके बेटे श्रीमंत थोरले बाजीराव पेशवे इनकी राजकीय जीवन महाराष्ट्र के और भारत के दृष्टी से भाग्यदायी रहा।

प्रारंभिक जीवन (Peshwa Bajirao Early Life)

पेशवा बाजीराव का जन्म 18 अगस्त सन 1700 को एक भट्ट परिवार में पिता बालाजी विश्वनाथ और माता राधा बाई के घर में हुआ था। उनके पिताजी राजा शाहू के प्रथम पेशवा थे। बाजीराव का एक छोटा भाई भी था चिमाजी अप्पा। बाजीराव अपने पिताजी के साथ हमेशा सैन्य अभियानों में जाया करते थे।

1720 में उनके पिता पेशवे बालाजी पंत के मृत्यु के बाद शाहु महाराज ने बाजीराव को पेशवे पद के वस्त्र प्रदान किये। 13 साल की उम्र से ही बाजीराव को राजनीती, युध्द्नीती, लष्करी इन विषय के बारे में प्रशिक्षण पिताजी से ही मिली थी। कम उम्र में ही तड़फ, हिंमत देखकर ही शाहु महाराज ने बाजीराव को पेशवे पद की जिम्मेदारी सौपी थी।

बाजीराव का शुरुआती करियर (Peshwa Bajirao Starting Career)

बाजीराव के पेशवा पद पर आते ही अपने करतब मराठी के शत्रुओं पर आजमाने शुरू किये हैद्राबाद का निजाम, जजीर का सिददी, गोवा के पोर्तुगीज, मुघल दरबार के सरदार और सेनापती, मराठी के शत्रु और छिपे हुए हितशत्रु, सातारा दरबार में के ग़द्दार इन सब को थोरले बाजीराव ने अलग अलग सबक सिखाया। छोटी उम्र में पेशवा बनने के कारण कुछ वरिष्ट अधिकारीयों जैसे नारों राम मंत्री, अनंत राम सुमंत और श्रीपतराव प्रतिनिधि के मन में ईर्ष्या उत्पन्न हो गयी थी।

बाजीराव के पद पर आने के बाद मुग़ल सम्राट मुहम्मद शाह ने मराठों को शिवाजी की मृत्य के बाद प्रदेशों के अधीनता को याद दिलाया। 1719 में मुग़लों ने यह भी याद दिलाया की डेक्कन के 6 प्रान्तों से कर वसूलने का मराठों का अधिकार क्या है। इस तरिके के वजह से मराठी राज्य की संघराज्यात्मक रचना ताकदवर होकर राज्य का सर्वागीण बल बढ़ा। स्वराज्य के विस्तार में से मराठा साम्राज्य खड़ा हुआ। मराठी समाज में आक्रमक, धाडसी वृत्ती निर्माण हुयी इसका श्रेय थोरले बाजीराव को ही जाता है।

मालवा के खिलाफ युद्ध (Bajirao War Against Malwa)

1723 में बाजीराव ने दक्षिण मालवा की और एक अभियान शुरू किया। जिसमें मराठा के प्रमुख रानोजी शिंदे, मल्हार राव होलकर, उदाजी राव पवार, तुकोजी राव पवार, और जीवाजी राव पवार ने सफलतापूर्वक चौथ इक्कठा किया।

पालखेड के खिलाफ युद्ध (Bajirao War Against Palkhed)

1728 में बाजीराव और निज़ाम की सेना के बिच एक युद्ध हुआ जिसे 'पल्खेद की लड़ाई' कहां जाता है। इस लड़ाई में निज़ाम की हार हुई उस पर मजबूरन शांति बनाये रखने के लिए दवाब डाला गया। उसके बाद से वह सुधर गया।

अमझेरा के खिलाफ युद्ध (Bajirao War Against Amazera)

1728 में बाजीराव ने एक विशाल सेना अपने छोटे भाई चिमनाजी अप्पा के नेतृत्व में भेजा जिसके कुछ प्रमुख थे शिंदे, होलकर और पवार। 29 नवम्बर 1728 को चिमनाजी की सेना ने मुग़लों को अमझेरा में हरा दिया।

बाजीराव और मस्तानी का विवाह (Marriage of Bajirao and Mastani)

बुंदेलखंड के महाराजा छत्रसाल ने मुग़लों के खिलाफ विद्रोह छेद दिया था। जिसके कारण दिसम्बर 1728 में मुग़लों ने मुहम्मद खान बंगश के नेतृत्व में बुंदेलखंड पर आक्रमण कर दिया और महाराजा के परिवार के लोगों को बंधक बना दिया। 1729 को पेशवा बाजीराव ने अपनी ताकत से महाराजा छत्रसाल को उनका सम्मान वापस दिलाया। महाराजा छत्रसाल ने बाजीराव को बहुत बड़ा जागीर सौंपा और अपनी बेटी मस्तानी और बाजीराव का विवाह भी करवाया।

गुजरात के खिलाफ युद्ध (Bajirao War Against Gujarat)

1730 में पेशवा बाजीराव ने अपने छोटे भाई चिमनाजी अप्पा को गुजरात भेजा। मुघर साशन के गवर्नर सर्बुलंद खान ने गुजरात का कर इक्कठा को मराठों को सौंप दिया। 1731 में बाजीराव ने दाभाडे, गैक्वाड और कदम बन्दे की सेनाओं को हरा दिया। 1732 में निज़ाम की मुलाकात पेशवा बाजीराव से रोहे-रमेशराम में हुई परन्तु निज़ाम ने कसम खाया की वो मराठों के अभियानों में हस्तक्षेप नहीं करेगा।

सिद्दियों के खिलाफ युद्ध (Bajirao War Against Siddies)

जंजीरा के सिद्दी एक छोटा राज्य पश्चिमी तटीय भाग और जंजीर का किला संभालते थे पर शिवाजी की मृत्यु के बाद से वो धीरे-धीरे मध्य और उत्तर कोंकण पर भी राज करने लगे। 1733 में सिद्दी प्रमुख, रसूल याकुत खान की मृत्यु के बाद उसके बेटों के बिच युद्ध सा छिड़ गया।

उनके एक पुत्र अब्दुल रहमान ने बाजीराव पेशवा से मदद माँगा जिसके कारण बाजीराव ने कान्होजी अंगरे के पुत्र सेखोजी अंगरे के नेतृत्व में एक सेना मदद के लिए भेजा। 1736 में चिमनाजी ने अचानक से सिद्दीयों पर आक्रमण कर दिया जिसके कारण लगभग 1500 से ज्यादा सिद्दियों की मृत्यु हो गयी।

दिल्ली के खिलाफ युद्ध (Bajirao War Against Delhi)

1736 में बाजीराव पेशवा ने पुणे से दिल्ली की और कुच किया, जिसे मुग़ल शहनशा ने सआदत खान को उनकी कुच को रोकने को कहा। सआदत खान ने सेना के साथ उन पर आक्रमण कर उन्हें हरा दिया। परन्तु 1737 को मराठों ने दिल्ली की लड़ाई में मुग़लों को हरा दिया। 1737 को भोपाल की लड़ाई में भी मराठों ने मुगलों को हरा दिया।

म्रुत्यु (Peshwa Bajirao Death)

कहा जाता है की पराक्रमी पेशवा की 40 वर्ष की उम्र में पॅरा, टायफॉईड के वजह से नर्मदा नदी के पास रावेरखेडी यहाँ 28 अप्रैल 1740 को सुबह मौत हुई।

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