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Sarojini Naidu Biography in Hindi | सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय की जीवनी

Sarojini Naidu Biography in Hindi | सरोजिनी नायडू आधुनिक भारत की स्वतंत्रता सेनानी और कवित्री थी। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष भी रह चुकी है और बाद में उन्हें संयुक्त प्रांत का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया। सरोजिनी नायडू भारत के उत्तरप्रदेश राज्यपाल के रूप में चुनी जाने वाली पहली भारतीय महिला थी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में उनकी एक महत्त्व सहभागिता रही।

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Sarojini Naidu Biography in Hindi | सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय की जीवनी

Sarojini Naidu Biography in Hindi | सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय की जीवनी

  • नाम सरोजिनी गोविंद नायडु
  • जन्म 13 फरवरी 1879
  • जन्मस्थान हैदराबाद
  • पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय
  • माता वरद सुंदरी
  • पति डॉ गोविन्द राजुलू
  • पुत्र रणधीर
  • पुत्री लिलामानी
  • व्यवसाय कार्यकर्ता, राजनीतिक नेता
  • नागरिकता भारतीय

राजनीतिक नेता सरोजिनी नायडु (Sarojini Naidu Biography in Hindi)

सरोजिनी नायडू आधुनिक भारत की स्वतंत्रता सेनानी और कवित्री थी। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष भी रह चुकी है और बाद में उन्हें संयुक्त प्रांत का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया। सरोजिनी नायडू भारत के उत्तरप्रदेश राज्यपाल के रूप में चुनी जाने वाली पहली भारतीय महिला थी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में उनकी एक महत्त्व सहभागिता रही।

प्रारंभिक जीवन (Sarojini Naidu Early Life)

सरोजिनी नायडू का जन्म हैदराबाद, भारत में 13rd फरवरी 1879 में हुआ था। सरोजिनी के पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपध्याय था। वे एक वैज्ञानिक थे। उन्होंने हैदराबाद में निज़ाम कॉलेज की स्थापना की थी। उनकी माता का नाम वरदा सुंदरी था। वे एक कवयित्री थीं और बंगाली भाषा में कविताएं लिखती थीं। सरोजिनी नायडू उनके आठ भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं।

सरोजिनी नायडू के एक भाई विरेंद्रनाथ क्रांतिकारी थे और एक भाई हरिद्रनाथ कवि और कथाकार थे। सरोजिनी नायडू एक होनहार और होसियार विद्यार्थी थीं। उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपध्याय चाहते थे कि वो गणितज्ञ या वैज्ञानिक बनें परंतु उनकी रुचि कविता ज्यादा थी।

शिक्षा (Sarojini Naidu Education)

सरोजिनी नायडू जब सिर्फ 12 साल की थी तब उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी और उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी में प्रथम स्थान हासिल किया था। सरोजिनी नायडू की कविता से हैदराबाद के राजा इतना प्रभावित हुए की उन्होंने सरोजिनी नायडू को विदेश में पढ़ने के लिए शिष्यवृति दी, और वे 16 वर्ष की आयु में इंग्लैंड गयीं। इंग्लैंड जाके पहले उन्होंने किंग कॉलेज दाखिला लिया। उसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज के ग्रीतान कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। वहां वे उस जमाने के मशहूर कवि अर्थर साइमन और इडमंड गोसे से मिलीं।

शादी (Sarojini Naidu Marriage)

सरोजनी जी ने 1897 में डॉ गोविन्द राजुलू से दूसरी जाति में शादी करी थी, उस ज़माने में अन्य जाति में शादी करना कोई गुनाह से कम नहीं था इसके बाद समाज की चिंता ना करते हुए उनके पिता ने अपनी बेटी की शादी को मान लिया।

साहित्यिक जीवन (Sarojini Naidu Literary Carreer)

सरोजनी जी ने शादी के बाद भी अपनी कविता के लिए रूचि कम नहीं हुई और इसी लिए अपना काम जारी रखा, वे बहुत सुंदर कविता लिखा करती थी। सरोजनी जी की 1905 में एक कविता बुल बुले भारत प्रकाशित हुई, जिसके बाद वे पुरे भारत में प्रख्यात हो गयी।

इसके बाद सरोजनी की लगातार कविता प्रकाशित होने लगी और कई बड़े लोगो ने उनकी प्रसंसा की। जिसमे जवाहरलाल नेहरु और रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे महान लोग भी थे। वे अंग्रेजी में भी अपनी कविता लिखा करती थी, लेकिन उनकी उस कविताओं में भी भारतीयता झलकती थी। एक दिन सरोजनी नायडू जी गोपाल कृष्ण गोखले से मिली और उन्होंने सरोजनी जी को बोला, कि वे अपनी कविताओं में थोड़ा क्रांतिकारीपन लायें और अपने शब्दों से स्वतंत्रता की लड़ाई में साथ दे।

सरोजनी नायडू 1916 में महात्मा गाँधी से मिली, जिसके बाद से उनकी सोच पूरी तरह से बदल गई, उन्होंने अपनी पूरी ताकत देश को आजाद कराने में लगा दी। इसके बाद वे पुरे देश में घूमी, मानों किसी सेना का सेनापति निरक्षण में गया हो, वे जहाँ जहाँ गई वहां उन्होंने लोगों को देश की आजादी के लिए ललक जगाई।

देश की आजादी सरोजनी नायडू के दिल और आत्मा में भर चुकी थी। उन्होंने मुख्य रूप से देश में औरतों को जागृत किया, उस समय औरतें बहुत सी प्रथाओं में जकड़ी हुई थी और बहुत पीछे हुआ करती थी, लेकिन सरोजनी नायडू जी ने उन औरतों को उनके अधिकार के बारे में बताया, और अपने हक़ के लिए लड़ना सिखाया। बाद में देश की आजादी की लड़ाई में आगे आने को प्रोत्साहित किया। वे देश के अलग-अलग शहर, गाँव में जाती और औरतों को प्रोत्साहित करती थी।

पहली महिला अध्यक्ष (Sarojini Naidu First Female President)

सरोजनी नायडू जी 1925 में कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षा के रूप में चुना गया था। जिसके बाद 1932 में वे भारत की मुख्या बनकर दक्षिण अफ्रीका भी गई थी। उन दिनों महिला सरोजनी नायडू ने भारत की स्वतंत्रता के लिए भारतीयों द्धारा किए जाने वाले अहिंसक संघर्ष की बारीकियों को प्रस्तुत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

यही नहीं उन्होंने गांधीवादी सिद्धांतों का प्रसार करने के लिए यूरोप और अमेरिका जैसे बड़े बड़े देश की यात्रा की और आजादी के बाद वे उत्तरप्रदेश की पहली राजयपाल बनी। सरोजनी नायडू स्वतंत्र भारत की पहली महिला गर्वनर भी बनी थी। सरोजनी नायडू ने अपने महानविचारों और गौरवपूर्ण व्यवहार से अपने राजनीतिक कर्तव्यों को बखूबी निभाया है।

मृत्यु (Sarojini Naidu Death)

सरोजनी नायडू जी को 2 मार्च, 1949 को ऑफिस में काम करते वक्त दिल का दोहरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई।

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