बड़ी खबर: 'ज्वाइंट सेक्रेटरी' विवाद में विपक्ष ने बोला करारा हमला- अगली बार बिना चुनाव बनाओगे पीएम
BY Jan Shakti Bureau11 Jun 2018 4:13 PM IST
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Jan Shakti Bureau11 Jun 2018 9:53 PM IST
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने प्रशासनिक व्यवस्था में एंट्री को लेकर अब तक का सबसे बड़ा बदलाव किया है. अब बिना यूपीएससी की परीक्षा पास किए इस सेवा में आने का रास्ता साफ कर दिया है. अब लैटरल एंट्री के जरिए प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले सीनियर अधिकारी भी नौकशाही का हिस्सा बन सकते हैं. सरकार के इस फैसले पर विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रिया आई है. विपक्ष आरोप लगा रहा है कि यह बीजेपी से जुड़े लोगों को प्रशासनिक सेवा में लाने के लिए सरकार की चाल है. एक न्यूजपेपर में छपे विज्ञापन के अनुसार, मोदी सरकार को लैटरल एंट्री के तहत 10 ज्वाइंट सेक्रेटरी के पोस्ट के लिए 'टैलेंटेड और मोटिवेटेड' भारतीयों की तलाश है. DOPT की अधिसूचना के तहत राजस्व, वित्तीय सेवा, आर्थिक मामले, कृषि, किसान कल्याण, सड़क परिवहन और हाइवे, शिपिंग, पर्यावरण विभाग में ज्वॉइंट सेक्रेटरी के लिए आवेदन मांगे गए हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता पीएल पुनिया जो कि खुद नौकरशाह रह चुके हैं, उन्होने कहा कि सरकार ने सत्ताधारी पार्टी के लोगों को भर्ती करने के लिए यह कदम उठाया है. यह पूरी तरह गलत है. सरकार प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले अपने करीबियों के अतिरिक्त आरएसएस, बीजेपी और उससे संबंधित संगठनों के लोगों को भर्ती करेगी. पुनिया ने कहा, "ये लोग निष्पक्ष या तटस्थ नहीं रहेंगे और सरकार की योजनाओं को प्रभावित करने का प्रयास करेंगे. यह राष्ट्रीय हित में नहीं है." उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार, चुने गए प्रमुखों को देश का नागरिक होना चाहिए, जबकि विज्ञापन बताता है कि योग्य व्यक्तियों को भारतीय होना चाहिए.पुनिया ने कहा इसे देखे जाने की जरूरत है. क्या वे एनआरआई को सरकार में लाने की कोशिश कर रहे हैं ? क्योंकि अबतक उन्हें अनुमति नहीं है. सरकार के कदम पर सीपीआई(एम) के महासचिव सीतारमा येचुरी ने कहा कि यह 'संघियों' को प्रशासनिक रैंक देने के लिए की गई कोशिश है. ट्विटर पर सीताराम येचुरी ने कहा, "समयबद्ध यूपीएससी और एसएससी को कमतर करने की कोशिश क्यों की जा रही है? बीजेपी के पिछले कुछ महीनों के कार्यकाल में संघियों को आईएएस रैंक देने और रिजर्वेशन को खत्म करने के प्रयास किए जा रहे हैं."
Why are time-tested UPSC and SSC being sought to be undermined? To fill IAS ranks with Sanghis and undermine reservation too, in the BJP's last few months in office. pic.twitter.com/J26fl5BFYO
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) June 10, 2018
बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सरकार के इस कदम को संविधान का उल्लंघन बताया है. तेजस्वी ने ट्वीट करके लिखा, "यह मनुवादी सरकार यूपीएसी को दरकिनार कर बिना परीक्षा के नीतिगत व संयुक्त सचिव के महत्वपूर्ण पदों पर मनपसंद व्यक्तियों को कैसे नियुक्त कर सकती है? यह संविधान और आरक्षण का घोर उल्लंघन है. कल को ये बिना चुनाव के प्रधानमंत्री और कैबिनेट बना लेंगे. इन्होंने संविधान का मजाक बना दिया है."
यह मनुवादी सरकार UPSC को दरकिनार कर बिना परीक्षा के नीतिगत व संयुक्त सचिव के महत्वपूर्ण पदों पर मनपसंद व्यक्तियों को कैसे नियुक्त कर सकती है? यह संविधान और आरक्षण का घोर उल्लंघन है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) June 10, 2018
कल को ये बिना चुनाव के प्रधानमंत्री और कैबिनेट बना लेंगे। इन्होंने संविधान का मजाक बना दिया है। pic.twitter.com/8shIHodMew
'कैबिनेट सचिव' के लिए प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों के लिए रिक्तियां निकाले जाने को लेकर जब प्रधानमंत्री ऑफिस में राज्यमंत्री जीतेन्द्र सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह सभी उपलब्ध स्रोतों से सर्वश्रेष्ठ निकालने का प्रयास है. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने तेजी से विकास के रास्ते पर भारत का नेतृत्व किया है. पिछले चार सालों में सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं. चाहे वो पुरानी ब्रिटिश परंपरा के तहत प्रमाण पत्रों को अनुप्रमाणित करने परंपरा बंद करना हो या फिर लोअर पोस्ट के लिए इंटरव्यू समाप्त करना." सिंह ने कहा, "यह भारत के हर नागरिक पर एकसाथ ध्यान केंद्रित करने के साथ प्रत्येक नागरिक को उसकी काबिलियत और लगन के आधार पर विकास के लिए उचित मौका सुनिश्चित करने का प्रयास है. सरकार में वरिष्ठ पदों पर होने वाली इस भर्ती को लैटरल एंट्री कहा जा रहा है. 'संयुक्त सचिव' मंत्रालय अथवा विभाग में सचिव/अतिरिक्त सचिव को रिपोर्ट करता है. सामन्यत: 'संयुक्त सचिव' की नियुक्ति ऑल इंडिया सर्विस जैसे आईएएस, आईपीएस, आईएफएस एवं अन्य सम्बद्ध सेवाओं के जरिए की जाती है. गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि सिविल सेवा परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को फाउंडेशन कोर्स के नंबरों के आधार पर कैडर दिया जाए. केंद्र के इस प्रस्ताव का भी विपक्ष ने जोरदार विरोध किया था.
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